<div class=”entry-content clear” itemprop=”text” style=”height: auto !important;”>
<span id=”dpsp-post-sticky-bar-markup” data-mobile-size=”720″></span><span id=”dpsp-post-content-markup” data-image-pin-it=”false”></span><p>Gujarat Board <a href=”https://bhavyeducation.com/gseb-solutions-class-11-hindi/”>GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions</a> Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.</p>
<h2>GSEB Std 11 Hindi Textbook Solutions Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा</h2>
<p><strong>GSEB Class 11 Hindi Solutions नमक का दारोगा Textbook Questions and Answers</strong></p>
<p style=”text-align: center;”><span style=”color: #0000ff;”>अभ्यास</span></p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>पाठ के साथ</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों ?<br>
उत्तर :<br>
हमें कहानी का नायक मुंशी वंशीधर सबसे अधिक प्रभावित करता हैं । क्योंकि वंशीधर एक ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है । उन्होंने दारोगा के रुप में सबसे अधिक अमीर अलोपीदीन को गिरफ्तार करने का साहस दिखाया । उनकी ईमानदारी से अंत में अलोपीदीन भी प्रभावित हो जाता है और वंशीधर को अपनी जायदाद का मैनेजर नियुक्त कर देता है । इस प्रकार वंशीधर की ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा हमें सबसे अधिक प्रभावित करती है ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 2.<br>
‘नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं ?<br>
उत्तर :<br>
‘नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के दो विरोधाभासी चरित्र हमारे सामने उभरकर आते हैं । एक भ्रष्ट और धनवान जो अपने धन के बल पर अनैतिक धंधा (नमक का) करता था और सभी को धन का गुलाम बना के रख्खा था । दूसरा पक्ष ईमानदारी से प्रभावित होकर अलोपीदीन को अपनी जायदाद का मैनेजर बना देता है । इस प्रकार उज्ज्वल चरित्र हमारे सामने आता है ।</p>
<p>प्रश्न 3.<br>
कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी न किसी सच्चाई को उजागर करते हैं । निम्नलिखित पात्रों के संदर्भ में पाठ से उस अंश को उदत करते हुए बताइए कि यह समाज की किस सच्चाई को उजागर करते हैं –<br>
(क) वृद्ध मुंशी<br>
(ख) वकील<br>
(ग) शहर की भीड़<br>
उत्तर :<br>
क. वृद्ध मुंशी : वृद्ध मुंशी समाज में ऐसा पिता है जो धन को महत्त्व देनेवाला भ्रष्ट व्यक्ति है । वह अपने पुत्र वंशीधर को भी भ्रष्टाचार की ही शिक्षा देता है । वृद्ध मुंशी अपने पुत्र को समझाते हुए कहता है कि ‘मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है ।</p><div class=”google-auto-placed ap_container” style=”width: 100%; height: auto; clear: both; text-align: center;”><ins data-ad-format=”auto” class=”adsbygoogle adsbygoogle-noablate” data-ad-client=”ca-pub-5202228354256304″ data-adsbygoogle-status=”done” style=”display: block; margin: auto; background-color: transparent; height: 280px;” data-ad-status=”filled”><div id=”aswift_2_host” style=”border: none; height: 280px; width: 744px; margin: 0px; padding: 0px; position: relative; visibility: visible; background-color: transparent; display: inline-block; overflow: visible;” tabindex=”0″ title=”Advertisement” aria-label=”Advertisement”><iframe id=”aswift_2″ name=”aswift_2″ style=”left:0;position:absolute;top:0;border:0;width:744px;height:280px;” sandbox=”allow-forms allow-popups allow-popups-to-escape-sandbox allow-same-origin allow-scripts allow-top-navigation-by-user-activation” width=”744″ height=”280″ frameborder=”0″ marginwidth=”0″ marginheight=”0″ vspace=”0″ hspace=”0″ allowtransparency=”true” scrolling=”no” src=”https://googleads.g.doubleclick.net/pagead/ads?client=ca-pub-5202228354256304&output=html&h=280&adk=2421711174&adf=2885436107&pi=t.aa~a.2614655166~i.19~rp.4&w=744&fwrn=4&fwrnh=100&lmt=1664451059&num_ads=1&rafmt=1&armr=3&sem=mc&pwprc=9649435001&ad_type=text_image&format=744×280&url=https%3A%2F%2Fgsebsolutions.in%2Fgseb-solutions-class-11-hindi-aaroh-chapter-1%2F&fwr=0&pra=3&rh=186&rw=744&rpe=1&resp_fmts=3&wgl=1&fa=27&uach=WyJXaW5kb3dzIiwiMTAuMC4wIiwieDg2IiwiIiwiMTA1LjAuNTE5NS4xMjciLFtdLGZhbHNlLG51bGwsIjY0IixbWyJHb29nbGUgQ2hyb21lIiwiMTA1LjAuNTE5NS4xMjciXSxbIk5vdClBO0JyYW5kIiwiOC4wLjAuMCJdLFsiQ2hyb21pdW0iLCIxMDUuMC41MTk1LjEyNyJdXSxmYWxzZV0.&dt=1664451059267&bpp=5&bdt=2338&idt=-M&shv=r20220927&mjsv=m202209220101&ptt=9&saldr=aa&abxe=1&cookie=ID%3De591520914bfbb19-22f24ba9c2d600ed%3AT%3D1664450157%3ART%3D1664450157%3AS%3DALNI_MZHvBn0Chqd_wP4YMOBh0z1hcC8bQ&gpic=UID%3D000008711fdcc7ae%3AT%3D1664450157%3ART%3D1664450157%3AS%3DALNI_MZWtyz2yDOoAfPk8JBo62sE5Ci3Kw&prev_fmts=0x0%2C1200x280&nras=3&correlator=2963700413867&frm=20&pv=1&ga_vid=50764753.1664451059&ga_sid=1664451059&ga_hid=1502381309&ga_fc=0&u_tz=330&u_his=1&u_h=768&u_w=1366&u_ah=728&u_aw=1366&u_cd=24&u_sd=1&dmc=4&adx=129&ady=2062&biw=1349&bih=625&scr_x=0&scr_y=300&eid=44759876%2C44759927%2C44759842%2C31069963%2C42531706%2C44770881%2C31068919&oid=2&pvsid=2489826445182810&tmod=880265243&uas=0&nvt=1&ref=https%3A%2F%2Fgsebsolutions.in%2Fgseb-solutions-class-11-hindi-first-language%2F&eae=0&fc=1408&brdim=0%2C0%2C0%2C0%2C1366%2C0%2C1366%2C728%2C1366%2C625&vis=1&rsz=%7C%7Cs%7C&abl=NS&fu=128&bc=31&ifi=3&uci=a!3&btvi=1&fsb=1&xpc=6FZwTntWgi&p=https%3A//gsebsolutions.in&dtd=82″ data-google-container-id=”a!3″ data-google-query-id=”CPmzw7DzufoCFS1AwgUdWF8MRw” data-load-complete=”true”></iframe></div></ins></div>
<p>ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझाती है ।’ इस प्रकार युद्ध मुंशी के माध्यम से प्रेमचंद जी ने समाज में फैले भ्रष्टाचार को उजागर किया है । साथ ही समाज की उस सच्चाई को भी उजागर किया है कि भ्रष्टाचार समाज में इस प्रकार पैठ (घुस) गया है कि मुंशी जैसे पिता उसे शिष्टाचार या नैतिक मानने लगे हैं ।</p>
<p>ख. वकील : कहानी में वकील के माध्यम से वकीलों के चरित्र को उजागर किया है । जैसे धन को लूटना ही वकीलों का कर्तव्य है । धन के लिए ये अनैतिक को नैतिक, अयोग्य को योग्य और गैरकानूनी को कानूनी सिद्ध कर देते हैं । इस बात का उदाहरण भ्रष्ट पंडित अलोपीदीन को कोर्ट में से छुड़वाने के लिए वकीलों की सेना तैयार हो जाती है । और धन-बल पर अलोपीदीन को छुड़वा लेते हैं । मजिस्ट्रेट के अलोपीदीन के हक में फैसला सुनाने पर यकील खुशी से उछल पड़ता है ।</p><div class=”google-auto-placed ap_container” style=”width: 100%; height: auto; clear: both; text-align: center;”><ins data-ad-format=”auto” class=”adsbygoogle adsbygoogle-noablate” data-ad-client=”ca-pub-5202228354256304″ data-adsbygoogle-status=”done” style=”display: block; margin: auto; background-color: transparent; height: 280px;” data-ad-status=”filled”><div id=”aswift_3_host” style=”border: none; height: 280px; width: 744px; margin: 0px; padding: 0px; position: relative; visibility: visible; background-color: transparent; display: inline-block; overflow: visible;” tabindex=”0″ title=”Advertisement” aria-label=”Advertisement”><iframe id=”aswift_3″ name=”aswift_3″ style=”left:0;position:absolute;top:0;border:0;width:744px;height:280px;” sandbox=”allow-forms allow-popups allow-popups-to-escape-sandbox allow-same-origin allow-scripts allow-top-navigation-by-user-activation” width=”744″ height=”280″ frameborder=”0″ marginwidth=”0″ marginheight=”0″ vspace=”0″ hspace=”0″ allowtransparency=”true” scrolling=”no” src=”https://googleads.g.doubleclick.net/pagead/ads?client=ca-pub-5202228354256304&output=html&h=280&adk=2421711174&adf=3774263637&pi=t.aa~a.2614655166~i.23~rp.4&w=744&fwrn=4&fwrnh=100&lmt=1664451059&num_ads=1&rafmt=1&armr=3&sem=mc&pwprc=9649435001&ad_type=text_image&format=744×280&url=https%3A%2F%2Fgsebsolutions.in%2Fgseb-solutions-class-11-hindi-aaroh-chapter-1%2F&fwr=0&pra=3&rh=186&rw=744&rpe=1&resp_fmts=3&wgl=1&fa=27&uach=WyJXaW5kb3dzIiwiMTAuMC4wIiwieDg2IiwiIiwiMTA1LjAuNTE5NS4xMjciLFtdLGZhbHNlLG51bGwsIjY0IixbWyJHb29nbGUgQ2hyb21lIiwiMTA1LjAuNTE5NS4xMjciXSxbIk5vdClBO0JyYW5kIiwiOC4wLjAuMCJdLFsiQ2hyb21pdW0iLCIxMDUuMC41MTk1LjEyNyJdXSxmYWxzZV0.&dt=1664451059267&bpp=4&bdt=2338&idt=4&shv=r20220927&mjsv=m202209220101&ptt=9&saldr=aa&abxe=1&cookie=ID%3De591520914bfbb19-22f24ba9c2d600ed%3AT%3D1664450157%3ART%3D1664450157%3AS%3DALNI_MZHvBn0Chqd_wP4YMOBh0z1hcC8bQ&gpic=UID%3D000008711fdcc7ae%3AT%3D1664450157%3ART%3D1664450157%3AS%3DALNI_MZWtyz2yDOoAfPk8JBo62sE5Ci3Kw&prev_fmts=0x0%2C1200x280%2C744x280&nras=4&correlator=2963700413867&frm=20&pv=1&ga_vid=50764753.1664451059&ga_sid=1664451059&ga_hid=1502381309&ga_fc=0&u_tz=330&u_his=1&u_h=768&u_w=1366&u_ah=728&u_aw=1366&u_cd=24&u_sd=1&dmc=4&adx=129&ady=2649&biw=1349&bih=625&scr_x=0&scr_y=300&eid=44759876%2C44759927%2C44759842%2C31069963%2C42531706%2C44770881%2C31068919&oid=2&pvsid=2489826445182810&tmod=880265243&uas=0&nvt=1&ref=https%3A%2F%2Fgsebsolutions.in%2Fgseb-solutions-class-11-hindi-first-language%2F&eae=0&fc=1408&brdim=0%2C0%2C0%2C0%2C1366%2C0%2C1366%2C728%2C1366%2C625&vis=1&rsz=%7C%7Cs%7C&abl=NS&fu=128&bc=31&ifi=4&uci=a!4&btvi=2&fsb=1&xpc=QG7WPF9SBO&p=https%3A//gsebsolutions.in&dtd=229″ data-google-container-id=”a!4″ data-google-query-id=”CN7BzrDzufoCFSJEwgUdG5QJWw” data-load-complete=”true”></iframe></div></ins></div>
<p>ग. शहर की भीड़ : शहर की भीड़ दूसरों के दुखों में तमाशे जैसा मजा लेती है । पाठ में एक स्थान पर कहा गया है – “भीड़ के मारे छत और दीवार में भेद न रह गया ।’ भीड़ के माध्यम से प्रेमचंदजी ने स्पष्ट किया है कि भीड़ की अपनी विचारधारा नहीं होती है । वह हमेशा प्रवाह के साथ बहने लगती है । जो भीड़ अलोपीदीन को कृत्य के लिए निंदा कर रही थी वही उसके, छूटने पर वंशीधर पर कटुवचन और व्यंग्यवाणों की वर्षा होने लगी ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 4.<br>
निम्नलिखित पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए – नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है । निगाह चढ़ाये और चादर पर रखनी चाहिए । ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो । मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है । ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है । येतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती । ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती है, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊँ ।</p>
<p>क. यह किसकी उक्ति है ?<br>
उत्तर :<br>
यह उक्ति वृद्ध मुंशी की है । जो अपने पुत्र वंशीधर को शिक्षा देते हुए कहते हैं ।</p><div class=”google-auto-placed ap_container” style=”width: 100%; height: auto; clear: both; text-align: center;”><ins data-ad-format=”auto” class=”adsbygoogle adsbygoogle-noablate” data-ad-client=”ca-pub-5202228354256304″ data-adsbygoogle-status=”done” style=”display: block; margin: auto; background-color: transparent; height: 280px;”><div id=”aswift_4_host” style=”border: none; height: 280px; width: 744px; margin: 0px; padding: 0px; position: relative; visibility: visible; background-color: transparent; display: inline-block;”></div></ins></div>
<p>ख. मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है ?<br>
उत्तर :<br>
मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद इसलिए कहा कि पूरा वेतन एक ही दिन मिलता हैं और धीरे-धीरे कम होने लगता है । और चंद्रमा की भाँति एक दिन लुप्त हो जाता है ।</p>
<p>ग. क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं ?<br>
उत्तर :<br>
जी नहीं, हम एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत नहीं है क्योंकि एक पिता को अपने पुत्र को रिश्वत (भ्रष्टाचार) की शिक्षा नहीं देना चाहिए । बल्कि उसे ईमानदारी का पाठ पढ़ाना चाहिए ।</p><div class=”google-auto-placed ap_container” style=”width: 100%; height: auto; clear: both; text-align: center;”><ins data-ad-format=”auto” class=”adsbygoogle adsbygoogle-noablate” data-ad-client=”ca-pub-5202228354256304″ data-adsbygoogle-status=”done” style=”display: block; margin: auto; background-color: transparent; height: 280px;”><div id=”aswift_5_host” style=”border: none; height: 280px; width: 744px; margin: 0px; padding: 0px; position: relative; visibility: visible; background-color: transparent; display: inline-block;”></div></ins></div>
<p>प्रश्न 5.<br>
‘नमक का दारोगा’ कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए ।<br>
उत्तर :<br>
इस कहानी के अन्य दो शीर्षक मेरे अनुसार इस प्रकार हो सकते हैं:<br>
1. ईमानदारी का फल : हम इस कहानी का शीर्षक ‘ईमानदारी का फल’ रख सकते हैं, क्योंकि ईमानदारी का फल सुखद होता है । जैसे कहानी में वंशीधर को ईमानदारी के कारण कष्ट उठाना पड़ता है । परंतु अंत में अलोपीदीन उसे अपनी जायदाद का मैनेजर बना देता है । तथा ईमानदारी कथानायक से जुड़ी हुई है और कहानी की सभी घटनाएँ भी ईमानदारी से जुड़ी हैं । इसलिए मेरी नजर में कहानी का शीर्षक ईमानदारी का फल हो सकता है ।</p>
<p>2. भ्रष्टाचार और न्याय व्यवस्था : कहानी में भ्रष्टाचार और न्याय व्यवस्था के पक्ष को उजागर किया गया है । कहानी में यह दिखाया गया है कि न्याय के रक्षक वकील कैसे अपने ईमान को बेचकर गलत भ्रष्ट पंडित अलोपीदीन को बचाते हैं । इस प्रकार समाज में फैले भ्रष्टाचार को कहानी में व्यक्त किया गया है । इसलिए मेरे अनुसार कहानी का दूसरा शीर्षक यह भी हो सकता है ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 6.<br>
कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को मैनेजर नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं ? तर्क सहित उत्तर दीजिए । आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते ?<br>
उत्तर :<br>
कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को मैनेजर नियुक्त करने के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :</p>
<p>→ मुंशी यंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित होकर ।<br>
→ पंडित अलोपीदीन को अपनी आत्मग्लानि हुई हो ।<br>
→ अलोपीदीन को भी अपनी जायदाद के लिए बंशीधर जैसा कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार व्यक्ति की आवश्यकता हो जो उसकी जायदाद की अच्छी तरह से देखभाल कर सके ।</p><div class=”google-auto-placed ap_container” style=”width: 100%; height: auto; clear: both; text-align: center;”><ins data-ad-format=”auto” class=”adsbygoogle adsbygoogle-noablate” data-ad-client=”ca-pub-5202228354256304″ data-adsbygoogle-status=”done” style=”display: block; margin: auto; background-color: transparent; height: 280px;”><div id=”aswift_6_host” style=”border: none; height: 280px; width: 744px; margin: 0px; padding: 0px; position: relative; visibility: visible; background-color: transparent; display: inline-block;”></div></ins></div>
<p>प्रेमचंदजी एक आदर्शोन्मुख रचनाकार थे । इसलिए कहानी का अंत अपनी ओर परिणाम के साथ कर दिया । जिसमें वंशीधर को भष्ट अलोपीदीन की नौकरी स्वीकार करते हुए बताया है। हम इस कहानी को पंडित अलोपीदीन के द्वारा मुंशी वंशीधर के सामने मैनेजर के पद के लिए प्रस्तुत करते हुए नियुक्ति पत्र के साथ ही कहानी समाप्त कर देते जिससे पाठक निर्णय कर सकता कि वंशीधर को नौकरी स्वीकार करना चाहिए या नहीं यह तय कर सकता । परिणाम स्वरूप कहानी का विस्तार होता ।</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>पाठ के आस-पास :</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
दारोगा वंशीधर गैरकानूनी कार्यों की वजह से पंडित अलोपीदीन को गिरफ्तार करता है, लेकिन कहानी के अंत में इसी पंडित अलोपीदीन की सहृदयता पर मुग्ध होकर उसके यहाँ मैनेजर की नौकरी को तैयार हो जाता है । आपके विचार से बंशीधर का ऐसा करना उचित था ? आप उसकी जगह होते तो क्या करते ?<br>
उत्तर :<br>
वंशीधर को ऐसा नहीं करना चाहिए । क्योंकि मैं अलोपीदीन को विनम्रतापूर्वक मना कर देता । अलोपीदीन ने पूरी जायदाद भ्रष्टाचार, अनैतिक रूप से कमाई थी । ऐसी जायदाद का मैनेजर बनकर रखवाली करना नैतिकता के विरुद्ध है । मेरे विचार से वंशीधर को ऐसा कहना चाहिए कि यह मेरे आदर्शों के खिलाफ़ है । आपकी यह नौकरी स्वीकार नहीं कर सकता हूँ । ऐसा कहकर कृतज्ञतापूर्वक मना कर देना चाहिए ।</p>
<p>प्रश्न 2.<br>
नमक विभाग के दारोगा पद के लिए बड़ों-बड़ों का जी ललचाता था । वर्तमान समाज में ऐसा कौन-सा पद होगा जिसे पाने के लिए लोग लालयित रहते होंगे और क्यों ?<br>
उत्तर :<br>
वर्तमान समाज में ऐसे पद हैं – आयकर, बिक्रीकर, सेल्सटेक्स इंस्पेक्टर आदि । इन्हें प्राप्त करने के लिए लोग अधिक ललचाते हैं । क्योंकि, इन क्षेत्रों में रिश्वतखोरी के अवसर अधिक होते हैं ।</p><div class=”google-auto-placed ap_container” style=”width: 100%; height: auto; clear: both; text-align: center;”><ins data-ad-format=”auto” class=”adsbygoogle adsbygoogle-noablate” data-ad-client=”ca-pub-5202228354256304″ data-adsbygoogle-status=”done” style=”display: block; margin: auto; background-color: transparent; height: 280px;”><div id=”aswift_7_host” style=”border: none; height: 280px; width: 744px; margin: 0px; padding: 0px; position: relative; visibility: visible; background-color: transparent; display: inline-block;”></div></ins></div>
<p>प्रश्न 3.<br>
अपने अनुभवों के आधार पर बताइए कि जब आपके तकों ने आपके भ्रम को पुष्ट किया हो ।<br>
उत्तर :<br>
मैंने अपने घर बाहर रात को एक व्यक्ति को देखा जो अनजान था, मुझे भ्रम हुआ कौन है ? शायद चोर तो नहीं है । मैंने उसे देखा तो थोड़ी देर बाद मेरे पड़ोशी के बंद मकान में खिड़की से प्रवेश करते हुए देखा । मेरा भ्रम दूर हो गया और जोर से चिल्लाया चोर-चोर । चोर ने भागने की कोशिश की परंतु लोगों ने उसे पकड़ लिया । बाद में पुलिस को सौंप दिया । सही में चोर निकला । इस प्रकार मेरे भ्रम को मेरे तर्क ने पुष्ट कर दिया ।</p>
<p>प्रश्न 4.<br>
पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया । वृद्ध मुंशीजी द्वारा यह बात एक विशिष्ट संदर्भ में कही गई थी । अपने निजी अनुभवों के आधार पर बताओ –<br>
क. जब आपको पढ़ना-लिखना व्यर्थ लगा हो ।<br>
उत्तर :<br>
जब मैंने देखा पढ़े-लिखे लोग गंदगी फैला रहे थे, तब उनको देखकर लगा कि पढ़ना-लिखना व्यर्थ लगा ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>ख. जब आपको पढ़ना-लिखना सार्थक लगा हो ?<br>
उत्तर :<br>
जब हम पढ़े-लिखे लोगों को देश के विकास में सहयोग देने से लगता है कि पढ़ना-लिखना सार्थक हो गया ।</p>
<p>ग. ‘पढ़ना-लिखना’ को किस अर्थ में प्रयुक्त किया गया होगा : साक्षरता अथवा शिक्षा ? (क्या आप इन दोनों को समान मानते हैं ?)<br>
उत्तर :<br>
प्रस्तुत कहानी में ‘पढ़ना-लिखना’ शिक्षा के अर्थ में प्रयुक्त किया गया है । नहीं तो साक्षरता और शिक्षा में अंतर है ।</p><div class=”google-auto-placed ap_container” style=”width: 100%; height: auto; clear: both; text-align: center;”><ins data-ad-format=”auto” class=”adsbygoogle adsbygoogle-noablate” data-ad-client=”ca-pub-5202228354256304″ data-adsbygoogle-status=”done” style=”display: block; margin: auto; background-color: transparent; height: 280px;”><div id=”aswift_8_host” style=”border: none; height: 280px; width: 744px; margin: 0px; padding: 0px; position: relative; visibility: visible; background-color: transparent; display: inline-block;”></div></ins></div>
<p>प्रश्न 5.<br>
लड़कियाँ हैं, वह घास-फूस की तरह बढ़ती चली जाती हैं । वाक्य समाज में लड़कियों की स्थिति की किस वास्तविकता को प्रकट करता है ?<br>
उत्तर :<br>
उपर्युक्त कथन समाज में लड़कियों की उपेक्षा को दर्शाता है । जैसे घास-फूस बिना देखभाल के अपने आप ही फलती-फूलती है । इसी प्रकार समाज में लड़कियों की बिना उचित देखभाल के ही फलती-फूलती हैं ।</p>
<p>प्रश्न 6.<br>
इसलिए नहीं कि अलोपीदीन ने क्यों यह कर्म किया बल्कि इसलिए कि वह कानून के पंजे में कैसे आए । ऐसा मनुष्य जिसके पास असाध्यय साधन करनेवाला धन और अनन्य वाचालता हो, वह ययों कानून के पंजे में आए । प्रत्येक मनुष्य उनसे सहानुभूति प्रकट करता था । अपने आस-पास अलोपीदीन जैसे व्यक्तियों को देखकर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? उपर्युक्त टिप्पणी को ध्यान में रखते हुए लिखें ।<br>
उत्तर :<br>
हमारे देश की मुख्य समस्याओं में से एक समस्या भ्रष्टाचार की है, जिसे अलोपीदीन जैसे धनवान और शक्तिशाली अपने लाभ के लिए अनैतिक और गैरकानूनी रूप से धंधे के लिए फैला रहे हैं । इसका खामियाजा पूरा समाज भुगतता है । इसलिए वंशीधर जैसे ईमानदार प्रमाणिक व्यक्ति की आवश्यकता है । जो ऐसे भ्रष्टाचारी को अपनी हिरासत में ले और कानून के हवाले करे ।’</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>समझाइए तो जरा</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मजार है । निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए ।<br>
उत्तर :<br>
इसमें पद से ज्यादा महत्त्व ऊपरी आय (रिश्वत) को दिया गया है । इसी बात को समझाने के लिए वृद्ध मुंशी अपने पुत्र बंशीधर को समझाता है कि ध्यान मजार (पद) पर नहीं चढ़ावे और चादर (रिश्वत) पर रखना ।</p>
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<p>प्रश्न 2.<br>
इस विस्तृत संसार में उनके लिए धैर्य अपना मित्र, बुद्धि अपनी पथप्रदर्शक और आत्मावलंबन ही अपना सहायक था ।<br>
उत्तर :<br>
मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यपरायण व्यक्ति हैं, जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को स्थापित करना चाहते हैं । इस बुराई भरे संसार में अपने आप को दूर रखने के लिए वंशीधर अपने धैर्य को ही अपमा मित्र, बुद्धि को अपनी पथप्रदर्शक और आत्मावलंबन को ही अपना सहायक बनाया ।</p>
<p>प्रश्न 3.<br>
तर्क ने भ्रम को पुष्ट किया ।<br>
उत्तर :<br>
वंशीधर को रात को सोते-सोते अचानक पुल पर से जाती हुई गाड़ियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी । उन्हें भ्रम हुआ कि सोचा कुछ गलत हो रहा है । उन्होंने तर्क से सोचा कि देर रात अंधेरे में कौन गाड़ियाँ ले जायेगा और इस तर्क से उनका भ्रम पुष्ट हो गया । और गाड़िया जाँच करने पर पता चला कि इन गाड़ियों में नमक है।</p>
<p>प्रश्न 4.<br>
न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती है, नचाती हैं ।<br>
उत्तर :<br>
वर्तमान में न्यायालय भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं रहा है । वकीलों का धर्म भी मानो धन कमाना ही हो । धन के लिए गलत व्यक्ति के लिए लड़ते हैं तभी अलोपीदीन जैसे भ्रष्ट, न्यायालय से मुक्त हो जाते हैं । इस प्रकार न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने है, इन्हें वह जैसे चाहती है नचाती है ।</p>
<p>प्रश्न 5.<br>
दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी ।<br>
उत्तर :<br>
लोग दुनिया की बात करने के लिए रात-दिन लगे रहते हैं । इसे स्पष्ट करते हुए पाठ में लिखा है । रात में अलोपीदीन गिरफ्तार हुए और खबर पूरे शहर में फैल गयी । इसलिए कहा गया है कि दुनिया सोती थी पर दुनिया की जीभ जागती थी ।</p>
<p>प्रश्न 6.<br>
खेद ऐसी समझा पर ! पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया ।<br>
उत्तर :<br>
वृद्ध मुंशी को लगा कि बेटा वंशीधर पढ़-लिख गया है । अब नौकरी करेगा और ऊपरी आमदनी से घर के हालात सुधर जाएँगे लेकिन वंशीधर ने अपनी ईमानदारी के कारण अलोपीदीन को गिरफ्तार कर लिया । तब वृद्ध मुंशी अपने भाग्य को कोसते हुए कहते हैं – खेद ऐसी समझ पर ! पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया ।</p>
<p>प्रश्न 7.<br>
धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला ।<br>
उत्तर :<br>
अलोपीदीन की नमक से भरी गाड़ियों को दारोगा मुंशी वंशीधर ने पकड़ लिया । अलोपीदीन ने अपने धनबल का प्रयोग करते हुए वंशीधर की ईमानदारी का एक हजार से चालीस हजार तक की बोली लगायी । लेकिन मुंशी वंशीधर ने एक नहीं मानी और अलोपीदीन को गिरफ्तार किया । तब कहा गया कि धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला ।</p>
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<p>प्रश्न 8.<br>
न्याय के मैदान में धर्म और धन में युद्ध ठन गया ।<br>
उत्तर :<br>
वंशीधर के द्वारा गिरफ्तार किये गये अलोपीदीन को जब न्यायालय में प्रस्तुत किया गया तब वंशीधर और अलोपीदीन का मुकदमा<br>
चला । वंशीधर धर्म के लिए और अलोपीदीन धन के सहारे अधर्म के लिए लड़ रहा था । इस प्रकार न्याय के मैदान में धर्म और धन में युद्ध ठन गया ।</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>भाषा की बात</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
भाषा की चित्रात्मकता, लोकोक्तियों और मुहावरों के जानदार उपयोग तथा हिंदी-उर्दू के साझारूप एवं बोलचाल की भाषा के लिहाज से यह कहानी अद्भुत है । कहानी में ऐसे उदाहरण छाँटकर लिखिए और यह भी बताइए कि इनके प्रयोग से किस तरह कहानी का कथ्य अधिक असरदार बना है?<br>
उत्तर :<br>
भाषा की चित्रात्मकता :<br>
‘जाड़े के दिन थे और रात का समय’ नमक के सिपाही, चौकीदार नशे में मस्त …… एक मील पूर्व की ओर जमुना बहती थी, उस पर नावों का एक पुल बना हुआ था । दारोगग्रजी किवाड बंद किए मीठी नींद से सो रहे थे ।’ ‘दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी । सयेरे देखिए तो बालक-वृद्ध सबके मुँह से यही बात सुनाई देती थी । जिसे देखिए, वही पंडितजी के इस व्यवहार पर टीका-टिप्पणी कर रहा था, निंदा की बौछारे हो रही थीं, मानो संसार से अब पापी का पाप कट गया ।</p>
<p>लोकोक्तियाँ :</p>
<ul>
<li>पूर्णमासी का चाँद (एक दिन उगना धीरे-धीरे घटना)</li>
<li>सुअवसर ने मोती दे दिया (अवसर प्रदान करना)</li>
<li>दुनिया की जीभ जागती थी । (बातें होना)</li>
</ul>
<p>मुहावरें :</p>
<ul>
<li>फूले न समाना</li>
<li>पंजे में आना</li>
<li>सन्नाटा छाना</li>
<li>हाथ मलना</li>
<li>गले लगाना</li>
<li>मुँह में कालिन लगाना</li>
<li>आँखें डबडबा आना</li>
<li>कातर दृष्टि</li>
</ul>
<p>प्रश्न 2.<br>
कहानी में मासिक वेतन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है ? इसके लिए आप अपनी ओर से दो-दो विशेषण और बताइए । साथ ही विशेषण के आधार को तर्क सहित पुष्ट कीजिए ।<br>
उत्तर :<br>
कहानी में मासिक वेतन के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया गया है – – पूर्ण मासी का चाँद पीर का मजार हमारे विशेषण : एक दिन की खुशी (क्योंकि वेतन एक दिन होता है उस दिन बड़े खुश होते हैं लेकिन वेतन के घटने के साथ खुशी भी कम होने लगती है ।) चार दिन की चाँदनी (क्योंकि वेतन आने पर सारी चीजें ले ली जाती हैं । परंतु चार दिन में खर्च हो जाता हैं ।)</p>
<p>प्रश्न 3.<br>
क. बाबूजी आशीर्वाद :<br>
उत्तर :<br>
बाबूजी आशीर्वाद दीजिए ।</p>
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<p>ख. सरकारी हुक्म<br>
उत्तर :<br>
वे सरकारी हुक्म का पालन करते हैं ।</p>
<p>ग. दातागंज के<br>
उत्तर :<br>
अलोपीदीन दातागंज के निवासी है ।</p>
<p>घ. कानपुर<br>
उत्तर :<br>
यह बस कानपुर जाती है ।</p>
<p><strong>Hindi Digest Std 11 GSEB नमक का दारोगा Important Questions and Answers</strong></p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>अतिरिक्त प्रश्नोत्तर</span></p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए :</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
‘नमक का दारोगा’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।<br>
उत्तर :<br>
शीर्षक किसी भी रचना का प्रवेशद्वार माना जाता है । शीर्षक जितना आकर्षक होगा उतना ही पाठक रचना को पढ़ने के लिए आकर्षित होगा । इसलिए लेखक रचना का शीर्षक विचार-पूर्वक और सावधानी से तय करता है । शीर्षक नायक, नायिका के नाम पर हो सकता है । कभी-कभी शीर्षक घटना प्रधान या प्रतीकात्मक हो सकता है ।</p>
<p>यहाँ कहानी का शीर्षक ‘नमक का दारोगा’ घटना प्रधान है । क्योंकि कहानी में वंशीधर द्वारा अलोपीदीन की नमक की गाड़ियों को पकड़ने की घटना से जुड़ा है । साथ ही कहानी का नायक मुंशी वंशीधर नमक के दारोगा के पद पर कार्यरत हैं । इसलिए घटना और कहानी की संपूर्ण घटनाएँ शीर्षक से जुड़ी हैं । कहानी का आरम्भ ही नमक विभाग से होता है ।</p>
<p>जिसमें सभी अधिकारी बनना चाहते हैं । क्योंकि सभी अधिकारियों के पौ बारह हो जाता था । वृद्ध मुंशी भी वंशीधर को ऐसी ही नौकरी की सलाह देता है जिसमें ऊपरी आमदनी अधिक हो । वंशीधर को नमक दारोगा की नौकरी मिल जाती है । ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से बंशीधर अलोपीदीन की नमक की गाड़ी को पकड़ लेता है ।</p>
<p>परंतु धन के बल पर अलोपीदीन कोर्ट से छूट जाता है । वंशीधर की नौकरी चली जाती है । परंतु ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से प्रभावित होकर पंडित अलोपीदीन अपनी व्यक्तिगत जायदाद । का मुंशी वंशीधर को मैनेजर बना देता है । वंशीधर उसे स्वीकार भी कर लेता है । इस प्रकार कहानी की संपूर्ण घटनाएँ नमक के दारोगा से जुड़ी हुयी है । इसलिए मुंशी प्रेमचंद ने कहानी का शीर्षक नमक का दारोगा उचित ही रखा है, जो सार्थक है ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 2.<br>
मुंशी वंशीधर का चरित्र-चित्रण कीजिए ।<br>
उत्तर :<br>
मुंशी वंशीधर प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी ‘नमक का दारोगा’ का नायक है, जो ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ है । मुंशी यंशीधर के पढ़ने-लिखने के बाद जब नौकरी की तलाश में निकलता है तब पिता वृद्ध मुंशी उसे समझाते हुए कहते हैं, ‘नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है । निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए । ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो ।</p>
<p>मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है । ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है ।’ इस शीन के बाद भी मुंशी यंशीधर ईमानदारी से पंडित अलोपीदीन की नमक की गाड़ियों को पकड़ लेता है । और अलोपीदीन की रिश्वत की रकम एक हजार से चालीस हजार रुपये की रकम को अस्वीकार कर देता है ।</p>
<p>इस प्रकार धन पर धर्म की विजय होती है और वंशीधर ईमानदारी का परिचय देते हैं । वंशीधर कर्तव्यनिष्ठ भी हैं । वे रात हो या दिन, हमेशा अपने कर्तव्य के प्रति सजग और कार्यशील हैं । तभी तो रात में खटपट की आवाज सुनी तो रात में निकलकर गाड़ियों की तलाशी ली तो नमक पकड़ा गया । इस प्रकार ये कर्तव्यनिष्ठ का परिचय देते हैं ।</p>
<p>वंशीधर विनम्र भी हैं । इसी विनम्रता के कारण अपने पिता को जवाब नहीं देते । तथा विनम्रता के कारण ही पंडित अलोपीदीन के मैनेजर के पद को स्वीकार कर लेते हैं । परंतु विनम्रता उसकी कमजोरी भी बन गयी है । अलोपीदीन के प्रस्ताव को अस्वीकार करना चाहिए था । परंतु वह उसे स्वीकार कर लेता है । यह उसके चरित्र की दुर्बलता को उजागर करता है । इस प्रकार मुंशी वंशीधर ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, अपने धर्म का पालन करनेवाला और विनम तथा साहसी है ।</p>
<p>प्रश्न 3.<br>
पंडित अलोपीदीन के चरित्र पर प्रकाश डालिए ।<br>
उत्तर :<br>
पंडित अलोपीदीन जमींदार, धनवान और दातागंज के निवासी हैं । उनके यहाँ अंग्रेज भी शिकार खेलने के लिए आते हैं । लाखों का कारोबार चलता है । ऐसा कोई नहीं है, जो उनका ऋणी न हो, व्यापार भी लंबा-चौड़ा था । बारहों महीने उनका सदाव्रत चलता रहता था । पंडित अलोपीदीन नमक की कालाबाजारी भी करते हैं । अपने धन के बल पर सभी अफसरों को गुलाम बना के रखा है ।</p>
<p>अपने धन के बल पर ही ये कोर्ट में वकीलों की सेना खड़ी कर देते हैं । वकील धन के कारण ही सत्य को झूठ साबित कर देते हैं और न्यायालय से मुक्त हो जाते हैं । कहानी के अंत में पंडित अलोपीदीन मुंशी वंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित होकर अपनी निजी संपत्ति का मैनेजर बना देते हैं, जो उनकी ईमानदारी के सम्मान को उजागर कर देता है । परंतु कहानी के माध्यम से देख्खें तो पंडित अलोपीदीन भ्रष्ट, धनी, शोषक और अनैतिक चरित्र ही उभरकर सामने आते है ।</p>
<p>प्रश्न 4.<br>
‘नमक का दारोगा’ कहानी में समाज में फैले भ्रष्टाचार को उजागर किया गया है ।’ समझाइए ।<br>
उत्तर :<br>
प्रेमचंदजी एक सामाजिक और आदर्शोन्मुख रचनाकार है । इसलिए उन्होंने कहानी में समाज में भष्टाचार की बुराई कहाँ तक पैठ गयी है कि एक पिता अपनी संतान को ईमानदारी का पाठ पढ़ाने की बजाय उसे भ्रष्टाचार का पाठ पढ़ाता है । और तरहतरह की उपमाओं के द्वारा ऊपरी आय (रिश्वत) को महिमा मंडित करता है ।</p>
<p>बाद में वृद्ध मुंशी ने सुना कि पंडित अलोपीदीन की गाड़ियों को वंशीधर ने पकड़ लिया है और रिश्वत नहीं ली है । तब वे अपने कर्मों को कोसते हैं । और उन्हें लगता है कि पढ़ना-लिखना व्यर्थ गया । सामाजिक कहानीकार के साथ प्रेमचंद जी एक आदर्श कहानीकार भी हैं । इसलिए उन्होंने अंत में इमानदारी की विजय दिखलायी है ।</p>
<p>एक भ्रष्ट व्यापारी पंडित अलोपीदीन वंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित होकर अपनी निजी संपत्ति का मैनेजर बना देता है । इस प्रकार ईमानदारी को प्रेमचंद स्थापित करते हैं । कहानी में प्रेमचंदजी ने समाज में फैले भ्रष्टाचार को उजागर किया है । पंडित अलोपीदीन ने अपने धनबल से सभी सरकारी अफ़सरों के साथ-साथ न्याय को भी खरीद लेता है और अपने काले बाजार को विकसित कर लेता है । इस प्रकार प्रेमचंदजी ने कहानी में समाज में फैले भ्रष्टाचार को सूक्ष्मता के साथ निरूपण किया है।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 5.<br>
‘ईमानदारी के महत्त्व’ की चर्चा कीजिए ।<br>
उत्तर :<br>
प्रेमचंदजी हिन्दी कथा साहित्य में आदर्श लेखक हैं । उन्होंने अपने साहित्य में सामाजिक मूल्यों को स्थापित किया है । प्रस्तुत कहानी ‘नमक का दारोगा’ में भी ईमानदारी को स्थापित किया है । मुंशी वंशीधर के माध्यम से ईमानदारी के महत्त्व को बताया है । वंशीधर को अपनी ईमानदारी के कारण कष्ट उठाना पड़ता है ।</p>
<p>परंतु अंत में उसकी ईमानदारी की जीत होती है । मुंशी वंशीधर अपनी ईमानदारी के कारण पंडित अलोपीदीन की नमक की गाड़ियों को पकड़ लेता है । अलोपीदीन धन के बल पर ईमानदारी को कुचलकर न्याय को खरीदकर न्यायालय से मुक्त हो जाता है । परंतु पंडित अलोपीदीन वंशीधर को नौकरी से निकलवा भी देता है ।</p>
<p>परंतु वही अलोपीदीन मुंशी वंशीधर की ईमानदारी से प्रभावित होकर आत्मग्लानि महसूस करता है । पश्चाताप करते हुए मुंशी वंशीधर को अपनी जायदाद का मैनेजर बना देता है । इस प्रकार कहानी में ईमानदारी को स्थापित किया गया है ।</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में लिखिए :</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
लोग चोरी-छिपे नमक का व्यापार क्यों करने लगे ?<br>
उत्तर :<br>
लोग चोरी-छिपे नमक का व्यापार करने लगे क्योंकि नमक पर पहले प्रतिबंद नहीं था । नमक पर सरकार निषेध (रोक) होने से लोग चोरी-छिपे व्यापार करने लगे ।</p>
<p>प्रश्न 2.<br>
मुंशी वंशीधर रोजगार की खोज में निकलते समय समझाते हुए बेटे को क्या सलाह दी ?<br>
उत्तर :<br>
मुंशी वंशीधर रोजगार की खोज में निकले तब पिता ने समझाते हुए कहा – बेटा ! घर की दुर्दशा देख रहे हो । ऋण के घोड़ा से दबे हुए हैं । लड़कियाँ हैं, यह घास-फूस की तरह बढ़ती चली जाती हैं | मैं कगारे पर का वृक्ष हो रहा हूँ, न मालूम कब गिर पडूं । अब तुम्हीं घर के मालिक-मुख्तार हो । नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना यह तो पीर का मजार है । निगाह चढ़ाये और चादर पर रखनी चाहिए । ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो ।…’</p>
<p>प्रश्न 3.<br>
मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है ?<br>
उत्तर :<br>
मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद इसलिए कहा गया है क्योंकि पूर्णमासी का चाँद एक दिन उगता है और धीरे-धीरे घटता जाता है । ठीक उसी प्रकार वेतन एक दिन मिलता है धीरे-धीरे खत्म होता रहता है । और एक दिन चाँद की तरह चेतन भी लुप्त हो जाता है ।</p>
<p>प्रश्न 4.<br>
वंशीधर के इस विस्तृत संसार में संगी साधी कौन थे ?<br>
उत्तर :<br>
वंशीधर के इस विस्तृत संसार में उनके लिए धैर्य अपना मित्र, बुद्धि अपनी पथप्रदर्शक और आत्मालंबन ही अपना सहायक था ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 5.<br>
धन ने उछल-उछलकर किस प्रकार आक्रमण किया ?<br>
उत्तर :<br>
धन और धर्म की शक्तियों में संग्राम होने लगा । धन ने उछल-उछलकर आक्रमण शुरू किया – एक से पाँच, पाँच से दस, दस से पंद्रह, और पंद्रह से बीस हजार तक नौबत पहुँची ।</p>
<p>प्रश्न 6.<br>
दुनिया में भ्रष्टाचार के सम्बन्ध पर किस-किस पर व्यंग्य किया गया है ?<br>
उत्तर :<br>
पानी को दूध के नाम से बेचनेवाला ग्वाला, कल्पित रोजनामचे भरनेवाले अधिकारी वर्ग, रेल में बिना टिकट सफ़र करनेवाले बाबूलोग, जाली दस्तावेज बनानेवाले सेठ और साहूकार, यह सब के सब देवताओं की भांति पंडित अलोपीदीन की निंदा कर रहे थे ।</p>
<p>प्रश्न 7.<br>
लोग विस्मित क्यों थे ?<br>
उत्तर :<br>
लोग विस्मित इसलिए नहीं थे कि अलोपीदीन ने क्यों यह कर्म किया बल्कि इसलिए विस्मित थे कि वह कानून के पंजे में कैसे आए ।</p>
<p>प्रश्न 8.<br>
डिप्टी मजिस्ट्रेट ने मुंशी बंशीधर को चेतावनी देते हुए क्या आदेश दिया ?<br>
उत्तर :<br>
डिप्टी मजिस्ट्रेट ने मुंशी वंशीधर को चेतावनी देते हुए कहा, ‘हम प्रसन्न हैं कि वह अपने काम से सजग और सचेत रहता है, किंतु नमक से मुकदमें की बढ़ी हुई नमक हलाली ने उसके विवेक और बुद्धि को भ्रष्ट कर दिया । भविष्य में उसे होशियार रहना चाहिए ।’</p>
<p>प्रश्न 9.<br>
वृद्ध मुंशी को पढ़ा-लिखा सब अकारथ क्यों लगा ?<br>
उत्तर :<br>
वृद्ध मुंशी के समझाने पर भी वंशीधर ने रिश्वत न लेकर अलोपीदीन की गाड़ी को पकड़ लिया । नौकरी छूट गई । जिसके कारण वृद्ध मुंशी को पढ़ा-लिखा सब अकारथ लगा ।</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो वाक्यों में लिखिए :</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
किसका नया विभाग बन गया ?<br>
उत्तर :<br>
नमक का नया विभाग बन गया ।</p>
<p>प्रश्न 2.<br>
किस के पद के लिए वकीलों का भी जी ललचाता था ?<br>
उत्तर :<br>
नमक दारोगा के पद के लिए वकीलों का भी जी ललचाता था ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 3.<br>
कोर्ट में किस भाषा का प्राबल्य था ?<br>
उत्तर :<br>
फ़ारसी का प्राबल्य था ।।</p>
<p>प्रश्न 4.<br>
वृद्ध मुंशी ने किसकी ओर ध्यान न देने के लिए कहा ?<br>
उत्तर :<br>
वृद्ध मुंशी ने ओहदे की ओर ध्यान न देने के लिए कहा ।</p>
<p>प्रश्न 5.<br>
प्रेमचंद ने कहानी में मासिक वेतन को कैसा कहा है ?<br>
उत्तर :<br>
प्रेमचंद ने कहानी में मासिक वेतन पूर्णमासी का चाँद जैसा कहा है ।</p>
<p>प्रश्न 6.<br>
ऊपरी आय कैसी होती है ?<br>
उत्तर :<br>
ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत जैसी होती है ।</p>
<p>प्रश्न 7.<br>
किसके साथ कठोरता करने में लाभ ही लाभ है ?<br>
उत्तर :<br>
गरजवाले आदमी के साथ कटोरता करने में लाभ ही लाभ है ।।</p>
<p>प्रश्न 8.<br>
मुंशी वंशीधर को कौन-सी नौकरी मिल गयी ?<br>
उत्तर :<br>
मुंशी वंशीधर को नमक विभाग के दारोगा की नौकरी मिल गयी ।</p>
<p>प्रश्न 9.<br>
नशे में कौन मस्त थे ?<br>
उत्तर :<br>
नमक के सिपाही, चौकीदार नशे में मस्त थे ।</p>
<p>प्रश्न 10.<br>
वंशीधर पर कौन विश्वास करने लगे ?<br>
उत्तर :<br>
यंशीधर पर अफसर विश्वास करने लगे ।</p>
<p>प्रश्न 11.<br>
तर्क ने किसे पुष्ट किया ?<br>
उत्तर :<br>
तर्क ने भ्रम को पुष्ट किया ।</p>
<p>प्रश्न 12.<br>
पंडित अलोपीदीन कहाँ के निवासी थे ?<br>
उत्तर :<br>
पंडित अलोपीदीन दातागंज के निवासी थे ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 13.<br>
नमक लदी गाड़ियाँ कहाँ जा रही थी ?<br>
उत्तर :<br>
नमक लदी गाड़ियाँ कानपुर जा रही थी ।</p>
<p>प्रश्न 14.<br>
पंडित अलोपीदीन का किस पर अखंड विश्वास था ?<br>
उत्तर :<br>
पंडित अलोपीदीन का लक्ष्मीजी पर अखंड विश्वास था ।</p>
<p>प्रश्न 15.<br>
स्वर्ग में भी किसका राज्य है ?<br>
उत्तर :<br>
स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज्य है ।</p>
<p>प्रश्न 16.<br>
न्याय और नीति किसके खिलौने हैं ?<br>
उत्तर :<br>
न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं ।</p>
<p>प्रश्न 17.<br>
पंडितजी ने क्या कभी नहीं देखा था ?<br>
उत्तर :<br>
पंडितजी ने धर्म को धन का ऐसा निरादर करते कभी न देखा था ।</p>
<p>प्रश्न 18.<br>
रिश्वत न दे सकने पर किसे कड़ी चोट लगी ?<br>
उत्तर :<br>
रिश्वत न दे सकने पर स्वाभिमान और धन-ऐश्वर्य को कड़ी चोट लगी ।</p>
<p>प्रश्न 19.<br>
पंडित अलोपीदीन ने मुंशी वंशीधर को कितने तक की बोली लगाई ?<br>
उत्तर :<br>
पंडित अलोपीदीन ने मुंशी वंशीधर को एक हजार से चालीस हजार रुपये तक की बोली लगाई ।</p>
<p>प्रश्न 20.<br>
धर्म ने किसको पैरों तले कुचल डाला ?<br>
उत्तर :<br>
धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 21.<br>
न्याय के मैदान में किनके बीच युद्ध ठन गया ?<br>
उत्तर :<br>
न्याय के मैदान में धर्म और धन की बीच युद्ध ठन गया ।</p>
<p>प्रश्न 22.<br>
गवाह किससे डाँवाडोल था ?<br>
उत्तर :<br>
गवाह लोभ से डाँवाडोल था ।</p>
<p>प्रश्न 23.<br>
वंशीधर ने किससे बैर मोल लिया था ?<br>
उत्तर :<br>
यंशीधर ने धन से बैर मोल लिया था ।</p>
<p>प्रश्न 24.<br>
अलोपीदीन ने वंशीधर के सामने क्या प्रस्ताव रखा ?<br>
उत्तर :<br>
अलोपीदीन ने वंशीधर के सामने अपनी सारी जायदाद का स्थायी मैनेजर बनाने का प्रस्ताव रखा ।</p>
<p>प्रश्न 25.<br>
मैनेजरी के लिए मुंशी वंशीधर का वेतन कितना निश्चित किया था ?<br>
उत्तर :<br>
मैनेजरी के लिए मुंशी वंशीधर का वेतन छह हजार वार्षिक वेतन निश्चित किया ।</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए :</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
किसका नया विभाग बन गया ?<br>
(A) नमक<br>
(B) चीनी<br>
(C) उद्योग<br>
(D) कृषि<br>
उत्तर :<br>
(A) नमक</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 2.<br>
दारोगा पद के लिए तो ……….. का भी जी ललचाता था ।<br>
(A) डॉक्टरों<br>
(B) वकीलों<br>
(C) शिक्षकों<br>
(D) इनमें से कोई भी नहीं<br>
उत्तर :<br>
(B) वकीलों</p>
<p>प्रश्न 3.<br>
किस भाषा का प्राबल्य था ?<br>
(A) हिन्दी<br>
(B) संस्कृत<br>
(C) फ़ारसी<br>
(D) अंग्रेजी<br>
उत्तर :<br>
(C) फारसी</p>
<p>प्रश्न 4.<br>
मासिक वेतन तो ………………. का चाँद है ।<br>
(A) दौज़<br>
(B) तीज<br>
(C) अमावस<br>
(D) पूर्णमासी<br>
उत्तर :<br>
(D) पूर्णमासी</p>
<p>प्रश्न 5.<br>
ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसीसे उसकी होती है ।<br>
(A) बरकत<br>
(B) पतन<br>
(C) तरक्की<br>
(D) गिरावट<br>
उत्तर :<br>
(A) बरकत</p>
<p>प्रश्न 6.<br>
लेकिन ……………. को दाँव पर पाना जरा कठिन है ।<br>
(A) गरज़<br>
(B) बेरज<br>
(C) बेगरज<br>
(D) दारोगा<br>
उत्तर :<br>
(C) बेगरज</p>
<p>प्रश्न 7.<br>
धैर्य अपना ……………… |<br>
(A) शत्रु<br>
(B) मित्र<br>
(C) दोस्त<br>
(D) सना<br>
उत्तर :<br>
(B) मित्र</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 8.<br>
व्यक्ति का पथ प्रदर्शक कौन है ?<br>
(A) मित्र<br>
(B) सहायक<br>
(C) शत्रु<br>
(D) बुद्धि<br>
उत्तर :<br>
(D) बुद्धि</p>
<p>प्रश्न 9.<br>
………….. के हृदय में शूल उठने लगे ।<br>
(A) पड़ोसियों<br>
(B) मित्रों<br>
(C) शत्रुओं<br>
(D) स्वजनों<br>
उत्तर :<br>
(A) पड़ोसियों</p>
<p>प्रश्न 10.<br>
स्वर्ग में भी किसका राज्य है ?<br>
(A) सरस्वती<br>
(B) लक्ष्मी<br>
(C) दुर्गा<br>
(D) सीता<br>
उत्तर :<br>
(B) लक्ष्मी</p>
<p>प्रश्न 11.<br>
पंडित अलोपीदीन कहाँ के निवासी थे ?<br>
(A) कासगंज<br>
(B) नासगंज<br>
(C) दातागंज<br>
(D) आतागंज<br>
उत्तर :<br>
(C) दातागंज</p>
<p>प्रश्न 12.<br>
चालीस हजार नहीं चालीस …………….. पर भी असंभव है ।।<br>
(A) हजार<br>
(B) सौ<br>
(C) करोड<br>
(D) लान<br>
उत्तर :<br>
(D) लान</p>
<p>प्रश्न 13.<br>
मानो संसार से अब पापी का …………<br>
(A) पाप कट गया ।<br>
(B) पुण्य कट गया ।<br>
(C) हाथ कट गया |<br>
(D) पैर कट गया ।<br>
उत्तर :<br>
(A) पाप कट गया ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 14.<br>
वंशीधर ने गंभीर भाव से कहा – यों<br>
(A) मैं आपका मित्र हूँ ।<br>
(B) मैं आपका दास हूँ।<br>
(C) मैं आपका सेवक हूँ।<br>
(D) मैं आपका शत्रु हूँ ।<br>
उत्तर :<br>
(B) मैं आपका दास हूँ।</p>
<p>प्रश्न 15.<br>
एक बार फिर पंडितजी की ओर भक्ति और श्रद्धा की दृष्टि से देखा और काँपते हुए हाथ से ………..<br>
(A) डायरेक्टर के कागज पर हस्ताक्षर कर दिए ।<br>
(B) मंत्री के कागज पर हस्ताक्षर कर दिए ।<br>
(C) मैनेजरी के कागज पर हस्ताक्षर कर दिए ।<br>
(D) इनमें से एक भी नहीं ।<br>
उत्तर :<br>
(C) मैनेजरी के कागज पर हस्ताक्षर कर दिए ।</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>निम्नलिखित का ससंदर्भ व्याख्या कीजिए :</span></p>
<p>प्रश्न 1.<br>
मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है । ऊपरी आय बहता स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है ।<br>
उत्तर :<br>
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘नमक का दारोगा’ नामक कहानी से लिया गया है, जिसके लेखक प्रेमचंदजी है। प्रस्तुत पंक्तियों में समाज में फैली रिश्वतखोरी की मानसिकता को प्रेमचंदजी ने बड़ी सहजता के साथ प्रस्तुत किया है ।</p>
<p>व्याख्या : मुंशी वंशीधर पढ़-लिखकर जब रोजगारी की तलाश के लिए निकले तो पिता वृद्ध मुंशी ने अपने अनुभव के आधार पर पुत्र को सलाह दी – बेटा ! नौकरी ऐसी ढूँढ़ना जिसमें ऊपरी आय अधिक हो क्योंकि वेतन तो पूर्णमासी के चाँद की तरह होता है, जो एक दिन ही उगता है । और धीरे-धीरे घटता हुआ एक दिन लुप्त हो जाता है । ऊपरी आय बहता स्रोत है जो सदैव प्यास बुझाती है । इसलिए ओहदे पर कम ध्यान देना ऊपरी आय पर अधिक देना ।</p>
<p>प्रश्न 2.<br>
‘अलोपीदीन ने कलमदान से कलम निकाली और उसे वंशीधर के हाथ में देकर बोले – न मुझे विद्धता की चाह है, न अनुभव की, न मर्मज्ञता की, न कार्य कुशलता की । इन गुणों के महत्त्व का परिचय खूब पा चुका हूँ।’<br>
उत्तर :<br>
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचंदजी द्वारा लिखित कहानी ‘नमक का दारोगा’ से लिया गया है । जिसमें ईमानदारी के महत्त्व को स्पष्ट किया है ।</p>
<p>व्याख्या : वंशीधर ने पंडित अलोपीदीन की नमक की गाड़ियाँ को पकड़ लिया । अलोपीदीन की रिश्वत की बड़ी रकम को अस्वीकार कर दिया । पंडितजी अपने धन बल के आधार पर कोर्ट से छूट गये । वंशीधर को ईमानदारी के कारण कष्ट सहन करने पड़े परंतु अंत में अलोपीदीन को अपनी गलती का अहसास होता है तब आत्मग्लानि के कारण अपनी संपूर्ण जायदाद का मैनेजर के पद को पेशकश करता है, जिसे स्वीकारने से वंशीधर मना करता है ।</p>
<p>और कहता है कि इसलिए तो मर्मज्ञ और अनुभवी मनुष्य की जरूरत है । तब पंडित अलोपीदीन कहता है कि मुझे अनुभव विद्वता और मर्मज्ञता या कुशलता की आवश्यकता नहीं है । इन गुणों का महत्त्व में खूब पा चूका हूँ । इस प्रकार ईमानदारी से प्रभावित होकर मुंशी वंशीधर को अपनी जायदाद का मैनेजर बना देता है।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 3.<br>
इसलिए नहीं कि अलोपीदीन ने क्यों यह कर्म किया बल्कि इसलिए कि वह कानून के पंजे में कैसे आए ?<br>
उत्तर :<br>
संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ उपन्यास सम्राट प्रेमचंदजी द्वारा रचित बहुचर्चित कहानी ‘नमक का दारोगा’ से ली गई हैं, अलोपीदीन की गिरफ्तारी पर सभी लोगों को होनेवाले आश्चर्य को व्यक्त किया है ।</p>
<p>व्याख्या : पंडित अलोपीदीन दातागंज के बड़े प्रतिष्ठित जमींदार थे । जिन्होंने अपने धन से सभी को गुलाम बना लिया था । ऐसे अलोपीदीन को ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ मुंशी वंशीधर ने धन को ठुकराते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया । तब लोगों को आश्चर्य इस बात का नहीं था कि उन्होंने यह कर्म क्यों किया ? क्योंकि कर्म तो उनका यही था । आश्चर्य में तो इसलिए थे कि वे धन के बल पर कानून को खरीद नहीं सके । और कानून के पंजे में फँस गये । इस प्रकार धर्म ने धन को कुचल दिया ।</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>व्याकरण</span></p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :</span></p>
<ul>
<li>ईश्वर – भगवान, प्रभु</li>
<li>प्रेम – स्नेह, प्यार</li>
<li>वृक्ष – पेड़, दरख्त</li>
<li>पिताजी – जनक, तात</li>
<li>भ्रम – शंका, संदेह</li>
<li>हुक्म – आदेश, आज्ञा</li>
<li>निरादर – अपमान, बेइज्जती</li>
<li>कातर – परेशान, दुखी</li>
<li>तजबीज – राय, उपाय</li>
<li>चालाकी – होशियारी, चतुराई</li>
<li>आविष्कार – खोज, संशोधन</li>
<li>मास – महीना, माह</li>
<li>पुत्र – वत्स, लड़का</li>
<li>बाट – राह, रास्ता</li>
<li>लक्ष्मी – श्री, विष्णुप्रिया</li>
<li>स्तंभित – आश्चर्यचकित, अचंभित</li>
<li>दुनिया – जगत, संसार</li>
<li>अकारथ – व्यर्थ, बेकार</li>
</ul>
<p><span style=”color: #0000ff;”>निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :</span></p>
<ul>
<li>अनेक × एक</li>
<li>समय × कुसमय, असमय</li>
<li>समाप्त × आरम्भ</li>
<li>प्रेम × घृणा</li>
<li>विद्वान × मूर्ख</li>
<li>विवेक × अविवेक</li>
<li>उचित × अनुचित</li>
<li>गरज़ × बेग़रज़</li>
<li>शिक्षा × अशिक्षा</li>
<li>आए × गए</li>
<li>मीठी × कड़वी</li>
<li>प्रश्न × उत्तर</li>
<li>विश्वास × अविश्वास</li>
<li>न्याय × अन्याय</li>
</ul>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग कीजिए :</span></p>
<p>1. फूले न समाना<br>
अर्थ : अत्यंत हर्षित होना<br>
वाक्य प्रयोग : वृद्ध मुंशी ने सुना कि वंशीधर को नमक का दारोगा की नौकरी मिल गयी है तो वे फूले न समाये ।</p>
<p>2. कन्नी काटना<br>
अर्थ : कतराना<br>
वाक्य प्रयोग : पुलिस को देखकर चोर कन्नी काट गय । चैन की नींद सोना<br>
अर्थ : आराम का अनुभव करना<br>
वाक्य प्रयोग : रात के समय सभी चैन की नींद सो रहे थे ।</p>
<p>4. गद्गद् होना<br>
अर्थ : अति प्रसन्न होना<br>
वाक्य प्रयोग : श्वेता की परीक्षा का परिणाम देखते ही पिताजी गद्गद् हो गये ।</p>
<p>5. सन्नाटा छाना<br>
अर्थ : शांति छा जाना<br>
वाक्य प्रयोग : शिक्षक के आते ही पूरे वर्ग में सन्नाटा छा गया ।</p>
<p>6. पंजे में आना<br>
अर्थ : पकड़ में आना, गिरफ्त में आना<br>
वाक्य प्रयोग : आवश्यकता के कारण गरीब किसान शेठ-साहूकार के पंजे में आ जाता है ।</p>
<p>7. हाथ मलना<br>
अर्थ : पछताना, कुछ न मिलना<br>
वाक्य प्रयोग : एक यात्री देर से स्टेशन पहुँचा तब ट्रेन निकल गई थी । यह जानकर यात्री हाथ मलता रह गया ।</p>
<p>8. मुँह में कालिन लगाना<br>
अर्थ : बदनामी होना, बेइज्जती होना<br>
वाक्य प्रयोग : वंशीधर ने अलोपीदीन की गाड़ी पकड़ ली तो अलोपीदीन के मुँह पर कालिख लग गयी ।</p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>भाववाचक संज्ञा बनाइए ।</span></p>
<ul>
<li>पढ़ – पढ़ाई</li>
<li>लिन – लिखावट</li>
<li>मानय – मानवता</li>
<li>अधिक – अधिकता</li>
<li>राज – राजत्व</li>
<li>ब्राह्मण – ब्राह्मणत्व</li>
<li>कठोर – कठोरता</li>
<li>दीन – दीनता</li>
<li>व्यवहार – व्यावहारिक</li>
<li>काल्पनिक – कल्पना</li>
<li>न्यायी – न्याय</li>
<li>परायण – परायणता</li>
<li>मर्मज्ञ – मर्मज्ञता</li>
<li>महान – महानता</li>
</ul>
<p><span style=”color: #0000ff;”>बहुवचन बनाइए :</span></p>
<ul>
<li>एक – अनेक</li>
<li>मनुष्य – मनुष्यों</li>
<li>कागज – कागजों, कागज़ात</li>
<li>मैं – हम</li>
<li>मैनेजर – मैनेजरों</li>
<li>चार – चारों</li>
<li>गवाह – गवाहों</li>
<li>कर्मचारी – कर्मचारियों</li>
<li>सप्ताह – सप्ताहों</li>
<li>देवता – देवताओं</li>
</ul>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>संधि-विच्छेद कीजिए :</span></p>
<ul>
<li>व्यापार = वि + अपार</li>
<li>आत्मावलंबन = आत्म + अवलंबन</li>
<li>संतोष = सम् + तोष</li>
<li>पवन = पौ + अन</li>
<li>संदेह = सम् + देह</li>
<li>उज्जवल = उत् + जवल</li>
<li>अध्यापक = अधि + आपक</li>
<li>उज्ज्वल = उत् + ज्वल</li>
</ul>
<p>अपठित गद्य साहित्यकार किसी का दास नहीं, विचार का भी नहीं, अपना भी नहीं । वह सत्-चित्-आनंद का उपासक है, आवरणभंग करनेवाला आत्म स्वरूपकर्ता है, एक ऐसा कर्ता जो अपने आप को निमित्त से अधिक न समझे । शून्य से सर्जन की बात तो बहुत बड़ी है । परंतु वह संयोजक है । दमयंती के स्पर्श से मरी मछलियों सजीवन हो उठती थीं ।</p>
<p>सर्जक चेतना का संयोजन-कर्म में दमयंती के स्पर्श का चमत्कार है । प्रत्येक वरदान परिश्रम का परिणाम हुआ करता था । दासानुदास बनने की तपस्या कोई थोड़े ही करता है ? विचार का दासत्व ग्रहण करने पर सर्जन अनुसर्जन में परिणत हो जाता है । साहित्यकार अनुकर्ता या अनुयायी नहीं है, उत्तराधिकारी है । वह विरासत को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं करता, संकलित करता है, काटता है, नकारता है ।</p>
<p>नकार के द्वारा भी यह विरासत का संवर्धन कर सकता है । बासी को ताजा करने का कोई एक ही पूर्वनिर्मित मार्ग नहीं है । साहित्यकार अन्वेषी है, इसलिए भी वह कभी-कभी परस्पर समांतर ही नहीं, विरोधाभासी धाराओं को अपने में एक साथ समेटता नजर आता है । रघुवीर चौधरी उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए ।</p>
<p>प्रश्न 1.<br>
लेखक ने साहित्यकार की स्थिति के विषय में क्या कहा है ?<br>
उत्तर :<br>
साहित्यकार के विषय में लेखक का कहना है कि वह सत्-चित्-आनंद का उपासक है, आवरणभंग करनेवाला आत्मस्वरूप कर्ता है, एक ऐसा कर्ता जो निमित्त मात्र है । वह किसी व्यक्ति या विचारधारा का दास नहीं है, स्वयं अपना भी नहीं । वह मात्र संयोजक है ।</p>
<p>प्रश्न 2.<br>
लेखक ने दमयंती का दृष्टांत किस संदर्भ में दिया है ? समझाइए ।<br>
उत्तर :<br>
लेखक ने दमयंती का दृष्टांत सर्जक चेतना के संयोजन कर्म के संदर्भ में दिया है । जिस प्रकार दमयंती के स्पर्श से मृत मछलियाँ सजीवन हो उठती थीं, उसी प्रकार सर्जक चेतना का संयोजन कर्म चमत्कार के समान है जो मृत विषय में भी जान फूंक देता है । सर्जक चेतना एक वरदान है ।</p>
<p>प्रश्न 3.<br>
उत्तराधिकारी के रूप में साहित्यकार की क्या विशिष्टता है ?<br>
उत्तर :<br>
साहित्यकार. अपनी परंपरा से विरासत के रूप में जो कुछ पाता है उसे ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं करता है । वह उसे संकलित करता है, उसमें से कुछ ग्रहण करता तो कुछ का त्याग । वह परंपरा का मात्र अनुकर्ता या अनुयायी मात्र नहीं है । नकार के द्वारा भी वह परंपरा का संवर्धन कर सकता है ।</p>
<p>प्रश्न 4.<br>
लेखक ने साहित्यकार को अन्वेषी क्यों कहा है ?<br>
उत्तर :<br>
लेखक ने साहित्यकार को अन्वेषी इसलिए कहा है क्योंकि वह अपनी अभिव्यक्ति के लिए परंपरागत मार्ग पर न चलकर अपने .. लिए नई राह खोजता है, वह राहों का अन्वेषी है । इसका परिणाम यह होता है कि साहित्यकार कभी-कभी समांतर ही नहीं विरोधाभासी धाराओं को भी अपने संयोजन में समेटता चलता है ।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p>प्रश्न 5.<br>
‘संयोजक’ का भाववाचक संज्ञारूप बताइए ।<br>
उत्तर :<br>
संयोजक का भाववाचक संज्ञा रूप – संयोजकत्व ।</p>
<p>प्रश्न 6.<br>
इस अनुच्छेद से ‘अनु’ उपसर्गवाले दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए ।<br>
उत्तर :<br>
अनुसर्जन, अनुयायी ।</p>
<h3>नमक का दारोगा Summary in Hindi</h3>
<p><span style=”color: #0000ff;”>लेखक परिचय :</span></p>
<p>युगप्रवर्तक साहित्यकार मुंशी प्रेमचंदजी का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 ई. में बनारस के निकट लमही नामक गाँव में हुआ था। बचपन का नाम धनपत राय था। पाँच वर्ष की उम्र में माता का और चौदह वर्ष की उम्र में पिता का निधन हो गया।</p>
<p>प्रेमचंद हिंदी कथा-साहित्य के शिखर पुरुष माने जाते हैं ! कथा साहित्य के इस शिखर पुरुष का बचपन अभाव में बीता। स्कूली शिक्षा पूरने के बाद पारिवारिक समस्याओं के कारण जैसे-तैसे करके बी.ए. तक की पढ़ाई की। अंग्रेजी से एम.ए. करना चाहते थे लेकिन जीवनयापन के लिए नौकरी करनी पड़ी।</p>
<p>सरकारी नौकरी उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय होने से छोड़ दी। राष्ट्रीय आंदोलन में जुड़ने पर भी साहित्य लेखन वे करते रहे। पत्नी शिवरानी देवी के साथ अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में हिस्सा लेते रहे। उनके जीवन का राजनीतिक संघर्ष उनकी रचनाओं में सामाजिक संघर्ष बनकर सामने आया जिसमें जीवन का यथार्थ और आदर्श दोनों था।</p>
<p>हिन्दी साहित्य के इतिहास में कहानी और उपन्यास की विधा के विकास का काल-विभाजन प्रेमचंद को ध्यान में रखकर किया जाता रहा है जैसे प्रेमचंद-पूर्व युग प्रेमचंद युग, प्रेम चंदोतर युग। यह प्रेमचंदजी के महत्त्व को स्पष्ट करता है। प्रेमचंदजी ऐसे पहले रचनाकार हैं कि कहानी और उपन्यास की विधा को कल्पना और अमानियत से निकालकर यथार्थ की ठोस जमीन पर स्थापित किया।</p>
<p>मनोरंजन से कथा साहित्य को सामाजिक सरोकारों से जोड़ा। प्रेमचंदजी ने अपने साहित्य में समाज की समस्याएँ, उसके संघर्ष को प्रस्तुत किया। प्रेमचंदजी का साहित्य ग्रामीण समाज को पूरी मार्मिकता के साथ प्रस्तुत किया। जिसमें प्रेमचंदजी भाषा हिन्दुस्तानी (हिन्दी-उर्दू मिश्रित) का विशेष योगदान रहा। प्रेमचंदजी के यहाँ हिंदुस्तानी भाषा अपने पूरे ठाट-बाट और जातीय स्वरूप के साथ आई है। प्रेमचंदजी का निधन 8 अक्टूबर, 1936 में हुआ।</p>
<p>प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं।</p>
<p>प्रेमचंदजी की रचनाएँ:</p>
<p>प्रेमचंद की रचनादृष्टि विभिन्न साहित्य रूपों में प्रवृत्त हुई। प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा संस्मरण आदि अनेक विधाओं में लिखा। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवनकाल में ही वे ‘उपन्यास सम्राट’ की उपाधि से सम्मानित हुए। प्रेमचंद ने 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें और अनेक लेख लिखे।</p>
<p>उपन्यास :</p>
<ol>
<li>“असरारे म आबिद उर्फ देवस्थान रहस्य’ उर्दू साप्ताहिक ‘आवाज-ए-खल्फ’ में 8 अक्टूबर, 1903 से। फरवरी, 1905 तक प्रकाशित</li>
<li>सेवासदन (1918)</li>
<li>प्रेमाश्रम (1922)</li>
<li>रंगभूमि (1925)</li>
<li>निर्मला (1925)</li>
<li>कायाकल्प (1927)</li>
<li>गबन (1928)</li>
<li>कर्मभूमि (1932)</li>
<li>गोदान (1936)</li>
<li>मंगलसूत्र (अपूर्ण)</li>
</ol>
<p>कहानियाँ :</p>
<p>प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियाँ लिखी। प्रेमचंद का पहला संग्रह ‘सोज़े वतन’ 1 जून, 1908 में प्रकाशित हुआ। उनके जीवनकाल में नौ कहानी संग्रह प्रकाशित हुए जिनमें :</p>
<ul>
<li>सप्तसरोज</li>
<li>नवनिधि</li>
<li>प्रेमपूर्णिमा</li>
<li>प्रेमपचीसी</li>
<li>प्रेम प्रतिमा</li>
<li>प्रेम-द्वादशी</li>
<li>समरयात्रा</li>
</ul>
<p>प्रेमचंद की सभी कहानियाँ मानसरोवर के आठ खण्डों में संग्रहित हैं। प्रेमचंदजी की प्रमुख कहानियों में ये नाम लिये जा सकते हैं – ‘पंच परमेश्वर’, ‘गुल्ली डंडा’, ‘दो बैलों की कथा’, ‘ईदगाह’, ‘बड़े भाईसाहब’, ‘पूस की रात’, ‘कफन’, ‘ठाकुर का कुआँ’, ‘सद्गति’, ‘बूढ़ी काकी’, ‘तावान’, ‘विध्वंस’, ‘दूध का दाम’, ‘मंत्र’ आदि।</p>
<p>नाटक : प्रेमचंद ने ‘संग्राम’ (1923), ‘कला’ (1924) और ‘प्रेम की वेदी’ (1933) नाटकों की रचना की। इन रचनाओं के अलावा प्रेमचंदजी ने हँस, माधुरी, जागरण जैसी पत्रिकाओं का संपादन भी किया। जिसमें उनके लेख, निबंध, आलोचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।</p>
<p>भूमिका :</p>
<p>‘नमक का दारोगा’ कहानी ई.स. 1914 में प्रकाशित हुई। यह कहानी उनकी चर्चित कहानियों में से एक कहानी है। जिसे आदर्शोन्मुख यथार्थवाद के एक मुकम्मल उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है। कहानी में ही आए हुए एक मुहावरे को ले तो यह धन के ऊपर धर्म की जीत की कहानी है। धन और धर्म को हम क्रमशः सद्वृति और असद्वृति, बुराई और अच्छाई, असत्य और सत्य इत्यादि कह सकते हैं।</p>
<p>कहानी में इनका प्रतिनिधित्व क्रमश: पंडित अलोपीदीन और मुंशी बंशीधर नामक पात्रों ने किया है। ईमानदार बंशीधर को खरीदने में निष्फल अलोपीदीन अपनी धन की महिमा से वंशीधर को नौकरी से बेदखल करवा देता है। और कोर्ट से छूट जाता है। बाद में अलोपीदीन मुंशी वंशीधर को अपनी संपत्ति का स्थायी मैनेजर बना देता है। इस प्रकार कहानी के अंत में ईमानदारी के महत्त्व को स्थापित किया गया।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>कहानी का सारांश :</span></p>
<p>कहानी का आरंभ नमक के नये विभाग से हुआ है। नमक पर कानूनन निषेध होने से लोग चोरी-छिपे व्यापार करने लगे। व्यापार करने के लिए अधिकारियों को घूस देने लगे और भ्रष्टाचार का केन्द्र बन गया। इसमें नौकरी के लिए वकीलों का भी जी ललचाता था। पढ़ लिखने के बाद जब मुंशी वंशीधर भी नौकरी खोजने के लिए निकले तो उनके पिता वृद्ध मुंशी ने अपने अनुभव से समझाते हुए कहा बेटा, “नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मजार है।</p>
<p>निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है।” इस प्रकार एक पिता अपने पुत्र को भ्रष्टाचार का पाठ पढ़ाता है। इस उपदेश के बाद वंशीधर पिता के आशीर्वाद के साथ घर से निकल पड़े।</p>
<p>इस विस्तृत संसार में उनके लिए धैर्य अपना मित्र, बुद्धि अपनी पथ प्रदर्शक और आत्मावलंबन ही अपना सहायक था। लेकिन उन्हें नमक विभाग के दारोगा पद पर नौकरी मिल गयी। जब यह खबर वृद्ध मुंशीजी को मिली तो फूले न समाये। मुंशी वंशीधर अपना कर्तव्य बड़ी ईमानदारी और निष्ठा से निभाने लगे। अभी उनके इस विभाग में 6 महीने ही हुये थे। लेकिन उनके कार्य से सभी अफसर खुश थे।</p>
<p>नमक के दफ्तर से एक मूल पूर्व की ओर जमुना बहती थी, उस पर नावों का एक पुल बना हुआ था। वहाँ से पंडित अलोपीदीन जैसे प्रतिष्ठित जमींदार नमक का काला धंधा करते थे। जिन्हें अपने धन-बल पर विश्वास था। लाखों रुपये का लेन-देन करते थे। अंग्रेज अफ़सर भी शिकार खेलने आते थे। बारहों महीने सदाब्रत चलता रहता था। वंशीधर ने अलोपीदीन की गाड़ियों को देखा और जाँच की तो लदे बोरों में नमक के ढेले थे।</p>
<p>पंडित अलोपीदीन अपने सजीले रथ पर सवार चले आ रहे थे। गाड़ीवानों ने घबराए हुए आकर कहा कि दारोगा ने गाड़ी रोक ली है। पर इससे पंडित अलोपीदीन चिंतित नहीं हुए। क्योंकि उन्हें लक्ष्मी पर अखंड विश्वास था। न्याय और नीति लक्ष्मी के ही खिलौने हैं। इन्हें यह जैसे चाहती है, नचाती है। दारोगा वंशीधर के सामने अपनी लक्ष्मी का उपयोग करते हुए एक हजार से लेकर चालीस हजार की गाड़ी छुड़वाने के लिए पेशकश की।</p>
<p>परंतु वंशीधर अपने धर्म पर अड़ा रहा। धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला। मुंशी वंशीधर ने बदलूसिंह को आदेश देते हुए पंडित अलोपदीन को हिरासत में लेने के लिए कहा। पंडितजी ने एक हृष्ट-पुष्ट मनुष्य को हथकड़िया लिए हुए अपनी तरफ आते देखा। चारों ओर निराश और कातर दृष्टि से देखने लगे। इसके बाद एकाएक मूर्छित होकर गिर पड़े।</p>
<p>दुनिया सोती है, पर दुनिया की जीभ जागती है। सवेरे होते ही बालक, वृद्ध सभी में यही चर्चा थी। पंडितजी के व्यवहार की सभी टिप्पणी कर रहे थे। पानी के नाम पर दूध बेचनेवाला ग्याला, कल्पित रोजनामचे भरनेवाले अधिकारी वर्ग, बाबूलोग, जाली दस्तावेज बनानेवाले सेठ और साहूकार यह सब देवताओं की तरह पंडित अलोपीदीन की निंदा कर रहे थे।</p>
<p>सुबह पंडितजी अभियुक्त होकर शर्म से गरदन नीचे किए हुए अदालत में पेश हुए। परंतु अदालत में सभी अधिकारी, वकील, चपरासी, अरदली, चौकीदार सब उनके माल के गुलाम थे। सभी इस बात पर चकित थे कि वे कानून के पंजे में आए कैसे ? प्रत्येक व्यक्ति उनसे सहानुभूति प्रकट कर रहा था। कानून के आक्रमण को रोकने के लिए वकीलों की सेना तैयार थी।</p>
<p>न्याय के मैदान में धन और धर्म का युद्ध ठन गया। युद्ध में डिप्टी मजिस्ट्रेट ने फैसला दे दिया कि पंडित अलोपीदीन के विरुद्ध दिए गए प्रमाण निर्मूल और भ्रमात्मक है। वे ऐसा काम नहीं कर सकते है। मुंशी वंशीधर का अधिक दोष नहीं है। लेकिन खेद की बात है कि उसकी उदंडता और विचारहीनता के कारण भले आदमी को कष्ट होलना पड़ा। इसके लिए मुंशी वंशीधर को ध्यान रखना चाहिए।</p>
<p>जज के फैसले से वकील उछल पड़े। पंडित अलोपीदीन मुस्कराते हुए बाहर निकले। स्वजन-बान्धवों ने रुपयों की लूट की। जब वंशीधर बाहर निकले तो उन पर व्यंग्यबाणों की वर्षा होने लगी। चपरासियों ने झुक-झुककर सलाम किया। कटुवाक्य उन्हें प्रज्वलित कर रहे थे। शायद इस मुकदमें में सफल होकर भी इस तरह अकड़ न चलते।</p>
<p>परंतु अनुभव हुआ कि न्याय और विद्धता, लंबीचौड़ी उपाधियाँ, बड़ी-बड़ी दाढ़ियाँ और ढीले चोंगे एक भी सच्चे आदर के पात्र नहीं हैं। सप्ताह में से ही नौकरी से बेदखल कर दिया। दुःखी हृदय से घर पहुँचे। मुंशीजी तो पहले से जले-भुने थे। खूब खरी-खोटी सुनाई। कोसते हुए कहा पढ़ाना-लिखाना अकारथ गया। पिता, माता, पत्नी सभी दुखी हो गये। यंशीधर के इस कृत्य से कोई खुश नहीं था।</p>
<p>इसी प्रकार एक सप्ताह बीत गया। संध्या का समय था। वृद्ध मुंशीजी बैठे राम-नाम की माला जप रहे थे। उसी समय पंडित अलोपीदीन आये। झुककर मुंशीजी ने दंडवत् किया। चापलूसी भरे शब्द कहने लगे। लड़के को कोसने लगे। परंतु अलोपीदीन ने मना किया नहीं ऐसा मत कहो। अलोपीदीन ने वात्सल्यपूर्ण स्वर में कहा – ‘कुलतिलक और पुरुषों की कीर्ति उज्ज्वल करनेवाले संसार में ऐसे कितने धर्मपरायण मनुष्य हैं जो धर्म पर अपना सब कुछ अर्पण कर सकें ?’</p>
<p>अंत में वंशीधर से अलोपीदीन ने कहा कि मैंने हजारों रईस और अमीर देखे, हजारों उच्च पदाधिकारियों से काम पड़ा किंतु परास्त किया तो आपने। मैंने सबको अपने धन का गुलाम बनाकर छोड़ दिया। अब आपसे एक विनम्र प्रार्थना है जिसे आपको स्वीकार करना पड़ेगा ऐसा कहते हुए स्टांप लगा हुआ पत्र निकाला और कहा इस पर हस्ताक्षर कर दीजिए।</p>
<p>वंशीधर ने कागज को पढ़ा तो कृतज्ञता से आँखों में आँसू भर आए। उनको अपनी सारी जायदाद का स्थायी मैनेजर नियत किया था। इस प्रस्ताव को मना करने के बाद विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर लिया। और पंडितजी की ओर भक्ति और श्रद्धा की दृष्टि से देखते हुए कागज पर हस्ताक्षर कर दिए। अलोपीदीन ने वंशीधर को गले लगा लिया। इस प्रकार संपूर्ण कहानी प्रेमचंदजी की आदर्शोन्मुखी कहानी है। जिसमें ईमानदारी को स्थापित किया है।</p>
<p><img class=”” src=”https://bhavyeducation.com/wp-content/uploads/2021/03/bhavy-logo-final-01.png” alt=”GSEB Solutions Class 11 Hindi Aaroh Chapter 1 नमक का दारोगा” width=”167″ height=”17″ data-pin-nopin=”true”></p>
<p><span style=”color: #0000ff;”>शब्दार्थ-टिप्पण :</span></p>
<ul>
<li>बरकंदाजी – बंदूक लेकर चलनेवाला सिपाही, चौकीदार</li>
<li>सदाव्रत – हमेशा अन्न बाँटने का प्रत</li>
<li>मुख्तार – कलक्टरी में वकील से कम दरजे का वकील</li>
<li>अलौकिक – दिखाई न देनेवाला</li>
<li>कातर – परेशान, दुःखी</li>
<li>अमले – कर्मचारी मंडल, नौकर-चाकर</li>
<li>अरदली (ऑर्डरली) – किसी बड़े अफ़सर के साथ रहनेवाला खास चपरासी</li>
<li>तजवीज – राय, निर्णय</li>
<li>अकारथ – व्यर्थ</li>
<li>पहिए – पश्चिमी</li>
<li>जी ललचाना – आकर्षित होना</li>
<li>निषेध – मनाई, रोक</li>
<li>पौ-बारह – लाभ ही लाभ होना, लाभ के दरवाजे खुल जाना</li>
<li>ओहदा – पद</li>
<li>पथप्रदर्शक – रास्ता दिखानेवाला</li>
<li>आत्मावलंबन – स्वनिर्भर</li>
<li>फूले न समाए – अत्यधिक खुश होना</li>
<li>जमुना – यमुना</li>
<li>गोलमाल – गड़बड़</li>
<li>कतार – पंक्ति</li>
<li>सन्नाटा छा जाना – शांत हो जाना</li>
<li>यथार्थ – वास्तविक, हकीकत</li>
<li>हुक्म – आदेश</li>
<li>उमंग – उत्साह</li>
<li>नमकहराम – धोखेबाज, विश्वासघाती</li>
<li>निरादर – अपमान</li>
<li>दृढ़ता – कठोरता</li>
<li>हिरासत में लेना – गिरफ्तार करना</li>
<li>ग्वाला – दूध बेचनेवाला</li>
<li>विस्मित – आश्चर्यचकित</li>
<li>वाचालता – अधिक बोलनेवाला</li>
<li>गवाह – साक्षी</li>
<li>मजिस्ट्रेट – न्यायधीश</li>
<li>मुअत्तली – बर्खास्तगी</li>
<li>तनख्वाह – वेतन</li>
<li>लल्लोपप्पो की बातें करना – खुशामद की बातें करना, चापलूसी करना</li>
<li>मुँह छिपाना – शर्माना</li>
<li>धर्मपरायण – धर्म का पालन करनेवाला</li>
<li>सत्कार – सम्मान</li>
<li>ठकुर-सुहाती – मुँह पर अच्छी लगनेवाली बातें</li>
<li>लज्जा – शर्म</li>
<li>दस्तखत – हस्ताक्षर</li>
<li>प्रफुल्लित होना – अत्यधिक खुश होना</li>
<li>गले लगाना – प्यार जताना</li>
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