Gujarat Board GSEB Hindi Textbook Std 11 Solutions Chapter 6 भारतमाता की जय Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Chapter 6 भारतमाता की जय
GSEB Std 11 Hindi Digest भारतमाता की जय Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. सही विकल्प पसंद करके उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
लेखक को अचानक रुकना पड़ा क्योंकि…
(क) आगे जाने का रास्ता बंद था।
(ख) सड़क पर बड़ा गड्ढा था।
(ग) सड़क पर आदमी और औरतों की भीड़ थी।
(घ) बीच रास्ते में शेर बैठा था।
उत्तर :
लेखक को अचानक रुकना पड़ा, क्योंकि सड़क पर आदमी और औरतों की भीड़ थी।
प्रश्न 2.
जाद लोग पूरी ताकत से नारे लगाते थे क्योंकि…
(क) इससे उन्हें खुशी मिलती थी।
(ख) वे अपने मालिक को खुश करना चाहते थे।
(ग) उसके बदले में उनको पैसे मिलते थे।
(घ) वे नेहरूजी को खुश करना चाहते थे।
उत्तर :
जाद लोग पूरी ताकत से नारे लगाते थे, क्योंकि इससे उन्हें खुशी मिलती थी।
प्रश्न 3.
एक आदमी ने माता का मतलब धरती बताया, क्योंकि…
(क) वह सैनिक था।
(ख) उसकी माता मर चुकी थी।
(ग) वह किसान था।
(घ) वह नेता था।
उत्तर :
एक आदमी ने माता का मतलब धरती बताया, क्योंकि वह किसान था।
प्रश्न 4.
भोले-भाले चेहरों पर प्रकाश की रेखा दिखाई दी, क्योंकि…
(क) उन्हें पार्टी में शामिल किया गया था।
(ख) उनकी जमीन वापस मिल गयी थी।
(ग) नेताजी उनकी तारीफ कर रहे थे।
(घ) यह ज्ञान उनके लिए विचित्र था।
उत्तर :
भोले-भाले चेहरों पर प्रकाश की रेखा दिखाई दी, क्योंकि यह ज्ञान उनके लिए विचित्र था।
2. एक-एक वाक्य में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
लेखक तेजी से दिल्ली क्यों पहुँचना चाहते थे ?
उत्तर :
लेखक तेजी से दिल्ली पहुंचना चाहते थे, क्योंकि वहाँ पहुंचकर उन्हें गाड़ी पकड़नी थी।
प्रश्न 2.
रात के अंधरे में कुछ लोगों के हाथों में क्या था ?
उत्तर :
रात के अंधेरे में कुछ लोगों के हाथों में मशालें थीं।
प्रश्न 3.
नारा लगाकर किसान किसमें डर पैदा करते थे ?
उत्तर :
नारा लगाकर किसान अपने प्रतिद्वन्द्रियों में डर पैदा करते थे।
प्रश्न 4.
महादेश हिन्दुस्तान सबके लिए क्या है ?
उत्तर :
महादेश हिंदुस्तान सबके लिए ‘भारतमाता’ है।
प्रश्न 5.
हम भारतमाता की जय बोलते हैं. तो किसकी जय बोलते हैं ?
उत्तर :
हम भारतमाता की जय बोलते हैं तो उन सबकी जय बोलते हैं, जो भारत में रहते हैं।
3. दो-तीन वाक्यों में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
नेहरू जी जाद मर्दो और औरतों के बीच में क्यों गये ?
उत्तर :
जाट औरत-मर्द बीच सड़क पर बैठे हुए दोपहर से नेहरूजी के आने का इंतजार कर रहे थे। रात को नेहरूजी का काफिला वहाँ पहुंचा, तो वे आगे बढ़कर उनके पास आए। नेहरूजी को लगा उन लोगों से थोड़ी-बहुत बातचीत किए बिना आगे बढ़ना मुमकिन नहीं है। इसलिए वे गाड़ी से बाहर आए और जाट मर्दो और औरतों के बीच उनसे बातें करने के लिए उनके बीच बैठ गए।
प्रश्न 2.
लोग एक दूसरे का मुँह क्यों ताकने लगे ?
उत्तर :
नेहरूजी ने जाट मों और औरतों से पूछा कि ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारतमाता की जय’ के नारे किसलिए हैं? वे लोग नेहरूजी के इन प्रश्नों का मतलब समझ नहीं पाए। इसलिए वे एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे।
प्रश्न 3.
लेखक ने कौन-सा पेचीदा सवाल किया ?
उत्तर :
नेहरूजी बाहर आकर जाट मर्दी और औरतों के बीच बैठ गए, तो लोगों ने ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारतमाता की जय के नारे लगाए। इस पर नेहरूजी ने उनसे पूछा कि बताइए यह ‘माता’ कौन है, जिसको आपने प्रणाम किया है और जिसकी जय के नारे लगाए हैं? लोगों के लिए यह पेचीदा सवाल था।
प्रश्न 4.
भारत कहाँ से कहाँ तक फैला है ?
उत्तर :
भारत उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक फैला है। इसमें पंजाब, बंगाल, मुंबई, चेन्नई (मद्रास) आदि सब शामिल हैं।
प्रश्न 5.
लोगों को हार्दिक प्रसन्नता कब हुई ?
उत्तर :
नेहरूजी ने जाटों की भीड़ को समझाया कि ‘भारतमाता की जय’ बोलकर हम उन सबकी जय बोलते हैं, जो भारत में रहते हैं। यह जय उन सबकी जय है, जो इस देश के गांवों और शहरों में बसते हैं। इस प्रकार नेहरूजी के समझाने पर लोगों को हार्दिक प्रसन्नता हुई।
4. पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दीजिए :
प्रश्न 1.
‘भारतमाता की जय!’ का नारा हमें किसकी सेवा करने की प्रेरणा देता हैं. ?
उत्तर :
‘भारतमाता’ का अर्थ वे सभी लोग हैं, जो इस विशाल देश में रहते हैं। इनमें वे करोड़ों किसान हैं जिनके जीवन में एक जैसी समस्याएं हैं। गांवों में रहनेवाले इन लोगों का जीवन तरह-तरह की मुश्किलों और आफतों से भरा हुआ है। वे गरीबी के बोझ से दबे जा रहे हैं। ‘भारतमाता की जय’ का नारा हमें इन देशवासियों की सेवा करने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न 2.
‘भारतमाता कोई सुन्दर बेबस नारी नहीं हैं !’ इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रायः कुछ चित्रों, कैलेन्डरों आदि में भारतमाता को एक महिला के रूप में दिखाया जाता है। जब देश पराधीन था, तब भारतमाता को एक बेबस नारी के रूप में दिखाया जाता था। वास्तव में भारतमाता तो हमारे देश की वह विशाल जनता है जो हजारों गाँवों और शहरों में रहती है। देश के करोड़ों गरीब किसान और मजदूर भारतमाता के रूप हैं। इनके सुख-दुःख, इनकी गरीबी-अमीरी भारतमाता के सुख-दुःख और गरीबी-अमीरी को दर्शाते हैं। इनके जीवन की दशा ही भारतमाता का स्वरूप है।
5. समास विग्रह करके समास के नाम बताइए:
प्रश्न 1.
- भारतमाता
- हिमालय
- महादेश
- यथाशक्ति
उत्तर :
- भारतमाता – भारतरूपी माता-कर्मधारय समास
- हिमालय – हिम के लिए आलय – तत्पुरुष समास
- महादेश – महान देश – कर्मधारय समास
- यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार – अव्ययीभाव समास
6. प्रत्यय अलग कीजिए :
प्रश्न 1.
- बढ़कर
- चाहनेवाली
- नारीत्व
- प्रसन्नता
- हार्दिक
उत्तर :
- बढ़कर – कर
- चाहनेवाली – वाली
- नारीत्व – त्व
- प्रसन्नता – ता
- हार्दिक – इक
7. उपसर्ग अलग कीजिए :
प्रश्न 1.
- असहाय
- बेबस
- अनुपस्थित
- आजीवन
उत्तर :
- असहाय – अ
- बेबस – बे
- अनुपस्थित – अन्
- आजीवन – आ
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निम्नलिशिल प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में निखिए :
प्रश्न 1.
रात के अंधेरे में कुछ लोगों के हाथों में क्या था?
उत्तर :
जाट मर्दो और औरतों को नेहरूजी के आने की राह देखते-देखते दोपहर से रात हो गई थी। अंधेरे में अपने नेता को देखने के लिए कुछ लोगों ने मशाल जला रखी थी। यही मशाल सड़क पर जमा कुछ लोगों के हाथों में थी।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
इंतजार करनेवाले लोग कौन थे?
उत्तर :
इंतजार करनेवाले लोग जाट स्त्री-पुरुष थे।
प्रश्न 2.
जाट स्त्री-पुरुषों ने कौन-से नारे लगाए?
उत्तर :
जाट स्त्री-पुरुषों ने ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारतमाता की जय’ ये कौमी नारे लगाए।
व्याकरण :
समानार्थी शब्द लिखिए :
- हष्ट-पुष्ट = तंदुरुस्त
- ईतजार = प्रतीक्षा
- मुमकिन = संभव
- प्रोत्साहन = बढ़ावा
- प्रतिकार = विरोध
- उज़ = विरोध
- पेचीदा = कठिन
- बेबस = असहाय
- अजीब = विचित्र
विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
- मुमकिन × नामुमकिन
- जय × पराजय
- खिन्न × प्रसन्न
- ताकत × कमजोरी
- भला × बुरा
- मुश्किल × आसान
- कल्पित × वास्तविक
- उज्ज्वल × धूमिल
शब्दों में से उपसर्ग अलग कीजिए :
- प्रतिद्वन्द्वी – प्रति
- उज्ज्वल – उत्
- अपरिचित – अ
- महादेश – महा
- अनोखा – अ
- प्रोत्साहन – प्र
- विपक्ष – वि
- प्रतीक्षा – प्रति
शब्दों में से प्रत्यय अलग कीजिए :
- जींदार – दार
- धुंधलापन – पन
- वास्तविक – इक
- कल्पित – इत
- कमजोरी – ई
- उपस्थिति – इ
भारतमाता की जय Summary in Gujarati
ભાવાત્મક અનુવાદ
સડકની વચ્ચે ભીડઃ રાતનો સમય. નેહરુજીની ગાડી રોહતક – દિલ્લી રોડ પર ઝડપથી દિલ્લી તરફ આગળ વધી રહી હતી. એકાએક હજારો જાટોની સડક પર બેઠેલી ભીડને કારણે તેમને રોકાઈ જવું પડે છે. આ લોકો બપોરથી જ તેમની રાહ જોતાં અહીં ભેગા થયા હતા. તેમને જોતાં જ તેઓ ‘વંદે માતરમ્’ અને ‘ભારતમાતાનો જય’નાં સૂત્રો પોકારવા લાગે છે.
નેહરુજીનો સવાલ નેહરુજી તેમને પૂછે છે કે ‘વંદે માતરમ્ અને ‘ભારતમાતાનો જય’ કોના માટે છે? આ માતા કોણ છે, જેને તે લોકોએ પ્રણામ કર્યા છે અને તેઓ જેનો જય બોલી રહ્યા છે? ભોળા ગ્રામીણ લોકો તેમનો સવાલ સાંભળીને ચકિત થઈ જાય છે. તેમણે કદી તેનો અર્થ જાણવાનો પ્રયત્ન જ કર્યો નહોતો. ફક્ત સૂત્રો ઉચ્ચારતા હતા. કેવળ!
નેહરુજીની વ્યાખ્યા : ભોળા ગ્રામીણ જાટ લોકો અંતે નેહરુજીને જ આ સાંભળીને તેનો અર્થ સમજાવવાનો આગ્રહ કરે છે. નેહરુજીએ લોકોને કહ્યું કે ‘ભારતમાતા કોઈ સુંદર લાચાર અસહાય સ્ત્રી નથી, જે મોટે ભાગે કલ્પિત ચિત્રોમાં બતાવવામાં આવે છે.” હિંદુસ્તાન જ ભારતમાતા તેમણે લોકોને કહ્યું કે મહાન દેશ હિંદુસ્તાન તેઓ સૌને માટે ‘ભારતમાતા’ છે અને તેમાં રહેનારાં તેનાં બાળકો છે.
જય કોનો? : નેહરુજીએ તે લોકોને કહ્યું કે તેઓ જે ‘જય’ બોલી રહ્યા છે, તે પેલી કલ્પિત સ્ત્રી(ભારતમાતા)ની નથી, તેઓ આ જય એ સૌ લોકોની બોલે છે, જે ભારત(હિંદુસ્તાન)માં રહે છે. જેઓ આ દેશનાં ગામો અને નગરોના ખૂણેખૂણામાં વસે છે. સૌ ભારતવાસી ભાઈ છે. તેમણે લોકોને સમજાવ્યું કે ભારતમાતાનાં સૌ બાળકો પરસ્પર ભાઈ-ભાઈ છે. તેમાં આપ અને આપના ભાઈ સૌ કોઈ આવે છે.
આખા હિંદુસ્તાનનાં ભાઈ-બહેનોનો જય: નેહરુજીએ તેમને કહ્યું કે જ્યારે તેઓ “ભારતમાતાનો જય’ બોલે છે, તો સ્વયે પોતાની અને આખા હિંદુસ્તાનના પોતાનાં સૌ ભાઈ-બહેનોનો જય બોલે છે. અર્થાત્ ‘ભારતમાતા’ ભારતમા નાર। સહી છે.
અદ્દભુત જ્ઞાનઃ આ જ્ઞાન રોહતક જિલ્લાના જાટ ખેડૂતો માટે વિચિત્ર હતું. તેઓને એ વાતની માહિતી મળી કે જે સૂત્રો તેઓ આટલા દિવસોથી પોકારી રહ્યા હતા, તે તેમને માટે જ હતાં.
भारतमाता की जय Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
पंडित जवाहरलाल नेहरू जनता के प्रिय नेता थे। लोग उनसे भेंट करने के लिए घंटों सड़क के किनारे खड़े होकर इंतजार करते और तरह-तरह के नारे लगाया करते थे। इस पाठ में उनसे मिलने के लिए आतुर कुछ लोगों की ऐसी ही भीड़ के बारे में स्वयं नेहरूजी ने बताया है, जो उनके सम्मान में ‘भारतमाता की जय’ के नारे लगा रही थी। इस नारे के अर्थ से अपरिचित भोले-भाले लोगों को नेहरूजी स्वयं इसका वास्तविक अर्थ समझाकर बताते हैं।
पाठ का सार :
बीच सड़क पर भीड़ : रात का समय। नेहरूजी की गाड़ी रोहतक – दिल्ली रोड पर तेजी से दिल्ली की ओर बढ़ी जा रही थी। यकायक हजारों जाटों की सड़क पर बैठी भीड़ के कारण उन्हें रुक जाना पड़ता है। ये लोग दोपहर से ही उनकी प्रतीक्षा में यहाँ जमा थे। उन्हें देखते ही वे ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारतमाता की जय’ के नारे लगाने लगते हैं।
नेहरूजी का सवाल : नेहरूजी उनसे पूछते हैं कि ‘वंदे मातरम्’ और ‘भारतमाता की जय’ किसलिए है? यह माता कौन है, जिसे उन लोगों ने प्रणाम किया है और जिसकी वे जय बोल रहे है? भोले-भाले ग्रामीण लोग उनके सवाल सुनकर चकित हैं। उन्होंने कभी इनके अर्थ जानने की कोशिश ही नहीं की थी। सिर्फ नारे लगा देते थे। बस।
नेहरूजी की व्याख्या : भोले-भाले ग्रामीण जाट अंत में नेहरूजी से ही इस सबका मतलब समझाने का आग्रह करते हैं। नेहरूजी ने लोगों को बताया कि “भारतमाता कोई सुंदर बेबस असहाय नारी नहीं है, जैसा अकसर कल्पित तस्वीरों में दिखाया जाता है।”
हिंदुस्तान ही भारतमाता : उन्होंने लोगों को बताया कि महादेश हिंदुस्तान उन सबके लिए ‘भारतमाता’ है और उसमें रहनेवाले उसके बच्चे हैं। जय किसकी? नेहरूजी ने उन लोगों को बताया कि वे जो ‘जय’ बोल रहे हैं, वह उस कल्पित स्त्री (भारतमाता) की नहीं है, वे यह जय उन सभी लोगों की बोलते हैं, जो भारत (हिंदुस्तान) में रहते हैं। जो इस देश के गाँवों और नगरों में चप्पे-चप्पे में बसते हैं।
सभी भारतवासी भाई : उन्होंने लोगों को समझाया कि भारत माँ के सभी बच्चे आपस में भाई-भाई हैं। उनमें आप और आपके भाई सब हैं।
हिंदुस्तान भर के भाई-बहनों की जय : नेहरूजी ने उन्हें बताया कि जब वे ‘भारतमाता की जय’ बोलते हैं, तो खुद अपनी और हिंदुस्तान भर के अपने सभी भाई-बहनों की जय बोलते हैं। अर्थात् ‘भारतमाता’ भारत में रहनेवाले लोग ही हैं।
अदभुत ज्ञान : यह ज्ञान रोहतक जिले के जाट किसानों के लिए विचित्र था। उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि जो नारा वे इतने दिनों से लगाते आ रहे थे, वह उन्हीं के लिए था।
भारतमाता की जय शब्दार्थ :
- मशाल – डंडे में चीथड़े लपेटकर बनाई हुई मोटी बत्ती, जिसे तेल से तर करके जलाते हैं।
- हृष्ट-पुष्ट – तगड़ा, हट्टा-कट्टा।
- जमींदार – जमीन का मालिक, काश्तकार।
- मुमकिन – जो हो सके, संभाव्य।
- घूरना – आँख गड़ाकर देखना।
- ताकना – देखना, स्थिर दृष्टि से देखना।
- खिन्न – उदास, चिंतित।
- प्रोत्साहन – उत्साह बढ़ाना।
- अजीब – अनोखा।
- उज्ज – विरोध, आपत्ति।
- प्रतिद्वन्दियों – विरोधियों, विपक्षियों।
- बेहद – जिसकी सीमा न हो, असीम।
- महाद्वीप – बड़ा द्वीप, महादेश, पृथ्वी के सात मुख्य विभाग।
- बेबस – विवश, लाचार।
- कल्पित – मन से गढ़ी हुई, मानी हुई।
- हार्दिक – दिली।
- अनुभव करना – जान पड़ना, महसूस करना।
- उज्ज्वल – स्वच्छ, खिली हुई।