Gujarat Board GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 8 जामुन का पेड़ Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 8 जामुन का पेड़
GSEB Class 11 Hindi Solutions जामुन का पेड़ Textbook Questions and Answers
अभ्यास
पाठ के साथ :
प्रश्न 1.
बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।
और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थी।
क. ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?
उत्तर :
ये संवाद कहानी के प्रथम प्रसंग में आए है। जब रात की आँधी में सेक्रेटेरियट के लॉन में खड़ा जामुन का पेड़ गिर गया और उस पेड़ के नीचे आदमी दब गया। सुबह जब माली ने उसे देखा तो फौरन ही यह जानकारी चपरासी को और चपरासी ने वहाँ के क्लर्को को दी। तभी वहाँ सब इकट्ठे हो गए। यह दृश्य देखकर सभी उस आदमी की मदद ना करके उस पेड़ के जामुन की प्रशंसा में एकदूसरे से वार्तालाप करते हैं। मगर उस आदमी की मदद करने की कोशिश कोई भी नहीं करता है !
ख. इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है ?
उत्तर :
इससे लोगों के अंदर की स्वार्थ-भावना और हृदयहीनता का पता चलता है। जैसे कि सरकारी कर्मचारियों को उस जामुन के पेड़ से लाभ मिलता था। इसी कारणवश वे उस पेड़ के गिर जाने का दुःख व्यक्त करते हैं। मगर उन्हें किसी मासूम जीवित व्यक्ति के प्राणों की कोई चिन्ता नहीं।
प्रश्न 2.
दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर :
रात को बड़ी जोर की आँधी में सेक्रेटेरियट के लॉन में खड़ा ‘जामुन का पेड़ गिर गया और एक आदमी उस पेड़ के नीचे दबं। गया। उसकी इस समस्या का समाधान करने के लिए वहाँ के सरकारी कर्मचारियों ने एक फाइल तैयार की और वह फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग, दूसरे विभाग से तीसरे विभाग जाने लगी, तभी वहाँ मौजूद माली उस आदमी को हौंसला देते हुए उसे दाल-भात खिलाता है और उससे कहता है कि तुम्हारी इस समस्या की चर्चा ऊपर तक हो रही है और अब तुम्हारी इस समस्या का निश्चित ही निदान हो जायेगा।
माली की बात सुनकर यह आदमी आह भरते हुए एक शायरी कहता है –
‘ये तो माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक।’
यह सुनकर माली आश्चर्यचकित रह गया और कहता है कि क्या तुम शायर हो ? उसने हामी भरते हुए सिर हिलाया ! फिर क्या था माली ने फौरन इस बात की चर्चा क्लकों के साथ की। इस प्रकार इस बात की चर्चा सारे शहर में फैल गई। सेक्रेटेरियट के लॉन में शहर भर के जाने-माने शायर इकट्ठे हो गए। तभी वह फाइल कल्चर डिपार्टमेंट को भेजी गई।
वहाँ का सचिव उस आदमी का इंटरव्यू लेने वहाँ पहुँचा और उसे अकादमी का सदस्य बना दिया किंतु यह कहकर कि पेड़ के नीचे से निकालने का काम उसके विभाग का नहीं है। वह फाइल वन विभाग को भेज देता है। इससे उसकी समस्या का निदान पाने में उसे और समय लग रहा है। समस्या सुलझने के बदले और भी उलड़ा जाती है।
प्रश्न 3.
कृषि विभागवालों ने इस मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया ?
उत्तर :
कृषि-विभागवालों ने इस मामले के पीछे यह तर्क दिया कि यह एक फलदार पेड़ का मामला है और एग्रीकल्चर डिपार्टमेन्ट अनाज और खेती के मामलों में फैसला सुनाने का हक रखता है। अतः यह ‘जामुन का पेड़’ चूंकि एक फलदार पेड़ है, इसलिए यह पेड़ हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेन्ट के अंतर्गत आता है। अतः इस विषय में निर्णय लेने का अधिकार भी उसी का है।
प्रश्न 4.
इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है, और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता
उत्तर :
इस पाठ में सरकार के निम्नलिखित कई विभागों की चर्चा की गई है जैसे –
- सर्वप्रथम : व्यापार-विभाग – इसका काम देश में होनेवाले व्यापार से संबंध रखता है।
- द्वितीय : एग्रीकल्चर विभाग – इसका कार्य खेती से संबंध रखता है।
- तृतीय : हॉर्टीकल्चर विभाग – यह विभाग उद्यानों की रखरखाव अथवा देखभाल से संबंध रखता है।
- चतुर्थ : मेडिकल विभाग – इसका संबंध शल्य चिकित्सा, दबाई आदि से संबंध रखता है।
- पाँचवाँ : कल्चरल विभाग – इसका संबंध कला या साहित्य से संबंध रखता है।
- छठवौँ : फॉरेस्ट विभाग – इसका संबंध जंगल के पेड़ों व वनस्पति से संबंध रखता है।
- सातवाँ : विदेश विभाग – इसका कार्य विदेशी राज्यों से संबंध बनाना है।
इस पाठ से यह पता चलता है कि किसी भी विभाग में संवेदना नहीं है। हरेक विभाग अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहता है। या यूँ कहें कि अपने फर्ज से बचना चाहता है। इतनी गंभीर और जानलेवा समस्या को सुलझाने में किसी विभाग को रस नहीं
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.
कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस बजह से भंग होता है ?
उत्तर :
पहला प्रसंग :- पहली बार दबे आदमी को निकालने के लिए तैयार होने का प्रसंग कहानी के प्रारंभ में ही आता है। जब माली की सलाह पर यहाँ इकट्ठी भीड़ पेड़ हटा कर दबे हुए आदमी को बाहर निकालने के लिए तैयार हो जाती है किन्तु सुपरिटेंडेंट वहाँ आकर उन्हें रोक देता है तथा ऊपर के अधिकारियों से पूछने की बात करता है।
इस प्रकार से उन लोगों का संकल्प भंग हो जाता है। वे चाहकर भी पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को बचा नहीं पाते। दूसरा प्रसंग :- यह दूसरा प्रसंग दोपहर के भोजन के समय आता है। दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने के लिए बनी फाइल आधे दिन तक सेक्रेटेरियट में घूमती रही, परंतु कोई फैसला न हो सका।
इसी बीच कुछ मनचले किस्म के सरकारी कर्मचारी (क्लर्क) सरकारी फैसले के इंतजार के बिना पेड़ को स्वयं हटा देना चाहते थे कि उसी समय सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कहा कि हम खुद इस पेड़ को नहीं हटा सकते। यह पेड़ कृषि विभाग के अधीन है। वहाँ से जवाब आने पर पेड़ हटवा दिया जाएगा। इसी प्रकार दूसरी बार फाइल अन्य विभाग में भेजने के कारण लोगों का संकल्प भंग हो जाता है।
प्रश्न 2.
यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर :
यह कहना बिलकुल सही है कि यह कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। जामुन के पेड़ के नीचे एक व्यक्ति दबा पड़ा है। इसी नजारे को देखने के लिए यहाँ भीड़ इकट्ठी हो जाती है। वहाँ खड़े लोग उस आदमी की मदद करने के बजाय उस गिरे हुए जामुन के पेड़ के रसीले जामुन की प्रशंसा करते हैं परन्तु उस व्यक्ति की कोई मदद नहीं करता।
अधिकारियों तथा विभागों की फूहड़ हरकतें हास्य के साथ करुणा को जाग्रत करती हैं। इसी प्रकार फाइल एक विभाग से दूसरे विभागों में घूमती रहती है। सिर्फ वहाँ के माली ही दया करके उसे खाना देता है। कुछ लोग आदमी को काटकर उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ने की बात कहते हैं। यह संवेदनहीनता का रूप है।
कल्चर विभाग का सचिव उसे अकादमी का सदस्य बना देता है, और इसी खुशी में उससे मिठाई की मांग करता है। परंतु उसे बचाने का प्रयास भी नहीं करता। अन्य देशों के संबंध के नाम पर आम आदमी की बलि चढ़ाई जा सकती है। ये सभी घटनाएँ करुणा की गहनता को व्यक्त करती हैं।
कुल मिलाकर पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को बचाने की जगह जामुन की तारीफ करना, विभिन्न विभागों की बेहूदा बातें और तर्क, दबे हुए आदमी को काटकर फिर प्लास्टिक सर्जरी करने का कुतर्क, उसे साहित्य अकादमी का सदस्य बना देना, उससे मिठाई माँगना आदि घटनाएँ हास्य को जन्म देती है, वहीं पेड़ के नीचे दबे हुए व्यक्ति की दुर्दशा और मरणासन्न अवस्था पर करुणा भी जगती है।
प्रश्न 3.
यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतजार करते या नहीं; अगर हाँ, तो क्यों ? और नहीं, तो क्यों?
उत्तर :
यदि मैं माली की जगह होता तो में हुकूमत के फैसले का इंतजार नहीं करता। मैं सबसे पहले अपने सहकर्मियों की मदद से उस दबे हुए व्यक्ति को सही सलामत और सावधानीपूर्वक बाहर निकालकर उसका योग्य उपचार करवाता क्योंकि एक व्यक्ति के प्राणों से अधिक महत्त्वपूर्ण सरकारी कार्रवाई नहीं है। संकट के समय में मौके पर उपस्थित सरकारी कर्मचारी स्वयं ही निर्णय ले सकता है।
यदि मैं माली की जगह होता तो मेरी सहानुभूति दबे हुए व्यक्ति के साथ होती। क्योंकि इंसान की जिंदगी से बढ़कर और कुछ नहीं है। अपनी नजर के सामने तड़पते हुए आदमी को बचाना ही मनुष्य की प्रथम आवश्यकता, अनिवार्यता, दायित्व और धर्म होता है। यही कारण है कि आज-कल सरकार ने भी दुर्घटना में घायल या तड़पते हुए आदमी को बचानेवाले या अस्पताल पहुँचानेवाले आदमी को कानूनी दावपेच से मुक्त करने की पहल की है।
प्रश्न 4.
‘जामुन का पेड़’ नामक पाठक का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘जामुन का पेड़’ कृश्नचंदर का एक प्रसिद्ध व्यंग्य है। व्यंग्य की अपनी विशेषता है कि इसमें समाज में व्याप्त विषमताओं-विसंगतियों को उभारने के लिए अतिशयोक्ति का सहारा लेना पड़ता है। बात को बढ़ा-चढ़ाकर अविश्वसनीयता की हद तक प्रस्तुत किया जाता है। प्रस्तुत पाठ में सरकारी कार्यालयों के काम करने के तौर-तरीकों पर प्रहार करना है। सरकारी बाबुओं की कामचोरी, उनका गैरजिम्मेदाराना रवैया, उनकी संवेदनशून्यता को उजागर करना भी इस पाठ का केन्द्रीय विषय है।
प्रश्न 5.
होर्टिकल्चर विभाग के जवाब के विषय में आपका क्या कहना है ?
उत्तर :
हार्टिकल्चर विभाग लकीर का फकीर है। यह सच है कि इस विभाग का काम वृक्षों रोपना और संरक्षण करना है, उन्हें काटना , नहीं। मगर गिरे हुए पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को पेड़ काटकर बचाने में क्या हर्ज है ? मगर इस विभाग के अधिकारी ‘पेड़ लगाओ अभियान’ की दुहाई देकर पेड़ काटने की अनुमति नहीं देते, वह भी तब जब कटे हुए पेड़ को कि जिसके नीचे दबा पड़ा आदमी अंतिम साँसें गिन रहा है !
शीर्षक सुझाइए.
प्रश्न 1.
कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सझाएँ। निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं –
कहानी में बार-बार फाइल का जिक्र आया है और अंत में दबे हुए आदमी के जीवन की फाइल पूर्ण होने की बात कही गई है।
सरकारी दफ्तरों की लंबी और विवेकहीन कार्यप्रणाली की ओर बार-बार इशारा किया गया है।
कहानी का मुख्य पात्र उस विवेकहीनता का शिकार हो जाता है।
उत्तर :
(क) फाइल अथवा घूमती फाइल
(ख) दफ्तरी चक्कर अथवा तौबा सरकारी दफ्तर
(ग) बेचारा इंसान ! अथवा महाभोज
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए अंग्रेजी शब्दों के हिंदी प्रयोग लिखिए :
उत्तर :
(अंग्रेजी शब्द) – (हिन्दी शब्द)
- अर्जेंट – आवश्यक, शीघ्रता
- फॉरेस्ट डिपार्टमेंट – वन विभाग
- मेंबर – सदस्य
- चीफ सेक्रेटरी – मुख्य सचिव
- मिनिस्टर – मंत्री
- अंडर-सेक्रेटरी – अवर सचिव
- मेडिकल डिपार्टमेंट – चिकित्सा विभाग
- सेक्रेटेरियेट – सचिवालय
- हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट – उद्यान विभाग (उधान कृषि)
- एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट – कृषि विभाग
- एक्शन ज्वाईंट – कार्यवाही संयुक्त
प्रश्न 2.
इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। – यह एक संयुक्त वाक्य है, जिसमें दो स्वतंत्र वाक्यों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द और से जोड़ा गया है। संयुक्त वाक्य को इस प्रकार सरल वाक्य में बदला जा सकता है – इसकी चर्चा शहर में फैलते ही शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए।
पाठ में से पाँच संयुक्त वाक्यों को चुनिए और उन्हें सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।
उत्तर :
(संयुक्त वाक्य)
- उसके लिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिख दिया है और अर्जेंट लिखा है।
- हम इस मामले को हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के हवाले कर रहे हैं, क्योंकि यह एक फलदार पेड़ का मामला है।
- जामुन का पेड़ चूंकि एक फलदार पेड़ है इसलिए यह पेड़ हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है।
- बेचारा सेक्रेटरी उसी समय अपनी गाड़ी में सवार होकर सेक्रेटेरियट पहुँचा और दबे हुए आदमी से इंटरव्यू लेने लगा।
- माली ने अचंभे से मुँह में ऊँगली दबा ली और चकित भाव से बोला।
(सरल वाक्य)
- उसके लिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को अर्जेंट लिख दिया है।
- फलदार पेड़ का मामला होने के कारण हम इसे हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट के हवाले कर रहे हैं।
- यूँ कि जामुन का पेड़ एक फलदार पेड़ होने से यह पेड़ हॉर्टी कल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है।
- बेचारा सेक्रेटरी उसी समय अपनी गाड़ी में सेक्रेटेरियट पहुँचकर दबे हुए आदमी से इंटरव्यू लेने लगा।
- माली अचंमे से मुँह में उँगली दबाते हुए बोला।
प्रश्न 3.
साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है। जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें।
उत्तर :
जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद होने का जिम्मेदार सुपरिंटेंडेंट ही है। उसका साक्षात्कार निम्नलिखित भाँति हो सकता है।
- साक्षात्कार कर्ता : क्या आपको पता है कि आपके विभाग के लॉन में गिरे पेड़ के नीचे एक आदमी दब गया है ?
- सुपरिटेंडेंट : जी हाँ।
- साक्षात्कारकर्ता : आपने तत्काल बचाव के लिए क्या कदम उठाये हैं ?
- सुपरिटेंडेंट : हम ऊपरी अधिकारी की अनुमति के बिना कुछ नहीं कर सकते।
- साक्षात्कारकर्ता : आपके मन इंसान के प्राणों की कोई कीमत नहीं !
- सुपरिटेंडेंट : सारे काम नियम-कानून से होते हैं भाईसाहब !
- साक्षात्कारकर्ता : आपने तो नहीं बचाया परंतु जो लोग बचाने के लिए आगे आ रहे थे, उन्हें भी आपने रोक दिया। क्यों ?
- सुपरिटेंडेंट : कहा तो है भाई। सरकारी कामकाज में ऊपरी अधिकारी की राय-सलाह-मशवरा जरूरी है।
- साक्षात्कारकर्ता : आपके इसी चक्कर में फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग में घूम रही है। संबंधित विभाग की जवाबदारी तय होने तक बहुत देर हो चुकी होगी।
- सुपरिटेंडेंट : माफ कीजिये। आखिर नियम – कानून भी तो कोई चीज है।
Hindi Digest Std 11 GSEB जामुन का पेड़ Important Questions and Answers
पाठ के साथ
प्रश्न 1.
मनचले क्लर्क से क्या आशय है ? वे अपने कार्य में सफल क्यों नहीं हुए ?
उत्तर :
मनचले क्लर्क से आशय यह है कि वे क्लर्क जो पेड़ के नीचे दबे आदमी की पीड़ा को समझकर तुरंत उसे बचाने के लिए तत्पर हो जाना चाहते थे। वे किसी के आदेश की परवाह नहीं करते। सरकारी अफसरों की नज़रों में वे लापरवाह, निरंकुश एवं अनुशासन हीन हैं। वे अपने कार्य (पेड़ के नीचे दबे आदमी को बचाना) में सफल नहीं हो पाये। कारण कि जैसे ही ये उसे बचाने के लिए उद्यत हुए कि एक सुपरिटेंडेंट फाइल लेकर आ धमकता है और कहता है कि यह समस्या या उत्तरदायित्व कृषि विभाग का है, हमारा नहीं। अतः वे चाहकर भी उस आदमी को बचा नहीं पाते।
प्रश्न 2.
इस पाठ में निहित व्यंग्य को समझाइए।
उत्तर :
प्रस्तुत पाठ एक हास्य-व्यंग्य कथा है। इस व्यंग्यपूर्ण कथा के माध्यम से लेखक ने सरकारी तंत्रों में आपसी तालमेल की कमी, अपनी अपनी जबाबदारियों से भागने की वृत्ति, आम आदमी का हर हाल में शोषण करने की वृत्ति, अमानवीय व्यवहार तथा संवेदनहीनता पर करारा व्यंग्य किया गया है।
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए।
प्रश्न 1.
“ये तो माना कि तग़ाफूल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक !”
उत्तर :
संदर्भ : प्रस्तुत गद्यांश कृश्नचंदर द्वारा लिखित ‘जामुन का पेड़’ नामक हास्य-व्यंग्य कथा में से लिया गया है। पेड़ के नीचे दबे व्यक्ति से माली यह कहता हैं कि कल पेड़ हटाने को लेकर सचिवों की बैठक होनेवाली है, उस समय वह दबा व्यक्ति गालिब का यह शेर कहता है।
व्याख्या : प्रस्तुत गद्यांश कृश्नचंदर द्वारा लिखित ‘जामुन का पेड़’ नामक हास्य-व्यंग्य कथा के मध्यांतर में रात को माली ने उस ‘जामुन के पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को बताया कि कल सभी सचिवों की बैठक होगी। वहाँ केस सुलझने के आसार हैं अर्थात् तुम्हारी समस्या का निवारण अब हो जायेगा।
माली की बात सुनकर दबा हुआ आदमी एक शायरी सुनाता है कि “ये तो माना कि तग़ाफूल न करोगे लेकिन खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक !” कृश्नचंदर ने इस शेर का बड़ा ही खूबसूरत प्रयोग किया है। आज के दौर में सभी लोग एवं संस्थाएँ अपनी-अपनी जवाबदारियों से छूटने के लिए बहाने ढूंढते रहते हैं – मामला चाहे कितना ही पेचीदा क्यों न हो !
यहाँ पेड़ के नीचे दबे आदमी की जान पर बन आई है, और उधर सारे लोग अमानवीय ढंग से पेश आ रहे हैं। जब तक उसकी समस्या का हल होगा तब तक तो वह दुनिया की सारी समस्याओं से मुक्त हो जायेगा ! होता भी ऐसा ही है।
विशेष :-
- लोगों की अमानवीयता एवं असंवेदनशीलता पर प्रहार किया गया है।
- हल्के-फुल्के लहजे में रचनाकार ने आज की बड़ी समस्या को उठाया है।
- भाषा की व्यंग्यत्मकता ध्यान आकर्षित करती है।
प्रश्न 2.
‘जामुन का पेड़’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शीर्षक किसी भी रचना का प्रवेशद्वार है। आकर्षक शीर्षक से आकर्षित होकर पाठक रचना पढ़ने के लिए उत्सुक होता है। जितना महत्त्व नवजात शिशु के नामकरण का है, उतना ही महत्त्व रचना के शीर्षक का है। शीर्षक रचना के मूल प्रतिपाद्य को प्रतिबिंबित करता होना चाहिए। प्रस्तुत पाठ का शीर्षक उचित ही है, क्योंकि रचना का कथ्य ‘जामुन के पेड़ के आसपास घूमता है।
मुख्य पात्र इसी जामुन के पेड़ के नीचे दबा है। फिर जामुन के पेड़ को लेकर ही विविध डिपार्टमेन्ट में जो फाइल चलती है। संक्षेप में सारी कथा जामुन के पेड़ के इर्द गिर्द मंडराती रहती है। अतः यह एक प्रतीकात्मक, व्यंग्यपूर्ण एवं आकर्षक शीर्षक है।
योग्य विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
प्रश्न 1.
फ़ाइल कल्चरल डिपार्टमेंट के अनेक विभागों से गुजरती हुई …. के सेक्रेटरी के पास पहुँची।
(A) वन विभाग
(B) कृषि विभाग
(c) चिकित्सा विभाग
(D) साहित्य अकादमी
उत्तर :
(D) साहित्य अकादमी
प्रश्न 2.
रात को माली ने दबे हुए आदमी को ……………. खिलाया।
(A) दाल-भात
(B) पकवान
(C) खिचड़ी
(D) सब्जी-रोटी
उत्तर :
(A) दाल-भात
प्रश्न 3.
सेक्रेटेरियेट के लॉन में ………… का पेड़ गिर पड़ा।
(A) आम
(B) जामुन
(C) केला
(D) बरगद
उत्तर :
(B) जामुन
प्रश्न 4.
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी वहाँ …………….. लेकर पहुँचते है।
(A) आरी-फुल्हाड़ी
(B) हथौड़ी
(C) बुल्डोजर
(D) ट्रक
उत्तर :
(A) आरी-कुल्हाड़ी
प्रश्न 5.
कृश्नचंदर का जन्म पंजाब के ………….. नामक गाँव में हुआ था।
(A) हैदराबाद
(B) वजीराबाद
(C) बीजनौर
(D) रामपुर
उत्तर :
(B) वजीराबाद
प्रश्न 6.
कृश्नचंदर जी को …………. पुरस्कार से नवाजा गया।
(A) साहित्य अकादमी
(B) शिखर सम्मान
(C) संस्थान सम्मान
(D) श्रेष्ठ कवि
उत्तर :
(A) साहित्य अकादमी
प्रश्न 7.
कृश्नचंदर जी की प्राथमिक शिक्षा . …… में हुई।
(A) पुंछ
(B) श्रीनगर
(C) लद्दाख
(D) बल्तिस्तान
उत्तर :
(A) पुंछ
प्रश्न 8.
कृश्नचंदर जी का जन्म ई. सन् ….. ….. में हुआ था।।
(A) 1914
(B) 1920
(C) 1718
(D) 1912
उत्तर :
(A) 1914
प्रश्न 9.
कृश्नचंदर जी की मृत्यु ई. सन् ……………. में हुई थी।
(A) 1914
(B) 1998
(C) 1977
(D) 1923
उत्तर :
(C) 1977
एक-दो वाक्यों में उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
कृश्नचंदर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
कृश्नचंदर का जन्म सन् 1914 में पंजाब के वजीराबाद गाँव ज़िला गुजरांवाला में हुआ था।
प्रश्न 2.
कृश्नचंदर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा कहाँ पूरी की ?
उत्तर :
कृश्नचंदर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पुंछ (जम्मू एवं कश्मीर) में पूरी की।
प्रश्न 3.
कृश्नचंदर ने अपनी एम.ए. की शिक्षा कहाँ प्राप्त की ?
उत्तर :
कृश्नचंदर ने अपनी एम.ए. की शिक्षा 1934 में पंजाब के विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
प्रश्न 4.
रात को माली ने दबे हुए आदमी को क्या खिलाया ?
उत्तर :
रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया।
प्रश्न 5.
दबे हुए आदमी के कवि होने की बात कैसे पता चलती है ?
उत्तर :
रात को माली दबे हुए आदमी के मुँह में खिचड़ी डालते हुए उसे बताता है कि अब मामला ऊपर चला गया है। सुना है कि कल सेक्रेटेरियेट के सारे सेक्रेटेरियों की मीटिंग होगी। उसमें तुम्हारा केस रखा जाएगा। उम्मीद है सब काम ठीक हो जाएगा। तब दबा हुआ आदमी एक आह भरकर धीरे से बोला – ‘ये तो माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक’। यह सुनकर माली उस आदमी से पूछता है कि क्या तुम शायर हो ? तो दबा हुआ आदमी धीरे से सिर हिलाता है। तभी लगता है कि वह एक कवि है।
प्रश्न 6.
विदेश-विभाग ने पेड़ को ना काटे जाने का क्या कारण बताया ?
उत्तर :
विदेश विभाग ने पेड़ को ना काटे जाने का कारण यह बताया कि इस पेड़ को दस साल पहले पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरियेट के लॉन में लगाया था ! इसलिए इस पेड़ को काटा जायेगा तो दो देशों के बीच के संबंध बिगड़ सकते हैं।
प्रश्न 7.
लॉन में मौजूद क्लर्क किसकी प्रशंसा करते हैं ?
उत्तर :
लॉन में मौजूद क्लर्क गिरे जामुन के पेड़ के रसीले जामुनों की प्रशंसा करते हैं।
अपठित गद्य
नीचे दिए गए गयखंड को पढ़कर उस पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
भूमि, भूमि पर बसनेवाला जन, और जन की संस्कृति, इन तीनों के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप बनता है। राष्ट्र का तीसरा अंग जन की संस्कृति है। मनुष्यों ने युग-युगों में जिस सभ्यता का निर्माण किया है वही उसके जीवन की श्वासप्रश्वास है। बिना संस्कृति के जन की कल्पना कबन्धमात्र है, संस्कृति ही जन का मस्तिष्क है। संस्कृति के विकास और अभ्युदय के द्वारा ही राष्ट्र की वृद्धि सम्भव है।
राष्ट्र के समग्न रूप में भूमि और जन के साथ-साथ जन की संस्कृति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यदि भूमि और जन अपनी संस्कृति से विरहित कर दिए जाएँ तो राष्ट्र का लोप समझना चाहिए। जीवन के बिटप का पुष्प संस्कृति है। भूमि पर बसनेवाले जन ने ज्ञान के क्षेत्र में जो सोचा है और कर्म के क्षेत्र में जो रचा है. दोनों के रूप में हमें राष्ट्रीय संस्कृति के दर्शन मिलते हैं।
जंगल में जिस प्रकार अनेक लता, वृक्ष और वनस्पति अपने अदम्य भाव से उठते हुए पारस्परिक सम्मिलन से अविरोधी स्थिति प्राप्त करते है, उसी प्रकार राष्ट्रीय जन अपनी संस्कृतियों के द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर राष्ट्र में रहते है। जिस प्रकार जलों के अनेक प्रवाह नदियों के रूप में मिलकर समुद्र में एकरूपता प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार राष्ट्रीय जीवन की अनेक विधियाँ राष्ट्रीय संस्कृति में समन्वय प्राप्त करती है।
समन्वययुक्त जीवन ही राष्ट्र का सुखदायी रूप है। साहित्य, कला, नृत्य, गीत, आमोद-प्रमोद अनेक रूपों में राष्ट्रीय जन अपने-अपने मानसिक भावों को प्रकट करते हैं। गाँवों और जंगलों में स्वच्छन्द जन्म लेनेवाले लोकगीतों में, तारों के नीचे विकसित लोक कथाओं में, संस्कृति का अमित भण्डार भरा हुआ है, जहाँ से आनन्द की भरपूर मात्रा प्राप्त हो सकती है। राष्ट्रीय संस्कृति के परिचय-काल में उन सबका स्वागत करने की आवश्यकता है।
वासुदेव शरण अग्रवाल
प्रश्न 1.
किनके सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप निर्मित होता है ?
उत्तर :
भूमि, भूमि पर बसे लोग तथा लोगों की संस्कृति के सम्मिलन से राष्ट्र का स्वरूप निर्मित होता है।
प्रश्न 2.
राष्ट्रीय संस्कृति कैसे निर्मित होती है ? उसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
मनुष्य ने युगों से जिस सभ्यता का निर्माण किया है, ज्ञान के क्षेत्र में जो सोचा है और कर्म के क्षेत्र में जो रचा है, दोनों के। रूप में राष्ट्रीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। संस्कृति के अभाव में राष्ट्र की कल्पना बिना सिर के शरीर जैसी है। संस्कृति ही जन का मस्तिष्क है, जीवन विटप का पुष्प है।
प्रश्न 3.
‘समन्वययुक्त जीवन ही राष्ट्र का सुखदायी रूप है’ का आशय समझाइए।
उत्तर :
जिस प्रकार बने अनेक लता, वृक्ष, वनस्पतियाँ अपने अदम्य भाव से उठते हुए अविरोध की स्थिति प्राप्त करती है उसी तरह राष्ट्र के लोग अपनी-अपनी संस्कृतियों के द्वारा एक-दूसरे के साथ मिलकर राष्ट्र में रहते हैं। जिस प्रकार जल के अनेक प्रवाह नदी और नदियों के अनेक प्रवाहों का सम्मिलन समुद्र में एकरूपता प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार राष्ट्र के भीतर अनेक संस्कृतियाँ समन्वय प्राप्त करती है। यह समन्वययुक्त जीवन ही राष्ट्र का सुखदायी सप है।
प्रश्न 4.
राष्ट्रीय जन अपने मनोभावों को कैसे प्रकट करते हैं ?
उत्तर :
राष्ट्रीय जन साहित्य, कला, नृत्य, गीत, लोककथाओं, मनोरंजन के विविध रूपों, आमोद-प्रमोद के अनेक रूपों द्वारा अपने मनोभावों को प्रकट करते हैं।
प्रश्न 5.
‘कबंध’ यानी क्या ?
उत्तर :
‘कबंध’ यानी सिरविहीन धड़, एक ऐसा ही राक्षस जिसका वध राम ने दंडकवन में किया था।
प्रश्न 6.
‘श्वास-प्रश्वास’ में कौन-सा समास है ?
उत्तर :
श्वास-प्रश्वास = श्वास और प्रश्वास, यह बंद समास है।
जामुन का पेड़ Summary in Hindi
लेखक का जीवन परिचय :
‘कृश्नचंदर’ जी का जन्म 23 नवम्बर, सन् 1914 ई को पंजाब के गुजरांवाला जिला के वजीराबाद नामक गाँव में हुआ था। उनका बचपन पुंछ क्षेत्र (जम्मू और कश्मीर) में बीता। यहीं पर रहकर इन्होंने प्राथमिक शिक्षा भी प्राप्त की। कुश्नचंदर जी अपनी उच्च शिक्षा के लिए सन् 1930 में लाहौर आ गए तथा फॉरमेन क्रिश्चियन नामक कॉलेज में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की।
इसके पश्चात् ई. 1934 में पंजाब के विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. किया। उन्होंने अपने जीवनकाल में बीस उपन्यास तथा 30 कथा संग्रह प्रकाशित किए। बाद में वे फिल्म जगत से जुड़ गए। रेडियो नाटक और फिल्मी पटकथाएँ भी लिखीं। सन् 1973 की प्रसिद्ध फिल्म ‘मनचली’ के संवाद उन्हीं के द्वारा लिखे हुए थे, मगर उनकी पहचान कहानीकार के रूप में अधिक हुई है। ‘महालक्ष्मी का पुल’, ‘आईने के सामने आदि उनकी मशहूर कहानियाँ हैं।
उनकी लोकप्रियता इस कारण भी है कि वे काव्यात्मक रोमानियत और शैली की विविधता के कारण अलग मुकाम बनाते हैं। फिल्मी दुनिया से जुड़ने के बाद कृश्नचंदर जी अंत तक मुंबई में ही रहे। तथा इन्हें साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किया गया तथा भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया। इनका निधन 8 मार्च, 1977 में हुआ।
रचनाएँ : इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं :
कहानी-संग्रह :
नज्जारे, जिंदगी के मोड़ पर, तीन गुंडे, एक गिरजा-ए-खंदक, समुन्दर दूर है, अन्नदाता, दिल किसी का दोस्त नहीं, टूटे हुए तारे, तलिस्में खिआल, यूकेलिप्ट्स की डाली, जामुन का पेड़
उपन्यास :
एक गधे की वापसी, अन्नदाता, सपनों का कैदी, हम वहशी है, कागज की नाव, एक वायलिन समंदर के किनारे, रेत का महल, जेरगाँव की रानी, पिआसी धरती पिआसे लोक, शिकस्त
साहित्यिक विशेषताएँ :
प्रेमचंद के बाद जिन-जिन कहानीकारों ने कहानी विधा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया उनमें कृश्नचंदर का नाम महत्त्वपूर्ण है। इनका प्रगतिशील लेखक संघ से गहरा संबंध था। इस विचारधारा का असर इनके साहित्य पर भी मिलता है। ये उन लेख्यकों में है जिन्होंने लेखन को ही रोजी-रोटी का सहारा बनाया। कृश्नचंदर उर्दू कथा-साहित्य में अनूठी रचनाशीलता के लिए बहुचर्चित रहे हैं। ये प्रगतिशील और यथार्थवादी नज़रिए से लिख्ने जानेवाले साहित्य के पक्षधर थे।
जामुन का पेड़ :
कृश्नचंदर की एक प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए यहाँ घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय जान पड़े, तो कोई हैरत नहीं। विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्यांकन की कसौटी नहीं हो सकती।
प्रस्तुत पाठ में हँसतेहँसते ही हमारे भीतर इस बात की समझ पैदा होती है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जानेवाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यास्पद है। बात यहीं तक नहीं रहती – इस व्यवस्था के संवेदनशून्य एवं अमानवीय होने का पक्ष भी हमारे सामने आता है।
पाठ का सारांश :
रात को बड़े जोर की आँधी चली जिसमें सचिवालय के पार्क में जामुन का पेड़ गिर गया। सुबह माली ने देखा कि उसके नीचे ‘ एक आदमी दबा पड़ा है। उसने इस बात की सूचना तुरंत जाकर चपरासी को दी। इस तरह मिनटों में दबे आदमी के पास लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई। वहाँ मौजूद क्लर्क रसीले जामुनों की प्रशंसा कर ही रहे थे कि, तभी माली ने आदमी के बारे में पूछा।
उन्हें उस आदमी के जीवित होने में संदेह था, तभी वह दबा आदमी बोल पड़ा। माली ने उस पर गिरे पेड़ को हटाने का सुझाव दिया परंतु सुपरिटेंडेंट ने अपने ऊपर के अधिकारी से पूछने की बात कही। इस तरह इस बात डिप्टी सेक्रेटरी, ज्वांइट सेक्रेटरी, चीफ सेक्रेटरी से होते हुए मिनिस्टर के पास पहुंची। मंत्री ने चीफ सेक्रेटरी से कुछ कहा और उसी क्रम में बात नीचे तक पहुँची और इसी तरह फाइल आगे चलती रही।
दोपहर के खाने पर दबे हुए आदमी के चारों ओर बहुत भीड़ हो गई थी। लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे। कुछ मनचले क्लर्क सरकारी इजाजत के बिना पेड़ हटाने कि बात कहते हैं, कि तभी वहाँ सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर दौड़कर आया और कहा कि यह काम कृषि विभाग का है। वह उन्हें फाइल भेजने की बात करता है।
कृषि विभाग ने पेड़ हटवाने की जिम्मेदारी व्यापार विभाग पर डाल दी। व्यापार विभाग ने कृषि विभाग पर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया। दूसरे दिन भी फाइल चलती रही। शाम को इस मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग के हवाले करने का फैसला किया गया क्योंकि यह फलदार पेड़ हैं।
रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया, जबकि उसके चारों तरफ पुलिस का पहरा था। माली ने उसके परिवार के बारे में पूछा तो दबे हुए आदमी ने स्वयं को लावारिस बताया। तीसरे दिन हॉर्टीकल्चर विभाग से जवाब आया कि आजकल पेड़ लगाओ स्कीम अथवा अभियान जोरशोर से चल रहा है। अतः जामुन के पेड़ को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
एक मनचले ने आदमी को काटने की बात कही। इससे पेड़ बच जाएगा। दबे हुए आदमी ने इस पर आपत्ति की कि ऐसे तो वह मर जाएगा। आदमी काटनेवाले ने अपना तर्क दिया कि आजकल प्लास्टिक सर्जरी उन्नति कर चुकी है। यदि आदमी को बीच में से काटकर निकाल लिया जाए तो उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ा जा सकता है। इस बात पर फाइल मेडिकल विभाग को भेजी गई।
वहाँ से रिपोर्ट आई कि सारी जाँच-पड़ताल करके पता चला कि प्लास्टिक सर्जरी तो हो सकती है किन्तु आदमी मर जाएगा। अतः यह फैसला रद्द हो गया। रात को माली ने उस आदमी को बताया कि कल सभी सचिवों की बैठक होगी। वहाँ केस सुलहाने के आसार हैं। दबे हुए आदमी ने गालिब का एक शेर सुनाया।
‘ये तो माना कि तग़ाफूल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक !’
यह सुनकर माली हैरान हो गया। आदमी के शायर होने की बात सारे सचिवालय में फैल गई फिर यह चर्चा शहर में फैल गई और तरह-तरह के कवि व शायर वहाँ इकट्ठे हो गए। वे सभी अपनी रचनाएँ सुनाने लगे। कई क्लर्क उस आदमी से अपनी कविता पर आलोचना करने को मजबूर करने लगे। जब यह पता चला कि दबा हुआ व्यक्ति कवि है तो सब-कमेटी ने यह मामला कल्चरल डिपार्टमेन्ट को सौंप दिया। साहित्य अकादमी के सचिव के पास फाइल पहुँची।
सचिव उसी समय उस आदमी का इन्टरव्यू लेने पहुँचा। दबे हुए आदमी ने बताया कि उसका उपनाम ‘ओस’ है, तथा कुछ दिन पहले उसका लिखा हुआ ‘ओस के फूल’ गद्य-संग्रह प्रकाशित हुआ है। सचिव ने आश्चर्य जताया कि इतना बड़ा लेखक उनकी अकादमी का सदस्य नहीं है। आदमी ने कहा कि मुझे पेड़ के नीचे से निकालिए। सचिव उसे आश्वासन देकर चला गया।
अगले दिन सचिव ने उसे बधाई देते हुए यह खबर सुनाई की उसे साहित्य अकादमी का सदस्य चुन लिया गया है। आवमी ने उसे पेड़ के नीचे से निकालने की प्रार्थना की तो उसने इनकार करते हुए कहा कि यदि तुम मर गए तो वे उसकी बीवी को वजीफा दे सकते है। उनके विभाग का संबंध सिर्फ कल्चर से है। पेड़ काटने का काम आरी-कुल्हाड़ी से होगा। वन विभाग को लिख दिया गया है। शाम को माली ने बताया कि कल वन विभाग वाले पेड़ काट देंगे।
माली खुश था। दबे हुए आदमी का स्वास्थ्य जवाब दे रहा था। दूसरे दिन वन विभाग के लोग आरी-कुल्हाड़ी लेकर आए तो विदेश विभाग के आदेश से यह कार्य रोक दिया गया। यह पेड़ पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सचिवालय में दस साल पहले लगाया था। पेड़ काटने से दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ जाएँगे।
दूसरे पीटोनिया सरकार राज्य को बहुत सहायता प्रदान करती है। इसीलिए दो देशों की खातिर एक आदमी के जीवन का बलिदान दिया जा सकता है। – अंडर सेक्रेटरी ने बताया कि प्रधानमंत्री विदेश दौरे से सुबह वापस आ गए हैं। अब वे ही निर्णय देंगे।
शाम के पाँच बजे खुद ही सुपरिंटेंडेंट कवि की फाइल लेकर उसके पास आया और खुशी से फ़ाइल को हिलाते हुए चिल्लाया, – ‘प्रधानमंत्री ने इस पेड़ को काटने का हुक्म दे दिया, और इस घटना की सारी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी अपने सिर ले ली है।
कल यह पेड़ काट दिया जाएगा, और तुम इस संकट से छुटकारा हासिल कर लोगे। तुम्हारी फ़ाइल पूरी हो गई। मगर उस समय कवि का हाथ ठंडा था, आँखों की पुतलियाँ निर्जीव और चीटियों की एक लंबी कतार उसके मुँह में जा रही थी….। इसी प्रकार उसके जीवन की फ़ाइल भी पूरी हो चुकी थी।
शब्दार्थ :
- ताज्जुब – हैरत
- आश्चर्य मनचला – जो स्वभाव से रसिक हो
- बेफिक्र अंतर्गत – सम्मिलित
- छान-बीन – जाँच-पड़ताल
- तगाफुल – उपेक्षा
- अफवाह – बेबुनियाद बात
- दरख्वास्त – अर्जी, आवेदन
- झक्कड़ – आँधी
- हॉर्टीकल्चर – उद्यान कृषि, बागबानी
- सेक्रेटेरियेट – सचिवालय
- मार्क करना – अंकित करना
- गद्य – लय रहित रचना
- एक्शन – कार्यवाही
- आलोचना – समीक्षा
- वज़नी – भारी
- हुकूमत – सरकार, शासन
- लावारिस – जिसका कोई वारिस न हो
- रद्द करना – अस्वीकार करना, निरस्त करना
- खाक होना – बर्बाद होना, मिट्टी में मिलना
- वजीफा – स्कॉलरशिप, छात्रवृत्ति
- पाँत – पंक्ति, कतार
- रुआँसा – रोनी सूरत
- एग्रीकल्चर – कृषि
- ज्वाईंट – संयुक्त
- इजाजत – अनुमति
- अंदेशा – संदेह
- वारिस – उत्तराधिकारी
- गुमनामी – अपरिचय