GSEB Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Economics Chapter 5 उत्पादन खर्च और आय की संकल्पनाएँ Textbook Exercise Important Questions and Answers, Notes Pdf.
Gujarat Board Textbook Solutions Class 11 Economics Chapter 5 उत्पादन खर्च और आय की संकल्पनाएँ
GSEB Class 11 Economics उत्पादन खर्च और आय की संकल्पनाएँ Text Book Questions and Answers
स्वाध्याय
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए :
1. औसत खर्च की रेखा का आकार कैसा होता है ?
(A) होकी स्टिक
(B) U
(C) V
(D) आयत
उत्तर :
(A) होकी स्टिक
2. किस खर्च को माप नहीं सकते हैं ?
(A) वास्तविक खर्च
(B) मुद्राकीय खर्च
(C) वैकल्पिक खर्च
(D) दीर्घकालीन खर्च
उत्तर :
(A) वास्तविक खर्च
3. किस खर्च का उत्पादन के प्रमाण के साथ सीधा सम्बन्ध है ?
(A) स्थिर खर्च
(B) अस्थिर खर्च
(C) औसत खर्च
(D) सीमांत खर्च
उत्तर :
(B) अस्थिर खर्च
4. किस बाजार में औसत आय और सीमांत आय समान होते हैं ?
(A) पूर्ण स्पर्धा
(B) एकाधिकारशाही
(C) एकाधिकारशाही युक्त स्पर्धा
(D) अल्पहस्तक एकाधिकार
उत्तर :
(A) पूर्ण स्पर्धा
5. उत्पादन का प्रमाण शून्य हो तब भी यह खर्च सकारात्मक होता है ।
(A) मुद्राकीय खर्च
(B) औसत खर्च
(C) अस्थिर खर्च
(D) स्थिर खर्च
उत्तर :
(D) स्थिर खर्च
6. सीमांत आय का संकेत …………………………
(A) MR
(B) MRn
(C) AR
(D) TR
उत्तर :
(A) MR
7. अस्थिर खर्च को मुख्य खर्च कहनेवाला अर्थशास्त्री –
(A) प्रो. पिगु
(B) प्रो. मार्शल
(C) स्मिथ
(D) कौटिल्य
उत्तर :
(B) प्रो. मार्शल
8. वैकल्पिक खर्च किन अर्थशास्त्रियों ने प्रस्तुत की ?
(A) भारतीय
(B) रशियन
(C) ऑस्ट्रियन
(D) फ्रेंच
उत्तर :
(C) ऑस्ट्रियन
9. उत्पादन खर्च को कितने भागों में बाँटा गया है ?
(A) एक
(B) तीन
(C) चार
(D) दो
उत्तर :
(D) दो
10. उत्पादन खर्च ………………………. में दर्शाया जाता है ।
(A) मुद्रा
(B) वस्तु
(C) सेवा
(D) आय
उत्तर :
(A) मुद्रा
11. स्थिर एवं अस्थिर खर्च का योग ……………………..
(A) औसत खर्च
(B) कुल खर्च
(C) कुल आय
(D) सीमांत खर्च
उत्तर :
(B) कुल खर्च
12. कौन-सी आय प्रति इकाई आय है ?
(A) सीमांत
(B) कुल
(C) औसत
(D) इनमें से एक भी नहीं
उत्तर :
(C) औसत
13. कौन-सा खर्च शून्य की ओर गति करता है पर शून्य होता नहीं ?
(A) औसत अस्थिर
(B) औसत खर्च
(C) औसत आय
(D) औसत स्थिर
उत्तर :
(D) औसत स्थिर
14. उत्पादन बढ़ने से सीमांत खर्च किसकी अपेक्षा तेजी से बढ़ता है ?
(A) औसत खर्च
(B) सीमांत खर्च
(C) कुल खर्च
(D) अस्थिर खर्च
उत्तर :
(A) औसत खर्च
15. अस्थिर खर्च रेखा का ढ़ाल कैसा है ?
(A) ऋण
(B) धन
(C) धन-ऋण
(D) एक भी नहीं
उत्तर :
(B) धन
16. उत्पादन आधारित खर्च को कौन-सा खर्च कहते हैं ?
(A) स्थिर
(B) तटस्थ
(C) अस्थिर
(D) औसत
उत्तर :
(C) अस्थिर
17. अंतिम इकाई के उत्पादन खर्च को कौन-सा खर्च कहते हैं ?
(A) स्थिर खर्च
(B) अस्थिर खर्च
(C) कुल खर्च
(D) सीमांत खर्च
उत्तर :
(D) सीमांत खर्च
18. दैनिक श्रमिकों का वेतन किस खर्च का उदाहरण है ?
(A) अस्थिर खर्च
(B) स्थिर खर्च
(C) दीर्घकालीन
(D) अल्पकालीन
उत्तर :
(A) अस्थिर खर्च
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों का एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
1. उत्पादन बढ़े तब औसत स्थिर खर्च क्यों घटता है ?
उत्तर :
बढ़ते उत्पादन के नियम के कारण उत्पादन बढ़े तब औसत खर्च घटता है ।
2. सीमांत आय का सूत्र लिखो ।
उत्तर :
MRn = Rn – R(n – 1)
MR = सीमांत आय,
n = विक्रय इकाई की संख्या
Rn = n इकाई के विक्रय से होनेवाली आय
R(n – 1)= (n – 1) इकाई के विक्रय से होनेवाली आय
3. स्थिर खर्च अर्थात क्या ? स्थिर खर्च की रेखा कैसी होती है ?
उत्तर :
अल्पकालीन समय में उत्पादन का प्रमाण बढ़े, घटे या शून्य हो परंतु खर्च में कोई परिवर्तन न हो तो ऐसे खर्च को स्थिर खर्च कहते हैं । स्थिर खर्च की रेखा आधार (X-अक्ष) के समांतर होती है ।
4. आय की किस संकल्पना को कीमत कह सकते हैं ?
उत्तर :
औसत आय की संकल्पना को कीमत कह सकते हैं ।
5. सीमांत आय किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वस्तु की अतिरिक्त एक इकाई के विक्रय के परिणामस्वरूप इकाई की कुल विक्रय आय में जो वृद्धि होती है तो उसे सीमांत आय कहते हैं।
6. अल्पकालीन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
अल्पकालीन अर्थात् समय का ऐसा अंतराल जिस समय दरम्यान यंत्र, प्लान्ट जैसे साधन स्थिर रहते हैं । अर्थात् कि उसमें वृद्धि नहीं कर सकते हैं।
7. वैकल्पिक खर्च अर्थात् क्या ?
उत्तर :
प्रश्न नं. 3 का प्रश्न संख्या 7 का उत्तर देखें ।
8. मुद्राकीय खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
नियोजक किसी वस्तु का उत्पादन करने में जो मुद्राकीय भुगतान करती है उसे मुद्राकीय खर्च कहते हैं । अथवा उत्पादन के लिए मुद्रा की स्वरूप में होनेवाले सभी खर्चों को वित्तीय खर्च कहते हैं ।
9. सीमांत आय की अपेक्षा सीमांत खर्च कम हो तब इकाई (पेढ़ी) का क्या मिलता है ?
उत्तर :
सीमांत आय की अपेक्षा सीमांत खर्च कम हो तो इकाई को लाभ मिलता है ।
10. पेढ़ी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
वस्तु या सेवा का उत्पादन करनेवाली इकाई अर्थात् पेढ़ी ऐसी आर्थिक इकाई है, जो महत्तम लाभ के उद्देश्य से उत्पादन या विक्रय की प्रवृत्ति करती है ।
11. उत्पादन खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
चीजवस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने के लिए मुद्राकीय स्वरूप में जो खर्च किया जाता है उसे उत्पादन खर्च कहते हैं ।
12. कुल खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कुल स्थिर खर्च और कुल अस्थिर खर्च के योग को कुल खर्च कहते हैं ।
13. औसत स्थिर खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
निश्चित उत्पादन के स्तर पर कुल स्थिर खर्च को कुल उत्पादित इकाईयों से भाग देने पर जो खर्च मिलता है उसे औसत स्थिर खर्च कहते हैं।
14. औसत अस्थिर खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
निश्चित उत्पादन के स्तर पर कुल अस्थिर खर्च को कुल उत्पादित इकाईयों से भाग देने पर जो खर्च मिलता है उसे औसत अस्थिर खर्च कहते हैं।
15. औसत खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कुल खर्च को उत्पादन की कुल इकाईयों से भाग देने पर जो खर्च प्राप्त होता है, तो उसे औसत खर्च कहते हैं ।
16. सीमांत खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
कुल उत्पादन में एक इकाई की वृद्धि अथवा कमी होने से कुल उत्पादन खर्च में जो परिवर्तन होता है, उसे सीमांत खर्च कहते हैं ।
17. आय किसे कहते हैं ?
उत्तर :
इकाई ने उत्पन्न की इकाईयों को विक्रय करके जो मुद्रा प्राप्त करते है उसे आय कहते हैं ।
18. कुल आय किसे कहते हैं ?
उत्तर :
इकाई द्वारा उसे सभी इकाईयों को विक्रय करके जो आय प्राप्त की हो तो उसे कुल आय कहते हैं ।
19. औसत आय किसे कहते हैं ?
उत्तर :
इकाई की कुल आय को इकाई की विक्रय की गयी इकाईयों से भाग देने से प्राप्त आय को औसत आय कहते हैं ।
20. कुल आय का सूत्र लिखो ।
उत्तर :
कुल आय = विक्रय की गई इकाई × वस्तु की कीमत
TR = Q × P
21. औसत आय का सूत्र लिखिए ।
उत्तर :
AR =
22. प्रो. मार्शल अस्थिर खर्च को कौन-सा खर्च कहते हैं ?
उत्तर :
प्रो. मार्शल अस्थिर खर्च को मुख्य खर्च कहते हैं ।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए :
1. समय का अल्पकाल अर्थात् क्या ?
उत्तर :
समय का अल्पकाल अर्थात् ऐसा समय कि जिस समय दरम्यान इकाई के कद में परिवर्तन नहीं कर सकते हैं । परंतु उसकी स्थापित उत्पादन शक्ति का उपयोग करके उत्पादन बढ़ा सकते हैं । इस समय में इकाई के साधन स्थिर होते हैं । जैसे प्लान्ट, यंत्रसामिग्री, कारखाना के मकान आदि ।
2. समय का दीर्घकाल अर्थात् क्या ?
उत्तर :
समय का दीर्घकाल अर्थात् समय (काल) कि जिस समय दरम्यान इकाई के सभी साधन अस्थिर होते है । अर्थात कि साधनों में परिवर्तन कर सकते हैं । प्लान्ट, यंत्रसामग्री, कारखाना के मकान आदि का प्रमाण में वृद्धि या कमी करके इकाई के उत्पादन को बढ़ाघटा सकते हैं । इकाई के दीर्घकालीन नये और आधुनिक यंत्रसामिग्री द्वारा उत्पादन इकाई का कद बढ़ा सकते हैं ।
3. औसत स्थिर खर्च अर्थात् क्या ? उदाहरण दीजिए ।
उत्तर :
इकाई के कुल स्थिर खर्च को कुल उत्पादन इकाईयों द्वारा भाग देने से जो खर्च मिलता है उसे औसत स्थिर खर्च कहते हैं ।
AFC =
उदाहरण : एक इकाई का कुल स्थिर खर्च रु. 50,000 है और उत्पादित इकाईयों की संख्या 1000 है तो औसत स्थिर खर्च सूत्र के आधार पर निकाल सकते हैं ।
औसत स्थिर खर्च =
4. कुल खर्च और कुल आय का अर्थ दीजिए ।
उत्तर :
कुल खर्च : कुल उत्पादन और कुल खर्च के बीच कार्यकारण का सम्बन्ध होता है । कुल उत्पादन अधिक हो तो कुल खर्च भी अधिक होता है । ‘इकाई के कुल स्थिर खर्च और कुल अस्थिर खर्च के कुल योग को कुल खर्च कहते हैं ।’
कल आय : पेढ़ी उत्पादन की इकाई का विक्रय करके जो मुद्रा प्राप्त करती है उसे आय कहते हैं । इकाई को कुल आय इकाई को उसके विक्रय में से आय प्राप्त होती है । कुल आय को विक्रय आय के नाम से भी जानते है ।
5. ‘दीर्घकालीन समय के बाद सभी खर्च अस्थिर बन जाते हैं ।’ समझाइए ।
उत्तर :
कुल खर्च में अस्थिर खर्च और स्थिर खर्च दोनों का समावेश होता है । स्थिर खर्च में स्थायी सम्पति जैसे प्लान्ट, पूँजी का व्याज, लाइसन्स फीस, सम्पत्ति व्यवसायवेरा, कारखाना – मकान का किराया, स्थायी स्टाफ का वेतन, वीमा प्रीमियम आदि का समावेश होता है । परन्तु यह खर्च अल्पकालीन समय तक ही स्थिर रहता है । अर्थात् एक सीमा तक स्थिर रहता है उसके बाद खर्च में वृद्धि होती है । अस्थिर खर्च अस्थिर साधनों पर खर्च होता है । उत्पादन के स्तर में परिवर्तन हो तो इस खर्च में भी परिवर्तन होता है । अस्थिर खर्च में कच्चे माल की कीमत, ईंधन का खर्च, बिजली का बिल, वाहनव्यवहार का खर्च आदि का समावेश होता है । जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है वैसे-वैसे अस्थिर खर्च भी बढ़ता है । इस प्रकार दीर्घकालीन समय के बाद स्थिर और अस्थिर खर्च दीर्घकालीन समय के बाद अस्थिर बनते हैं ।
6. वास्तविक खर्च की संकल्पना समझाइए ।
उत्तर :
उत्पादन – प्रक्रिया दरम्यान, उत्पादन साधनों के मालिकों (श्रमिकों, पूँजीपति, जमीन के मालिक, नियोजक) को जो थकान, आलस, दुःख, त्याग, असंतोष आदि का अनुभव करना पड़ता है उसे वास्तविक खर्च कहते हैं । यह आत्मलक्षी और मनोवैज्ञानिक होने से मापना कठिन है ।
7. वैकल्पिक खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
पसंद किये गये विकल्प के लिए अन्य श्रेष्ठ और उपयोगी विकल्पों का त्याग करना पड़ता है । वह वैकल्पिक खर्च है । एक वस्तु का उत्पादन करने पर दूसरी वस्तु का उत्पादन संभव नहीं है, इसलिए जिसका उत्पादन नहीं होता है उतना मूल्य की रकम खोनी पड़ती है वह वैकल्पिक खर्च है ।
8. अस्थिर खर्च किसे कहते हैं ?
उत्तर :
उत्पादन का प्रमाण बदलने से जो खर्च बदलता है उसे अस्थिर खर्च कहते हैं । उत्पादन बढ़ने पर उत्पादन खर्च बढ़ता है और उत्पादन घटने पर खर्च घटता है और उत्पादन शून्य होने पर खर्च भी शून्य हो तो ऐसे खर्च को अस्थिर खर्च कहते हैं । इस खर्च का उत्पादन का प्रमाण के साथ सीधा सम्बन्ध है ।
9. समान उत्पादन का अर्थ दीजिए ।
उत्तर :
उत्पादन के सभी साधनों के निवेश में एकसमान वृद्धि करने से कुल उत्पादन में भी उतना ही वृद्धि होती हो तो समान उत्पादन का नियम अमल में है ऐसा कहेंगे । यहाँ उत्पादन, साधन के प्रमाण में जितनी वृद्धि होती है ।
10. घटता उत्पादन अर्थात् क्या ?
उत्तर :
जमीन के टुकड़े पर श्रम और पूँजी के प्रमाण में जैसे-जैसे वृद्धि की जाती है वैसे-वैसे आरम्भ में उत्पादन बढ़ता है परंतु अमुक मर्यादा के बाद उत्पादन में वृद्धि घटती हुयी दर से होती है उसे घटता उत्पादन का नियम कहते हैं । यह नियम कृषि में सर्वप्रथम लागू पड़ता है ।
11. क्या औसत आय प्रति इकाई आय है ?
उत्तर :
हाँ, औसत आय प्रति इकाई आय है । कुल आय से बिक्री को भाग दिया जाए तो औसत आय प्राप्त होती है । जैसे : बॉलपेन की 10 इकाईयाँ बेचने से कुल आय 100 रु. होती है । इस स्थिति में औसत आय 100 ÷ 10 = 10 रु. जितनी होगी । 10 रु. बॉलपेन की औसत आय या प्रति इकाई आय कहलाएगी ।
12. अपूर्ण स्पर्धावाला बाज़ार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
पूर्ण स्पर्धा न हो ऐसी स्थिति को अपूर्ण स्पर्धा की स्थिति कहते हैं । जिसमें एकाधिकार, द्विहस्तक एकाधिकार, अल्पहस्तक एकाधिकार, एकाधिकारयुक्त स्पर्धा की स्थिति जिस बाज़ार में होती है उसे अपूर्ण स्पर्धावाला बाज़ार कहते हैं ।
13. उत्पादन और उत्पादन खर्च के बीच कैसा संबंध है ?
उत्तर :
उत्पादन उत्पादन खर्च पर आधारित है । क्योंकि उत्पादन अंततः उत्पादन के साधनों की मात्रा और उनके पीछे किए जानेवाले खर्च पर आधारित है । इसलिए उत्पादन और उत्पादन खर्च के बीच सीधा संबंध है ।
14. उत्पादक संतुलन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
किसी भी उत्पादक की आय उत्पादित इकाईयों के साथ संबंध रखती है, तो दूसरी ओर उत्पादित इकाईयों के लिए अलगअलग साधनों का मुआवजा चुकाना पड़ता है । यदि उत्पादक का उद्देश्य महत्तम लाभ कमाने का हो, तो उत्पादन की जिस सीमा में उसे महत्तम लाभ प्राप्त हो (न्यूनतम हानि) वहाँ उत्पादक संतुलन की स्थिति में हैं ऐसा कहा जाता है ।
15. निम्नलिखित के अंतर स्पष्ट कीजिए :
(1) स्थिर खर्च और अस्थिर खर्च :
स्थिर खर्च | अस्थिर खर्च |
(1) उत्पादन के साथ जिसमें परिवर्तन नहीं होता उसे स्थिर खर्च कहते हैं । | (1) उत्पादन परिवर्तन के साथ जिस खर्च में परिवर्तन होता रहता है उसे अस्थिर खर्च कहते हैं । |
(2) उत्पादन बढ़ने पर खर्च नहीं बढ़ता । | (2) उत्पादन बढ़ने पर खर्च बढ़ता है । |
(3) उत्पादन के प्रारंभिक दौर में खर्च होता है । | (3) प्रारंभिक दौर से कुछ अंतराल के बाद खर्च होता है । |
(4) उत्पादक के लिए स्थिर खर्च बोझ समान है । | (4) उत्पादक के लिए अस्थिर खर्च बोझ समान नहीं है । |
(2) औसत स्थिर खर्च और औसत अस्थिर खर्च :
औसत स्थिर खर्च | औसत अस्थिर खर्च |
(1) कुल स्थिर खर्च को उत्पादन से भाग दिया जाए तो औसत स्थिर खर्च प्राप्त होता है । सूत्र : औसत स्थिर खर्च = |
(1) कुल अस्थिर खर्च को उत्पादन प्रमाण से भाग देने पर औसत अस्थिर खर्च प्राप्त होता है । सूत्र : औसत अस्थिर खर्च = |
(2) उत्पादन बढ़ने पर औसत स्थिर खर्च में लगातार कमी आती है । | (2) उत्पादन बढ़ने पर औसत अस्थिर खर्च प्रारंभ में घटता है, एक समय न्यूनतम होता है एवं बाद में फिर से बढ़ने लगता है। |
प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर मुद्देसर लिखिए :
1. स्थिर खर्च का अर्थ देकर आकृति द्वारा उसकी समझ दीजिए ।
उत्तर :
स्थिर खर्च : अल्पकालीन समय में उत्पादन का प्रमाण बढ़े, घटे या शून्य हो परंतु खर्च में कोई परिवर्तन न हो ऐसे खर्च को स्थिर खर्च कहते हैं । स्थिर खर्च को सर्व सामान्य (overhead) खर्च भी कहते हैं । अल्पकालीन समय स्थिर खर्च का उत्पादन के प्रमाण के साथ कोई सम्बन्ध नहीं होता है । स्थिर खर्च में स्थायी स्टाफ का वेतन, कारखाने के मकान का किराया, सम्पत्ति का टेक्स, लाइसन्स फीस, पूँजी का ब्याज, बीमा का प्रीमियम आदि का समावेश होता है । स्थिर खर्च की तालिका और आकृति देखते हैं :
उत्पादन का प्रमाण (इकाई में) | कुल स्थिर खर्च (रु. में) |
00 | 100 |
10 | 100 |
20 | 100 |
30 | 100 |
40 | 100 |
50 | 100 |
उत्पादन का प्रमाण इकाई में अनुसूचि में दर्शाये अनुसार पेन का उत्पादन 00 हो या 10, 20, 30, 40, 50 इकाई जितना बढ़े परंतु उत्पादन खर्च प्रत्येक समय एकसमान स्थिर रहता है । अर्थात् 100 रुपये रहता है । इस खर्च को स्थिर खर्च कहते हैं ।
आकृति में ox अक्ष पर उत्पादन का प्रमाण और oy अक्ष पर खर्च रुपये में दर्शाया गया है । आकृति में दर्शाये अनुसार उत्पादन 00 हो, 10 इकाई हो या 20, 30, 40 या 50 इकाई हो खर्च की रकम रु. 100 जितनी स्थिर रहती है । आकृति में कुल स्थिर खर्च की रेखा x-अक्ष के समांतर रहती है ।
2. अस्थिर खर्च का अर्थ देकर आकृति द्वारा समझाइए ।
उत्तर :
जब उत्पादन की इकाई या पेढ़ी उत्पादन के अस्थिर साधनों पर जो खर्च करती है उसे अस्थिर खर्च कहते हैं । अल्पकाल में उत्पादन के स्तर में परिवर्तन होने पर खर्च में भी परिवर्तन होता है । उत्पादन बढ़ने पर खर्च बढ़े, उत्पादन घटने पर खर्च घटे और उत्पादन शून्य हो तो खर्च भी शून्य हो तो उसे अस्थिर खर्च कहते हैं । इसे अस्थायी, प्रत्यक्ष या मुख्य खर्च भी कहते हैं । इस खर्च का उत्पादन के प्रमाण के साथ सीधा सम्बन्ध है । इस खर्च में कच्चे माल की कीमत, ईंधन खर्च, बिजली का बिल, वाहनव्यवहार का खर्च, श्रमिकों का वेतन आदि का समावेश होता है । इसे नीचे तालिका और आकृति में देख्ने ।
उत्पादन का प्रमाण (इकाई में) | कुल अस्थिर खर्च (रु. में) |
00 | 00 |
10 | 80 |
20 | 150 |
30 | 210 |
40 | 290 |
50 | 390 |
आकृति में ox अक्ष पर उत्पादन इकाई और oy अक्ष पर कुल अस्थिर खर्च रु. में दर्शाया है । उत्पादन 0 है तब खर्च भी शून्य है । जैसे-जैसे उत्पादन 10, 20, 30, 40, 50 बढ़ता है वैसे-वैसे उत्पादन खर्च 80, 150, 240, 290 और 390 रु. खर्च बढ़ता है । अस्थिर खर्च रेखा उद्गम बिंदु से आरम्भ में धन ढालवाली होती है कारण कि आरम्भ में घटता दर से और बाद में बढ़ती दर से खर्च बढ़ता है ।
3. कुल खर्च रेखा को तालिका और आकृति द्वारा समझाइए ।
उत्तर :
कुल उत्पादन और कुल खर्च के बीच कार्यकारण का सम्बन्ध है । कुल उत्पादन अधिक हो तो कुल खर्च भी अधिक होता है । इकाई के कुल स्थिर खर्च और कुल अस्थिर खर्च के योग को कुल खर्च कहते हैं, जिसे नीचे सूत्र के स्वरूप में देखें :
TC = TFC + TVC
कुल खर्च = कुल स्थिर खर्च + कुल अस्थिर खर्च
उत्पादन बढ़ने पर स्थिर खर्च स्थिर रहता है, परंतु अस्थिर खर्च में वृद्धि होती है । जिससे कुल खर्च में अस्थिर खर्च जितनी वृद्धि . होती है जिससे कुल खर्च की रेखा अस्थिर खर्च की रेखा के ऊपर के भाग में होती है । दोनों का लंब अंतर समान होता है आकृति और तालिका में देखें ।
उत्पादन का प्रमाण | कुल स्थिर खर्च (रु. में) | कुल अस्थिर खर्च (रु. में) | कुल खर्च (रु. में) |
00 | 100 | 00 | 100 |
10 | 100 | 80 | 180 |
20 | 100 | 150 | 250 |
30 | 100 | 210 | 310 |
40 | 100 | 290 | 390 |
50 | 100 | 390 | 490 |
आकृति में ox अक्ष पर उत्पादन और oy अक्ष पर खर्च दर्शाया गया है । जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है स्थिर खर्च में कोई परिवर्तन । ‘ नहीं होता है वह स्थिर ही रहता है । परंतु अस्थिर खर्च बढ़ता है । परिणामस्वरूप कुल खर्च भी बढ़ता है, स्थिर खर्च रेखा oy अक्ष पर P बिंदु से शुरू होती है वह दर्शाती है कि जब उत्पादन 00 हो तब कुल स्थिर खर्च तो OP जितना ही होता है और कुल अस्थिर खर्च शून्य होता है । जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है कुल स्थिर खर्च स्थिर रहता है परन्तु अस्थिर खर्च बढ़ता जाता है । जिससे कुल अस्थिर खर्च की रेखा बायी ओर से दायी ओर नीचे से ऊपर की ओर जाती है । कुल खर्च की रेखा उसके समांतर उपर होती है । जब –
- उत्पादन शून्य हो तब कुल अस्थिर खर्च भी शून्य होता है ।
- उत्पादन शून्य हो तब कुल स्थिर खर्च OP होता है । अस्थिर खर्च शून्य और कुल खर्च OP है ।
- उत्पादन OD हो तब कुल स्थिर खर्च BD होता है । अस्थिर खर्च CD और कुल खर्च AD होता है ।
- उत्पादन OH हो तब कुल स्थिर खर्च FH होता है । अस्थिर खर्च GH और कुल खर्च EH है ।
4. “औसत खर्च औसत स्थिर खर्च और औसत अस्थिर खर्च का गणितीय योग है ।” समझाइए ।
उत्तर :
गणितीय रुप में
मानलीजिए कुल खर्च 100 रुपये है । कुल उत्पादन 10 इकाई है । अतः
उदाहरण : मानलीजिए ऊपर के 100 रुपये के कुल खर्च में स्थिर खर्च 30 रु. है जबकि अस्थिर खर्च 70 रु. है । यहाँ उत्पादन 10 इकाई है।
इस प्रकार हमने देखा कि औसत खर्च औसत स्थिर खर्च एवं औसत खर्च का गणितीय योग है ।
5. ‘वास्तविक खर्च को मापना कठिन है ।’ विधान समझाइए ।
उत्तर :
वास्तविक खर्च में थकान, आलस, कष्ट, त्याग, चिंता आदि का समावेश होता है । यह ख्याल माँग आत्मलक्षी तथा मनोवैज्ञानिक है, अदृश्य है । इसका अनुभव अलग-अलग होता है । कारखाने में से निकलनेवाले धुआँ की असर आस-पास के लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालती है, जो सामाजिक दृष्टि से खर्च है । इस प्रकार वास्तविक खर्च को मापना कठिन है ।
6. वैकल्पिक खर्च को मापने की दो मर्यादाएँ बताइए ।
उत्तर :
वैकल्पिक खर्च को मापने की दो मर्यादाएँ निम्नानुसार हैं :
- एकोपयोगी साधन : यदि किसी साधन का मात्र एक ही उपयोग करने का गुण हो तो उसका वैकल्पिक खर्च निश्चित नहीं कर सकते हैं ।
- विशिष्ट उपयोग के साधन : जब उत्पादन के साधन विशिष्ट प्रकार के specific factor हो तब यह ख्याल उपयोगी नहीं होता है । ऐसे विशिष्ट उपयोग के साधनों का उपयोग उनके प्रतिफल उनके वैकल्पिक खर्च के आधार पर नहीं परंतु वह साधनों की माँग पर निश्चित होती है । जैसे : कम्प्यूटर का विशेष ज्ञान रखनेवाले कवित, वैज्ञानिक आदि ।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तारपूर्वक लिखिए :
1. उत्पादन खर्च की विविध संकल्पनाओं को समझाइए ।
उत्तर :
सामान्यतः उत्पादन उत्पादन खर्च पर आधारित है । क्योंकि उत्पादन अंततः उत्पादन के साधनों की मात्रा और उसके लिए किये जानेवाले खर्च पर आधारित है । इस अर्थ में उत्पादन और उत्पादन खर्च के बीच और सामान्य पूर्ति और उत्पादन खर्च के बीच सम्बन्ध है । अत: उत्पादन खर्च की विभिन्न संकल्पनाएँ निम्नलिखित हैं ।
(1) वास्तविक खर्च :
पहले के अर्थशास्त्रीयों के मतानुसार उत्पादन के साधनों को उत्पादन की प्रक्रिया में शामिल करने से जो असंतोष होता है उसे उत्पादन का वास्तविक खर्च कहते हैं । जैसे : श्रमिकों की काम की थकान, काम से उब जाना, पूँजीपतियों और नियोजकों के द्वारा जोखिम और अनिश्चितताओं के वहन से मानसिक तनाव का अनुभव वह सब वास्तविक खर्च है । अर्थशास्त्र की भाषा में इसे ऋणात्मक तुष्टिगुण कहते हैं । श्रम के वास्तविक खर्च का ख्याल मानसिक आत्मलक्षी है । अर्थात् व्यक्ति व्यक्ति पर यह ख्याल बदलता है । वास्तविक खर्च में उत्पादन के अन्य साधनों के पीछे होनेवाले खर्च का विचार नहीं कर सकते । जैसे : भूमि कुदरती भेंट है । इकाई के मालिक द्वारा भूमि के स्वामी को दिया भूमि का किराया उत्पादन खर्च का ही हिस्सा है । उत्पादन के अन्य साधन निर्जीव होने के कारण वे असंतोष का अनुभव नहीं कर सकते । ऐसे असंतोष के कारण इसके बदले वैकल्पिक खर्च का ख्याल व्यक्त किया गया है ।
(2) वैकल्पिक खर्च :
इसका ख्याल ऑस्ट्रियन अर्थशास्त्रीयों ने दिया था । उत्पादन के साधनों के एक से अधिक उपयोग हैं लेकिन इन साधनों का उपयोग किसी एक समय में एक ही उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जा सकता है । ऐसे में अन्य श्रेष्ठ और उपयोगी विकल्पों का त्याग करना पड़ता है । किसी एक वस्तु के उत्पादन के लिए जिन अन्य विकल्पों को छोड़ा जाता है उसे उत्पादित वस्तु का वैकल्पिक उत्पादन खर्च माना जाता है । जैसे : एक खेत में गेहूँ और चने का उत्पादन किया जा सकता हो लेकिन चने का उत्पादन करें तो गेहूँ का उत्पादन श्रेष्ठ विकल्प बने जिसे चने के उत्पादन का वैकल्पिक खर्च माना जाता है ।
(3) मुद्राकीय खर्च :
व्यवहार में उत्पादन खर्च का विचार मुद्रा में किया जाता है, जिसे उत्पादन का मुद्राकीय खर्च कहा जाता है । नियोजक द्वारा विभिन्न स्तर पर किए गए मुद्राकीय भुगतान को मुद्राकीय खर्च कहते हैं । जिसमें पूँजी का ब्याज, भूमि का किराया, श्रमिकों का वेतन, बीमा प्रीमियम, सरकारी कर इत्यादि का समावेश किया जाता है । नियोजक कम से कम उत्पादन लागत और अधिक से अधिक विक्रय कीमत प्राप्त करने की कोशिश करता है । मुद्राकीय खर्च का आधार तीन परिबलों पर है : (A) उत्पादन के साधनों को चुकाई जानेवाली कीमत (B) उत्पादन की कक्षा (C) समय अंतराल । उत्पादन के साधनों की अधिक कीमत चुकाई जाएगी तो उत्पादन खर्च अधिक रहेगा । यदि उत्पादन का समय अंतराल अधिक लंबे समय का होगा तो उत्पादन के ढाँचे में इच्छनीय परिवर्तन करके खर्च को अंकुशित कर, कम से कम खर्च से अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है । उत्पादन की मात्रा जितनी अधिक होगी, उत्पादन लागत उतनी कम होने की संभावना रहती है ।
2. औसत खर्च और सीमांत खर्च के बीच सम्बन्ध आकृति द्वारा समझाइए ।
उत्तर :
उत्पादन खर्च के अध्ययन में औसत खर्च और सीमांत खर्च के बीच सम्बन्धों का अध्ययन महत्त्वपूर्ण गिना जाता है । औसत खर्च यह प्रति इकाई औसत उत्पादन खर्च है और सीमांत खर्च यह सीमांत इकाई उत्पन्न करने का खर्च है । उत्पादक दीर्घकालीन उत्पादन चालू रखने का निर्णय तभी लेगा जब प्राप्त होनेवाली वस्तु की कीमत औसत खर्च की अपेक्षा अधिक हो और अल्पकालीन उत्पादन चालू रखने का निर्णय तभी लेगा जब वस्तु की कीमत सीमांत खर्च की अपेक्षा अधिक होगी । इस प्रकार उत्पादन से सम्बन्धित निर्णय लेने में
औसत खर्च और सीमांत खर्च का ख्याल महत्त्वपूर्ण है । नीचे एक उदाहरण तालिका और आकृति की सहायता से औसत खर्च और सीमांत खर्च के बीच सम्बन्धों की जाँच करें ।
उत्पादन इकाई (P) इकाई में | कुल खर्च (रु. में) (TC) | औसत खर्च (रु. में) (AC) | सीमांत खर्च (रु. में) MC |
1 | 09 | 09 | – |
2 | 16 | 08 | 07 |
3 | 21 | 07 | 05 |
4 | 28 | 07 | 07 |
5 | 40 | 08 | 12 |
6 | 54 | 09 | 14 |
7 | 70 | 10 | 16 |
तालिका के अनुसार जैसे-जैसे उत्पादन का प्रमाण बढ़ता है । आरम्भ में औसत खर्च और सीमांत खर्च दोनों घटते है । इसका कारण तब बढ़ती हुयी उत्पादन का नियम लागू पड़ता है । उत्पादन की चौथी इकाई में औसत खर्च और सीमांत खर्च दोनों समान होते है । तब
औसत खर्च न्यूनतम होता है । तब घटते उत्पादन का नियम होने से औसत खर्च और सीमांत खर्च बढ़ते हैं । जिसे आगे की आकृति में देख सकते हैं :
आकृति में ox अक्ष पर उत्पादन का प्रमाण और oy अक्ष पर औसत खर्च और सीमांत खर्च दर्शाया गया है । यह दोनों खर्चों के बीच सम्बन्ध उपर दर्शाया गया है ।
सम्बन्ध :
(1) सीमांत खर्च < औसत खर्च (MC < AC) : आरम्भ में औसत खर्च घटता है, तब सीमांत खर्च भी घटता है । परंतु औसत खर्च की कमी की अपेक्षा सीमांत खर्च भी कमी शीघ्रता से होने औसत खर्च रेखा की अपेक्षा सीमांत खर्च की रेखा नीचे है ।
(2) सीमांत खर्च = औसत खर्च (MC = AC) : जब औसत खर्च न्यूनतम होता है तब सीमांत खर्च की रेखा औसत खर्च की रेखा को नीचे प्रतिच्छेदित करके गुजरती है । इस समय औसत खर्च और सीमांत खर्च दोनों समान होता है । औसत खर्च = सीमांत खर्च हो जाता है ।
(3) सीमांत खर्च > औसत खर्च (MC > AC) : जब औसत खर्च रेखा को सीमांत खर्च रेखा प्रतिच्छेदित करके गुजरती है उसके बाद दोनों खर्चों में वृद्धि होती हैं । उस समय औसत खर्च में वृद्धि की अपेक्षा सीमांत खर्च में वृद्धि शीघ्रता से होती है । इसलिए औसत खर्च की रेखा की अपेक्षा सीमांत खर्च रेखा आकृति में उपर होती है ।
3. पूर्ण स्पर्धावाले बाजार में औसत आय और सीमांत आय आकृति द्वारा समझाइए ।
उत्तर :
पूर्ण प्रतियोगितावाले बाज़ार में माँग और पूर्ति दोनों के द्वारा संयुक्त रूप से निर्धारित की गई कीमत विक्रेता और ग्राहक दोनों को स्वीकृत होती है । इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता (स्पर्धा) में अधिक विक्रय के लिए विक्रेता को कीमत कम नहीं करनी पड़ती । इसलिए सभी स्तर पर औसत आय और सीमांत आय दोनों समान रहती है ।
जैसे : तालिका :
आलेख : जहाँ सीमांत आय = औसत आय
आलेख में दर्शाये अनुसार उत्पादक x वस्तु का एक के बाद एक इकाईयों का उत्पादन करके बेचता है तो उसे कुल आय 15, 30, 45, 60, 75 रु. इस प्रकार बढ़ती है । लेकिन औसत और सीमांत आय पाँचों इकाई के विक्रय पर 15 ही रहती है ।
4. अपूर्ण स्पर्धावाले बाजार में औसत आय और सीमांत आय आकृति द्वारा समझाइए ।
उत्तर :
पूर्ण स्पर्धा न हो ऐसी बाजार की स्थिति में एकाधिकारशाही, एकाधिकारशाही युक्त स्पर्धा, अल्पहस्तक एकाधिकार और द्विहस्तक एकाधिकार आदि का समावेश होता है । सामान्य रूप से ऐसे बाजार में उत्पादक वस्तु का अधिक विक्रय करने के लिए अर्थात कि अपनी वस्तु की माँग बढ़ाने के लिए कीमत कम करनी पड़ती है । विक्रय में वृद्धि होने से पेढ़ी की कुल आय घटते दर से बढ़ती है । परिणामस्वरुप औसत आय और सीमांत आय में अंतर दिखायी देता है । कीमत घटने से औसत आयरेखा (माँग रेखा) नीचे की ओर ढ़लती है । अधिक विक्रय के लिए कीमत में कमी अनिवार्य होने से सीमांत आय भी घटती है । जिसे आकृति में देख सकते हैं :
आकृति में औसत और सीमांत आय-रेखा बायीं ओर से दायीं ओर उपर से नीचे की ओर ढ़लान है । विक्रय बढ़ाने के लिए कीमत कम करनी पड़ती है औसत आय की अपेक्षा सीमांत आय अधिक शीघ्रता से घटती है । इसलिए आकृति में औसत आय रेखा (AR) की अपेक्षा सीमांत आय (MR) रेखा नीचे है । वह दर्शाता है कि विक्रय बढ़ने से औसत आय (कीमत) की अपेक्षा सीमांत आय में कमी अधिक है । औसत आय की अपेक्षा सीमांत आय अधिक शीघ्रता से घटने के कारण यह है कि अतिरिक्त इकाई विक्रय के लिए कीमत में कमी की जाती है वह पूर्व इकाई पर भी लागू पड़ती है ।
5. आय की विविध संकल्पनाओं को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर :
पूँजीवादी बाजार व्यवस्था में उत्पादन का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना है । इसलिए आय की संकल्पनाएँ महत्त्वपूर्ण है । इकाई कुल आय उसके कुल खर्च से अधिक हो तो लाभ होगा और कम हो तो हानि होगी । परंतु लाभ के विश्लेषण में कुल आय की अपेक्षा औसत आय और सीमांत आय का ख्याल महत्त्वपूर्ण है, जिसे नीचे समझेंगे :
आय की संकल्पनाएँ :
(1) कुल आय : उत्पादित वस्तुओं की निश्चित मात्रा को बेचकर जो मौद्रिक आय पीढ़ी प्राप्त करती है उसे कुल आय कहते हैं । यह कुल आय दो बातों पर निर्भर है – (A) वस्तु विक्रय की मात्रा (B) वस्तु की प्रति इकाई कीमत
कुल आय = विक्रय की गई इकाईयाँ × वस्तु की कीमत [TR = Q × P]
जैसे : कुल 1000 इकाईयों का विक्रय किया हो और प्रति इकाई वस्तु कीमत यदि 20 रु. हो तो –
1000 × 20 = 20,000 रु. कुल आय कहलाएगी ।
(2) औसत आय : वस्तुओं के विक्रय से प्राप्त की कुल रकम को विक्रय की गई कुल इकाई से भाग देने पर औसत आय ज्ञात होती है, जिसे प्रति इकाई आय भी कहते हैं ।
AR =
=
= 20 रु. औसत आय
(3) सीमांत आय : सीमांत आय की संकल्पना सीमांत खर्च के जितनी ही महत्त्वपूर्ण है । बेची गई इकाईयों में से अंतिम इकाई से प्राप्त आय को सीमांत आय कहते हैं । अर्थात् एक अतिरिक्त इकाई की बिक्री से कुल आय में होनेवाले परिवर्तन को सीमांत आय कहा जाता है । जैसे : 1001 इकाई बेचने से 20021 रु. प्राप्त हो तो –
MRn = Rn – R(n – 1)
MR = सीमांत आय
n = विक्रय इकाई की संख्या
Rn = n इकाई के विक्रय से होनेवाली आय
R(n – 1) = (n – 1) इकाई के विक्रय से होनेवाली आय
20021 – 20000 = 21 रु. सीमांत आय