Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions Chapter 5 शिक्षक के नाम पत्र Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Chapter 5 शिक्षक के नाम पत्र
GSEB Std 11 Hindi Digest शिक्षक के नाम पत्र Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प चुनकर लिखिए :
प्रश्न 1.
अब्राहम लिंकन ने यह पत्र किसको लिखा था ?
(क) अपने पुत्र को
(ख) अपने शिक्षक को
(ग) पुत्र के शिक्षक को
(घ) अपने मित्र को
उत्तर :
अब्राहम लिकन ने यह पत्र पुत्र के शिक्षक को लिखा था।
प्रश्न 2.
किसको झुकाना सबसे आसान होता है ?
(क) नेता
(ख) गुंडा
(ग) शिक्षक
(घ) मित्र
उत्तर :
गुंडे को झुकाना सबसे आसान होता है।
प्रश्न 3.
जीत की खुशी किसके साथ मनानी चाहिए ?
(क) मित्र के साथ
(ख) रिश्तेदारों के साथ
(ग) स्वयं के साथ
(घ) पड़ोसी के साथ
उत्तर :
जीत की खुशी स्वयं के साथ मनानी चाहिए।
प्रश्न 4.
सत्य और न्याय के लिए क्या करना चाहिए ?
(क) मर मिट जाना चाहिए
(ख) भागना चाहिए
(ग) छिप जाना चाहिए
(घ) संघर्ष करना चाहिए
उत्तर :
सत्य और न्याय के लिए संघर्ष करना चाहिए।
2. एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
मेहनत से कमाया हुआ एक पैसा किससे ज्यादा मूल्यवान है ?
उत्तर :
मेहनत से कमाया हुआ एक पैसा मुफ्त में मिले हंडे से अधिक मूल्यवान है।
प्रश्न 2.
बालक को पाठशाला से क्या सबक लेना चाहिए ?
उत्तर :
बालक को पाठशाला से भलों के साथ भला और बुरों के साथ टेढ़ा बनने का सबक लेना चाहिए।
प्रश्न 3.
बालक को किस पर पूर्ण विश्वास बनाये रखना चाहिए ?
उत्तर :
बालक को अपने ख्याल और अपनी सूझ-बूझ पर पूर्ण विश्वास बनाए रखना चाहिए।
प्रश्न 4.
दूसरों के साथ बालक को कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
उत्तर :
बालक अच्छे के साथ अच्छा व्यवहार करें और टेढ़ों को सबक सिखाए।
प्रश्न 5.
बालक को किससे सावधान रहना चाहिए?
उत्तर :
बालक को चाटुकारों से सावधान रहना चाहिए।
3. दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
लिंकन का पुत्र कभी न कभी क्या देखेगा?
उत्तर :
न्यायप्रियता और सत्यनिष्ठा मनुष्य के उत्तम गुण कहे गए हैं, पर सभी मनुष्यों में ये गुण नहीं होते। लिंकन का पुत्र कभी-न-कभी इस बात को देखेगा।
प्रश्न 2.
दुनिया में किस प्रकार के लोग होते हैं ?
उत्तर :
दुनिया में तरह-तरह के मनुष्य होते हैं। कुछ बदमाश किस्म के व्यक्ति होते हैं, तो कुछ सज्जन व्यक्ति होते हैं। कुछ राजनेता स्वार्थी होते हैं, तो कुछ ईमानदार होते हैं, जो अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर देते हैं। कुछ लोग ऐसी दुश्मनी करते हैं कि घात लगाकर बैठे रहते हैं। कुछ ऐसे मित्र होते है, जो सदा सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।
प्रश्न 3.
काव्य में वर्णित प्राकृतिक सौन्दर्य को लिखिए।
उत्तर :
काव्य में प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर वर्णन किया गया है। चिड़ियाँ विशाल आकाश में उन्मुक्त होकर उड़ रही हैं। सुनहली धूप में भ्रमर फूलों पर मंडरा रहे हैं। हरी-भरी पहाड़ियों की ढलान पर नन्हे-नन्हे सुंदर फूल हवा के झोंकों के साथ झूम रहे हैं।
4. पाँच से छ: पंक्तियों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
लिंकन अपने पुत्र के अन्दर कौन-कौन से गण विकसित करना चाहते थे ?
उत्तर :
लिंकन चाहते थे कि उनका पुत्र परिश्रमी बने। वह अपने बल पर जीना सीखे। वह ईया-द्वेष से दूर रहे। वह निर्भय बने। उसे पुस्तकें पढ़ने में रुचि हो। वह सत्य और न्याय के लिए लड़े। वह अपने बुद्धि-बल से धन कमाए और मुफ्त से मिलनेवाले धन की आशा न करे। वह भलों के साथ भला व्यवहार करे और टेढ़ों को सबक सिखाए। ‘ इस प्रकार लिंकन अपने पुत्र को वे सारे गुण सिखाना चाहते थे, जिनसे वह एक आदर्श नागरिक बने।
प्रश्न 2.
लिंकन अपने पुत्र को कैसा बनाना चाहते थे ?
उत्तर :
लिकन अपने पुत्र को एक निर्भय और सत्यनिष्ठ इंसान बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि उनका पुत्र पसीना बहाकर धन कमाना सीखे। वह हार को झेलना सीखे और जीतने पर उसकी खुशी में फुला न समाए। वह किसी से ईष्या-द्वेष न करे और हर्ष में भी संयम रखे। वह गुंडों से डरने के बदले उन्हें झुकाने की कला सीखे। वह प्रकृति के सौंदर्य और ऐश्वर्य का प्रेमी बने। उसमें इतना आत्मविश्वास हो कि वह दूसरों की बातों में न आए। वह उस व्यक्ति जैसा बने जो दु:ख में भी हंसता है और दूसरों की बातों में आकर अपना मार्ग कभी न छोड़े। लिकन अपने पुत्र को वीर, धैर्यवान, स्वावलंबी, न्यायप्रिय व्यक्ति बनाना चाहते थे।
प्रश्न 3.
अब्राहम लिंकन ने यह पत्र किसको ध्यान में रखकर लिखा होगा, अपने पुत्र या उसके शिक्षक को, तर्कपूर्ण उत्तर लिखिए।
उत्तर :
अब्राहम लिंकन ने यह पत्र, पुत्र के शिक्षक को ध्यान में रखकर लिखा होगा। पत्र में लेखक ने शिक्षक को उसके कर्तव्यों की याद दिलाई है। शिक्षक के सामने वे बातें रखी गई हैं जिन्हें ध्यान में रखकर बालक को शिक्षा देनी है। उसे बालक में उन गुणों को निखारना है जिनका संकेत पिता ने पत्र में किया है। शिक्षक को बालक के पिता की उन इच्छाओं को पूरा करना है जो उसने पत्र में व्यक्त की हैं। इस प्रकार पत्र लिखते समय शिक्षक ही लिंकन के ध्यान में रहा होगा।
प्रश्न 4.
आपको पत्र का कौन-सा अंश अच्छा लगा ? क्यों ?
उत्तर :
मुझे पत्र का अंतिम अंश अच्छा लगा। इस अंश में लिंकन शिक्षक से कहते हैं कि वह उनके पुत्र के प्रति केवल ममता का व्यवहार न करें। उनका कर्तव्य उसे एक आदर्श मनुष्य बनाना है। इस कर्तव्य की पूर्ति शिष्य को लाड़ प्यार करने से नहीं, बल्कि उसके प्रति आवश्यक सख्ती बरतने से होगी। उन्हें उसे आग में तपाकर सोने की तरह निखारना है। इसके लिए उन्हें उसे सख्ती की आग में तपाना होगा। यदि वे आत्मविश्वासपूर्वक धीरज से काम लेंगे तो ही वे उसे एक आदर्श मनुष्य बनाने में समर्थ होंगे। इस प्रकार मेरी दृष्टि से पत्र का अंतिम अंश अत्यंत उद्देश्यपूर्ण और सार्थक है।
प्रश्न 5.
अब्राहम लिंकन क्यों चाहते हैं कि उनका पत्र पुस्तकों के भण्डार को जाने?
उत्तर :
अब्राहम लिंकन अपने पुत्र को एक आदर्श मनुष्य के रूप में देखना चाहते थे। वे जानते थे कि एक शिक्षक कितना भी पड़ाए वह अपूर्ण ही रहेगा। पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं। विविध विषयों की जानकारी पुस्तकों से ही मिल सकती है। ज्ञान और जानकारी की पूर्णता पुस्तकों से ही मिलनी संभव है। मानसिक क्षमता और प्रतिभा का विकास पुस्तकों के अध्ययन से ही हो सकता है। इसलिए अब्राहम लिंकन चाहते हैं कि उनका पुत्र पुस्तकों के भंडार को जाने।
5.
प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए :
- असफलता
- हर्ष
- संयम
- झुकाना
- विशुद्ध
उत्तर :
- असफलता × सफलता
- हर्ष × शोक
- संयम × असंयम
- झुकाना × उठाना
- विशुद्ध × अशुद्ध
प्रश्न 2.
सामासिक शब्दों का विग्रह करके समास का प्रकार बताइए:
- पुरुषोत्तम
- पाठशाला
- न्यायोचित
- ईर्ष्या-द्वेष
उत्तर :
- पुरुषोत्तम – पुरुषों में उत्तम – तत्पुरुष समास
- पाठशाला – पाठ के लिए शाला – तत्पुरुष समास
- न्यायोचित – न्याय के लिए उचित – तत्पुरुष समास
- ईर्ष्या-द्वेष – ईर्ष्या और द्वेष – द्वन्द्व समास
GSEB Solutions Class 11 Hindi शिक्षक के नाम पत्र Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखित
प्रश्न 1.
बालक को किसे ग्रहण करना चाहिए?
उत्तर :
बालक को दूसरों की बातों को सत्य की छलनी में छानकर बचे हुए विशुद्ध को ग्रहण करना चाहिए।
प्रश्न 2.
लिंकन का पुत्र क्या कभी न बेचे?
उत्तर :
लिंकन का पुत्र अपना हृदय और अपनी आत्मा कभी न बेचे।
व्याकरण
समानार्थी शब्द लिखिए :
- आदर = सम्मान
- घाव = चोट
- दुश्मन = शत्रु
- सहायक = मददगार
- झटपट = शीघ्र
- मूल्यवान = कीमती, अनमोल
- हर्ष = प्रसन्नता
- आसान = सरल
- फुरसत = अवकाश
- गगन = आकाश
- बेईमानी = अनैतिकता
- साहस = हिम्मत
- चाटुकारी = चापलूसी
- विश्वास = भरोसा
- धीरज = धैर्य
विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
- गलत × सही
- बेईमानी × ईमानदारी
- विजय × पराजय
- मित्र × शत्रु
- जिंदगी × मौत
- दुश्मन × दोस्त
- हार × जीत
- आँसू × मुसकान
- कमाई × खर्च
- धीरज × अधीरता
शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :
- अनदेखा – अन
- अधीर – अ
- सच्चरित – सद्
- अत्यधिक – अति
- अनावश्यक – अन
शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :
- आदरणीय – ईय
- स्वार्थी – ई
- राजनैतिक – इक
- मूल्यवान – वान
- सुंदरता – ता
शिक्षक के नाम पत्र Summary in Gujarati
ભાવાત્મક અનુવાદ :
અબ્રાહમ લિંકન કહે છે કે ગુરુજી, એ જરૂરી નથી કે બધા લોકો ન્યાયના માર્ગ પર ચાલે અને બધા લોકોમાં સત્ય પ્રત્યે નિષ્ઠા હોય. ભલે, મારો દીકરો એ વાત ક્યારેક જરૂર શીખશે. તેઓ કહે છે કે તેને આપ આ બધી વાતો પણ શીખવજો. – દુનિયામાં અનેક પ્રકારના લોકો હોય છે. ખરાબ પણ હોય છે અને સારા પણ હોય છે. દુનિયામાં બદમાશોની કમી નથી, પણ તેવી રીતે સારા ચરિત્રવાળા સજ્જન પણ હોય છે. જે રીતે સંસારમાં રાજનેતાઓમાં સ્વાર્થી રાજનેતા હોય છે તેવી રીતે નિઃસ્વાર્થ ભાવથી પોતાનું આખું જીવન જનકલ્યાણ માટે કુરબાન કરી દેનારા નેતાઓ પણ દુનિયામાં હોય છે.
આ સંસારમાં દરેક પ્રકારના મનુષ્ય હોય છે, જ્યાં તાકીને દુશમનો તકની રાહ જોઈને બેઠેલા હોય છે, ત્યાં એવા મિત્ર પણ હોય છે, જે સદા આપણી મદદ કરવા તત્પર હોય છે,
તેઓ અધ્યાપકની ક્ષમતાની ચર્ચા કરતાં કહે છે કે બધી બાબતો તરત જ શીખવી શકાતી નથી, તેની મને ખબર છે. છતાં પણ સંભવ હોય તો આપ મારા દીકરાને આ બાબતો અવશ્ય શીખવજો – મહેનતનો કોઈ પર્યાય નથી. મહેનતથી કમાયેલો એક પૈસો પણ મફતમાં મળેલી હાંડી ભરેલી મુદ્રાઓ કરતાં પણ વધારે મૂલ્યવાન હોય છે. આપ તેને એ બાબતો શીખવશો કે કઠોર પરિશ્રમ કરેલા પ્રયાસ પછી અસફળતા મળે તો તે કેવી રીતે સહન કરી શકાય. તેને એ પણ સમજાવશો કે તેને સફળતા મળે, તેની જીત થાય તો તે એનું પ્રદર્શન ન કરે અને એ ખુશાલીને ખુદ એક્લો જ મનાવે.
તેઓ અધ્યાપકને કહે છે કે આપ કરી શકો તો મારા દીકરાને એ શીખવશો કે તે સદા ઈર્ષ્યા-દ્વેષથી દૂર રહે – કોઈના પ્રત્યે ઈર્ષ્યા-દ્વેષ ન રાખે. તેને શીખવશો કે તે પોતાની ખુશીનું વધારે પડતું પ્રદર્શન ન કરે, પોતાના પર સંયમ રાખે. આપ તેને કહો કે મોટો થઈને તે ગુંડાઓ – બદમાશોથી ડરે નહિ, કારણ કે ગુંડા – બદમાશો પર કાબુ મેળવવો ખૂબ સહેલો હોય છે. પુસ્તકોના અદ્ભુત સંસાર સાથે તેનો વધુમાં વધુ પરિચય કરાવજો, પરંતુ તેને આ સુંદર સંસારનું શાશ્વત સૌંદર્ય જોવાનો અને અનુભવ કરવાનો અવસર પણ આપશો.
આપ તેને આકાશમાં પક્ષીઓને ઉન્મુક્તરૂપે ઊડતાં અને સોનેરી તડકામાં ચક્કર મારતા ભમરાને જોવાનો અવસર આપશો. તે હર્યાભર્યા પહાડોના ઢોળાવ પર ઝૂમતાં, ઝૂલતાં નાનાં નાનાં ફ્લોને પણ જુએ. વિદ્યાલયમાં તેને એ શીખવવામાં આવે કે બેઈમાનીથી મળેલી સફળતા સાચી સફળતા હોતી નથી. તેના કરતાં સીધે-સીધી મળેલી અંસળતા જ સારી હોય છે.
આપ તેને એ શીખવશો કે તે સદા પોતાના વિચારો, પોતાની સમજણ પર વિશ્વાસ રાખે. ભલે લોકો તેને આ માટે ખોટો ઠેરવે, પરંતુ તે પોતાના વિશ્વાસ પર અટલ રહે. સારા લોકો સાથે તે સારો વ્યવહાર કરે, પરંતુ કુટિલ લોકોને તે જરૂર પાઠ ભણાવે. આપ મારા દીકરાને સમજાવી શકો તો તેને સમજાવશો કે તે પોતાનું અસ્તિત્વ જાળવી રાખે અને કોઈનો જય બોલનારા લોકોની ભીડનો હિસ્સો ન બને. આપ તેને આ વાત પણ સમજાવશો કે તે સૌની વાતો સાંભળે, પરંતુ તેને સત્યની કસોટી પર કસીને સાચી વાત ગ્રહણ કરે અને અનાવશ્યક બાબતો પર ધ્યાન ન આપે.
જો આપથી સંભવ હોય, તો આપ તેના મનમાં એ ભાવના પેદા કરજો કે ભલે ગમે તેટલું દુઃખ પડે, તેના પર ધ્યાન આપશો નહિ. તે ભૂલીને મુખ પર સ્મિત રાખશો. તેને એ પણ સમજાવશો કે દીન-દુઃખીઓનાં કષ્ટ જોઈને દ્રવિત થાય અને આંસુ સારતાં ન ખચકાય. આપ તેને શીખવશો કે તે છીછરાપણાને મહત્ત્વ ન આપે અને ખુશામતિયાઓથી સાવધાન રહે.
તેને સમજાવશો કે તે પોતાની બુદ્ધિ અને શક્તિના બળે ખૂબ ધન કમાય, પણ ધનને માટે પોતાના આત્મા અને હૃદયને કદી ન વેચે. અર્થાત્ કોઈની અધીનતા સ્વીકાર ન કરે. પોતાનું સ્વાભિમાન કાયમ સાચવી રાખે, જો લોકો તેને તેના કોઈ સારા કામ માટે ધિક્કાર કરે, તે તેની અવગણના કરે. તેના મન પર એવી છાપ છોડશો કે જે તેને સાચું લાગે અને ન્યાયોચિત હોય. એને માટે હંમેશાં અડગ થઈ રહે.
આપને આગ્રહ છે કે આપ મારા દીકરાને લાડ-પ્યારા કરીને તેનું જીવન બરબાદ કરશો નહિ. જો કંઈ આપવા ઇચ્છતા હો તો તેને પોતાની મમતા આપજો; કારણ કે મજબૂત ફૌલાદનું નિર્માણ ત્યારે થાય છે, જ્યારે લોખંડ આગમાં તપીને શુદ્ધ થઈને નીકળે છે. આપ તેનામાં એ આદત વિકસાવશો, જેથી તે વ્યાકુળ થવા છતાં ધીરજ રાખે. જો તેને બહાદુરી બતાવવી હોય, તો ધીરજથી કામ કરે. આપણામાં માનવજાતિ તરફ મહાન શ્રદ્ધાનો ત્યારે જ વિકાસ થશે. આપણે પોતાનામાં પ્રબળ વિશ્વાસ ઉત્પન્ન કરવો પડશે.
અબ્રાહમ લિંકન પોતાના દીકરાના અધ્યાપકની ક્ષમા માગતાં કહે છે, “ગુરુજી મને ક્ષમા કરો. હું ખૂબ વધારે પડતું બોલી રહ્યો છું કે આપની પાસે ઘણું વધારે માગી રહ્યો છું, પરંતુ આપનાથી જેટલું થઈ શકે એટલું જરૂર કરશો. મારો દીકરો ખૂબ પ્રિય બાળક છે.”
शिक्षक के नाम पत्र Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
पत्र शैली में लिखी गई यह लंबी कविता अमेरिका के प्रसिद्ध राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा अपने बेटे के अध्यापक को लिखी गई है। इसमें उन्होंने अध्यापक से पढ़ाई के साथ-साथ अपने बेटे को उन बातों को सिखाने के लिए कहा है, जो उसे बड़ा होने पर एक अच्छा, समझदार, विवेकशील, परिश्रमी, सच्चरित्र और आत्मनिर्भर नागरिक बना सकें और समाज में वह अच्छे-बुरे लोगों की पहचान कर उनके साथ उचित व्यवहार करने लायक बन सके। यह मूल पत्र का हिन्दी पद्य में रूपांतरित रूप है।
कविता का सरल अर्थ :
आदरणीय ……. नेता भी।
अब्राहम लिंकन कहते हैं कि गुरुजी, यह जरूरी नहीं है कि सभी लोग न्याय के मार्ग पर चलें और सभी लोगों में सच्चाई के प्रति निष्ठा हो। खैर, मेरा बेटा यह बात कभी-न-कभी जरूर सीखेगा। वे कहते हैं कि उसे आप ये सब बातें भी सिखाइए।
दुनिया में हर प्रकार के लोग होते हैं – बुरे भी होते हैं और अच्छे भी होते हैं। दुनिया में बदमाशों की कमी नहीं है, पर उसी तरह अच्छे चरित्रवाले सज्जन व्यक्ति भी होते हैं। जिस प्रकार संसार में राजनेताओं में स्वार्थी राजनेता होते हैं, उसी प्रकार निःस्वार्थ भाव से अपना सारा जीवन जन-कल्याण के लिए निछावर कर देनेवाले नेतागण भी दुनिया में होते हैं।
होते हैं घात …….. स्वयं से मनाए।
इस संसार में हर प्रकार के मनुष्य होते हैं। जहां घात लगाए हुए दुश्मन मौके की तलाश में बैठे होते हैं, वहीं ऐसे मित्र भी होते हैं, जो सदा हमारी सहायता करने के लिए तत्पर रहते हैं।
वे अध्यापक की क्षमता की चर्चा करते हुए कहते हैं कि मैं जानता हूँ कि सभी बातें तुरंत सिखाई नहीं जा सकतीं। फिर भी यदि संभव हो, तो आप मेरे बेटे के मन में ये बातें अवश्य बिठा दीजिए कि मेहनत का कोई पर्याय नहीं है। मेहनत से कमाया हुआ एक पैसा भी मुफ्त में मिले हंडे (में भरी मुद्राओं) से अधिक मूल्यवान होता है। आप उसे (बेटे को) यह बात सिखाइए कि कठिन परिश्रम से किए गए प्रयास के बाद भी असफलता मिलती है, तो वह किस प्रकार बर्दाश्त की जाती है और उसे यह भी बताइए कि यदि उसे सफलता मिले, उसकी जीत हो, तो वह इसका दिखावा न करे और वह इस खुशी को खुद अकेले में मना ले।
अगर आप में …… महसूस कर पाए।
वे अध्यापक से कहते हैं कि यदि आप कर सकें, तो मेरे बेटे को यह सिखाएं कि वह सदा ईर्ष्या-द्वेष से दूर रहे – किसी से ईर्ष्याद्वेष न करे। उसे सिखाइए कि वह अपनी खुशी का अत्यधिक प्रदर्शन न करे, अपने आप पर संयम रखे। आप उससे कहिए कि बड़ा होकर वह गुंडों-बदमाशों से न डरे, क्योंकि गुड़ों-बदमाशों पर काबू पाना बहुत आसान होता है। पुस्तकों के अद्भुत संसार से अधिक से अधिक उसका परिचय कराएं, पर उसे इस सुंदर संसार के शाश्वत सौंदर्य को देखने और महसूस करने का अवसर भी दीजिए।
देख पाए वह …….. श्रेयस्कर है।
आप उसे आकाश में चिड़ियों की उन्मुक्त रूप से उड़ते हुए और सुनहली धूप में मंडराते हुए भौंरों को देखने का अवसर दें। वह हरे भरे पहाड़ों की ढलान पर झूमते, बलखाते हुए नन्हे-नन्हे फूलों को भी देखे। विद्यालय में उसे यह सिखाया जाए कि बेईमानी से मिली सफलता असली सफलता नहीं होती, उससे तो सीधे-सीधे मिली असफलता ही अच्छी होती है।
यह सिखाइए कि ……. करे विशुद्ध सार।
आप उसे यह सिखाइए कि वह सदा अपने विचारों और अपनी सूझ-बूझ पर विश्वास रखे। भले ही लोग उसे इसके लिए गलत ठहराएँ, पर वह अपने विश्वास पर अटल रहे। अच्छे लोगों के साथ वह अच्छा व्यवहार करे, पर कुटिल लोगों को सबक जरूर सिखाए। यदि आप मेरे बेटे को समझा सकें तो उसे समझाइए कि वह अपना अलग अस्तित्व बनाए और किसी की जय बोलनेवाले लोगों की भीड़ का हिस्सा न बने। आप उसे यह बात भी समझाइए कि वह सबकी बातें सुने, पर उसे सत्य की कसौटी पर कसकर सही बात को ग्रहण करे और अनावश्यक बातों पर ध्यान न दें।
बन पड़े तो उतारिए …… पाँव लड़ता रहे।
यदि आपसे हो सके तो आप उसके मन में यह भावना पैदा करें कि भले ही कितना दुःख क्यों न हो, उस पर ध्यान न दे, उसे भूलकर चेहरे पर मुस्कान बिखेरता रहें। यह भी बताइए उसे कि दीन-दुखियों के कष्ट देखकर वह द्रवित हो और आंसू बहाने से न हिचके। आप उसे सिखाइए कि वह छिछोरेपन को महत्त्व न दे और चाटुकारों से सावधान रहें।
उसे समझाइए कि वह अपनी बुद्धि और ताकत के बल पर खूब धन कमाए पर धन के लिए अपनी आत्मा और अपना हृदय कभी न बेचे। अर्थात किसी की अधीनता स्वीकार न करे, अपना स्वाभिमान सदा बनाए रहे। यदि लोग उसे उसके किसी अच्छे कार्य के लिए धिक्कारें, तो वह उसे अनदेखा कर दे। उस पर ऐसी छाप छोडिए कि जो उसे सही जान पड़े और न्यायोचित हो, उसके लिए सदा अडिग होकर अड़ा रहे।
उसे ममता दीजिए…. प्यारा बच्चा है, भाई!
आपसे आग्रह है कि आप मेरे बेटे को लाड़-प्यार करके उसका जीवन न बरबाद करें। अगर कुछ देना चाहते हैं तो उसे अपनी ममता दें। क्योंकि मजबूत फौलाद का निर्माण तभी होता है, जब लोहा आग में जल-तपकर शुद्ध होकर निकलता है। आप उसमें यह आदत डालें कि वह व्याकुल होने पर धीरज संजोए। अगर उसे बहादुरी दिखानी है, तो वह धैर्य से काम ले। हम में मानवजाति के प्रति महान श्रद्धा तभी उत्पन्न होगी। हमें अपने आप में प्रबल विश्वास उत्पन्न करना होगा।
अब्राहम लिंकन अपने बेटे के अध्यापक से क्षमा मांगते हुए कहते हैं कि गुरुजी, मुझे क्षमा करें। मैं बहुत ज्यादा बोल रहा हूँ। मैं आपसे बहुत कुछ मांग रहा हूँ। पर आपसे जितना हो सके, उतना जरूर कीजिए। मेरा बेटा बहुत प्यारा बच्चा है।
शिक्षक के नाम पत्र शब्दार्थ :
- न्यायप्रिय – जो सदा न्याय करता हो।
- सत्यनिष्ठ – सच्चाई के प्रति निष्ठावान होना।
- साधुत्तचरित्र – अच्छे स्वभाव व चालचलनवाला।
- पुरुषोत्तम – वह जो पुरुषों में श्रेष्ठ हो।
- स्वार्थी – जिसे अपने ही हित या लाभ का ध्यान रहता हो।
- घात – किसी के खिलाफ कोई काम करने का मौका ढूढ़ते रहना।
- जमाना – (यहाँ) कोई बात सुदृढ करना।
- फोकट – मुफ्त। हंडे-(सोने-चांदी की मुद्राओं से भरा) घड़ा।
- झेलना – सहना, बर्दाश्त करना।
- हर्ष – आनंद, प्रसन्नता।
- वैभव – ऐश्वर्य, महत्त्व।
- फुरसत – अवकाश।
- सनातन – स्थायी, सदा रहनेवाली।
- गगन उड़ान – आकाश में उड़ना।
- मंडराना – बार-बार एक ही स्थान पर धूम-घूमकर उड़ना।
- श्रेयस्कर – श्रेष्ठ।
- टेढ़ों – उजड, बुरे लोग।
- विशुद्ध – तत्त्व, मूल।
- सार – मूल तत्त्व।
- उतारना – (यहाँ) बिठा देना, भर देना।
- ओछापन – छिछोरापन।
- चाटुकारी – खुशामद करना।
- लागत – वह व्यय जो किसी चीज की तैयारी में किया जाए।
- खातिर – के लिए।
- धीरज – धैर्य।
- उदात्त – उच्च, श्रेष्ठ।
मुहावरे – अर्थ और वाक्य-प्रयोग
- पसीना बहाना – कड़ी मेहनत करना
वाक्य : कारखाने में मशीनों पर काम करनेवाले मजदूर आठ घंटे पसीना बहाते हैं। - सबक सिखाना – दंड देना
वाक्य : नेता ने मतदाताओं को धमकी दी कि जिन लोगों ने उन्हें वोट नहीं दिया, उन्हें वे जरूर सबक सिखाएंगे।